ऐप की मदद से रखें खाने-पीने का लेखा-जोखा
India Science Wire | Apr 08, 2021, 10:02 IST
यह ऐप पोषण संबंधी जरूरतों के बारे में लोगों को जागरूक करने में मददगार साबित हो सकता है।
नई दिल्ली। डाइटिंग कर रहे लोगों और डायबिटीज व दिल के रोगियों समेत अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों को अपने खान-पान को लेकर विशेष एहतियात बरतना होता है। खासतौर से खाने में मौजूद कैलोरी को लेकर। इसके कम या ज्यादा होने से उन्हें दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। ऐसे में आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला एनआईएन (राष्ट्रीय पोषण संस्थान) की ओर से विकसित किया गया मोबाइल ऐप उनकी परेशानी को खत्म कर सकता है।
इसे विकसित करने वाले एनआईएन के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह "न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ" ऐप पोषण संबंधी जरूरतों के बारे में लोगों को जागरूक करने में मददगार साबित हो सकता है। इस ऐप की मदद से लोग भारतीय आहार और उसमें मौजूद पोषक तत्वों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं । इससे लोगों को ऊर्जा संतुलन (खपत बनाम व्यय) मतलब अपने खाने-पीने का लेखा-जोखा रखने में भी मदद मिलेगी।
"न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ" ऐप को प्रामाणिक व व्यापक शोध और भारतीय आबादी के विशिष्ट डेटाबेस के आधार पर विकसित किया गया है। देश के शीर्ष चिकित्सा अनुसंधान निकाय आईसीएमआर की ओर से निर्धारित दिशा-निर्देशों का उपयोग इस ऐप को अधिक प्रभावी बनाता है। इसे भारतीय उपयोगकर्ताओं को ध्यान में रखकर उन्हें व्यापक पोषक तत्वों की जानकारी देने के लिए तैयार किया गया है।
इस ऐप में पोषक तत्वों और अपनी रुचि के अनुसार खाद्य पदार्थों को 17 भारतीय भाषाओं के साथ सर्च किया जा सकता है। यही वजह है कि यह ऐप भारतीय खाद्य पदार्थों एवं उनमें मौजूद कैलोरी, प्रोटीन, विटामिन, खनिजों की जानकारी और सामान्य भारतीय व्यंजनों की रेसिपी समेत पोषण संबंधी व्यापक जानकारी लेना आसान बनाता है। "न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ" ऐप ऑनलाइन ऐप स्टोर पर एंड्रॉयड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।
न्यूट्रिशन गाइड के रूप में काम करेगा ऐप
आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव के मुताबिक "न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ" ऐप एक गाइड के रूप में काम करता है, जो उपभोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों से शरीर को मिलने वाले पोषक तत्वों का आंकलन करने में आपकी मदद कर सकता है। उन्होंने इस ऐप को गैर-संचारी रोगों से लड़ने की आईसीएमआर की पहल का एक प्रमुख अंग बताया है। साथ ही कहा कि यह ऐप प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय पोषण मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है।
एनआईएन की निदेशक डॉ. हेमलता की मानें तो न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ" ऐप लोगों के व्यक्तिगत पोषण सलाहकार के रूप में कार्य करता है। इस ऐप में मौजूद महत्वपूर्ण डेटा इसे इंटरैक्टिव बनाते हैं। इस ऐप को 2018 में एनआईएन के शताब्दी वर्ष के मौके पर लॉन्च किया गया था।
हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) को पोषण अनुसंधान के विभिन्न पहलुओं पर अपने अग्रणी अध्ययन के लिए जाना जाता है। प्रयोगशाला से लेकर चिकित्सीय और समुदाय समेत भोजन तथा पोषण के विविध क्षेत्रों में अग्रणी शोध एवं अनुसंधान के चलते इस संस्थान ने वैश्विक स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। वर्ष 1918 में इस संस्थान की शुरुआत 'बेरी-बेरी' इन्क्वायरी यूनिट के रूप में तमिलनाडु के कुनूर में स्थित पॉश्चर इंस्टीट्यूट में हुई थी। सिर्फ सात वर्षों में 'बेरी-बेरी' इन्क्वायरी यूनिट अभावग्रस्त रोगों के अध्ययन केंद्र (डेफिशियेंसी डिजीज इन्क्वायरी) के रूप में विकसित हो गई, और बाद में वर्ष 1928 में यह पोषण अनुसंधान प्रयोगशाला (एनआरएल) के रूप में उभरी।
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इसे विकसित करने वाले एनआईएन के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह "न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ" ऐप पोषण संबंधी जरूरतों के बारे में लोगों को जागरूक करने में मददगार साबित हो सकता है। इस ऐप की मदद से लोग भारतीय आहार और उसमें मौजूद पोषक तत्वों के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर सकते हैं । इससे लोगों को ऊर्जा संतुलन (खपत बनाम व्यय) मतलब अपने खाने-पीने का लेखा-जोखा रखने में भी मदद मिलेगी।
भारतीय लोगों को ध्यान में रखकर किया डेवलप
अपनी भाषा में सर्च कर सकते हैं जानकारी
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न्यूट्रिशन गाइड के रूप में काम करेगा ऐप
आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर बलराम भार्गव के मुताबिक "न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ" ऐप एक गाइड के रूप में काम करता है, जो उपभोग किए जाने वाले खाद्य पदार्थों से शरीर को मिलने वाले पोषक तत्वों का आंकलन करने में आपकी मदद कर सकता है। उन्होंने इस ऐप को गैर-संचारी रोगों से लड़ने की आईसीएमआर की पहल का एक प्रमुख अंग बताया है। साथ ही कहा कि यह ऐप प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय पोषण मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है।
एनआईएन की निदेशक डॉ. हेमलता की मानें तो न्यूट्रिफाई इंडिया नाउ" ऐप लोगों के व्यक्तिगत पोषण सलाहकार के रूप में कार्य करता है। इस ऐप में मौजूद महत्वपूर्ण डेटा इसे इंटरैक्टिव बनाते हैं। इस ऐप को 2018 में एनआईएन के शताब्दी वर्ष के मौके पर लॉन्च किया गया था।
क्या है एनआईएन की अहमियत
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