पिच को अश्विन के अनुकूल बनायें तेज गेंदबाज : तेंदुलकर

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पिच को अश्विन के अनुकूल बनायें तेज गेंदबाज : तेंदुलकरसचिन तेंदुलकर।

नई दिल्ली (भाषा)। दक्षिण अफ्रीका को स्पिनरों के अनुकूल पिचें तैयार करने के लिये नहीं जाना जाता है और इसलिए सचिन तेंदुलकर चाहते हैं कि भारतीय तेज गेंदबाज न्यूलैंड्स की पिच को रविचंद्रन अश्विन के अनुकूल बनायें जैसा कि 2010-11 के दौर में जहीर खान ने किया था।

भारत केपटाउन में कल से पहला टेस्ट मैच खेलेगा और तेंदुलकर ने याद किया कि किस तरह से जहीर खान की अगुवाई वाले तेज गेंदबाजी आक्रमण ने पिच को हरभजन के अनुकूल बनाया था।

तेंदुलकर ने कहा, ''केपटाउन टेस्ट (2010-11) के दौरान हरभजन ने दूसरी पारी में सात विकेट (38 ओवरों में 120 रन देकर सात विकेट) लिये थे। जहीर और लोनवाबो सातेसोबे दोनों बायें हाथ के तेज गेंदबाज थे और उन्होंने पिच को काफी खुरदुरा (रफ) बना दिया। इशांत और श्रीसंत भी राउंड द विकेट गेंदबाजी की। इसके बाद जब भज्जी ने दायें हाथ के बल्लेबाजों के लिये गेंदबाजी की तो पिच में बने इस रफ क्षेत्र से मदद मिली।'' यह दिग्गज बल्लेबाज चाहता है कि वर्तमान तेज गेंदबाजी आक्रमण भी इसकी पुनरावृत्ति करे।

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तेंदुलकर ने कहा, ''अश्विन के लिये परिस्थितियां अधिक चुनौतीपूर्ण होंगी और पिच में थोड़ी नमी रहेगी। लेकिन भारतीय तेज गेंदबाजों को पिच को खुरदुरा बनाकर अश्विन की मदद करनी होगी।'' इस महान क्रिकेटर को विराट कोहली की टीम से काफी उम्मीदें हैं क्योंकि वे तीन तेज गेंदबाजों तथा हार्दिक पंड्या जैसे आलराउंडर के साथ खेल सकती है जो कि टीम संयोजन में फिट बैठता है।

तेंदुलकर ने कहा, ''इस बार हमारे पास तीन तेज गेंदबाजों और एक तेज गेंदबाजी आलराउंडर के साथ खेलने का विकल्प है। वह (पंड्या) 138-140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी कर सकता है और इसके अलावा सातवें और आठवें नंबर पर प्रभावशाली बल्लेबाज भी है। हार्दिक ने श्रीलंका में यह किया।'' उन्होंने कहा, ''मेरे 24 साल के करियर में, कभी ऐसा नहीं हुआ जबकि हमारे पास चौथा तेज गेंदबाज रहा हो जो कि आलराउंडर हो। बेशक हमारे पास कपिल देव और मनोज प्रभाकर थे लेकिन वे शीर्ष तीन तेज गेंदबाजों में शामिल थे।''

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तेंदुलकर ने कहा, ''हमने 2010-11 में वास्तव में अच्छी क्रिकेट खेली। अगर हरभजन को दूसरे छोर से अच्छा सहयोग मिलता तो हमें केपटाउन टेस्ट जीतना चाहिए था। इसके बाद कैलिस और बाउचर ने भी अच्छी साझेदारी (103 रन) निभायी।''

इसको लेकर अब भी चर्चा है कि भारतीय टीम प्रबंधन को रोहित शर्मा के रुप में अतिरिक्त बल्लेबाज उतारना चाहिए या फिर उसे विश्वास है कि पंड्या के पास नंबर छह पर दूसरी नई गेंद का सामना करने लिये अच्छी तकनीक है। यह वही स्थान है जिसे एक दशक तक वीवीएस लक्ष्मण जैसे बल्लेबाज ने संभाला था।

तेंदुलकर ने स्पष्ट किया कि फैसला टीम प्रबंधन का होगा और वह एक खिलाड़ी का किसी अन्य खिलाड़ी से तुलना नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, ''यह (हार्दिक या रोहित में से किसी एक का चयन) बहुत बड़ा फैसला होगा लेकिन मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा कि किस को खेलना चाहिए। यह टीम प्रबंधन पर निर्भर करता है। पिच किस तरह की होती है और उस पर कितनी घास है यह इस पर निर्भर करता है। इससे कई पहलू जुड़े हुए हैं, मुझे इस पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।'' इसी तरह से उन्होंने इस सवाल पर भी टिप्पणी नहीं की कि मुरली विजय के साथ केएल राहुल और शिखर धवन में से किसे बल्लेबाजी करनी चाहिए।

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उन्होंने कहा, ''ये सभी लड़के मेरे काफी करीबी है। मैं इन सभी के संपर्क में हूं। वे अपनी क्रिकेट पर मुझसे चर्चा करते हैं और यह मेरे लिये सही नहीं होगा कि मैं इस पर अपनी राय व्यक्त करुं कि किसे खेलना चाहिए और किसे नहीं। मुझे तुलना करना कभी पसंद नहीं रहा।'' तेंदुलकर ने मुंबई इंडियन्स में जसप्रीत बुमराह को काफी करीब से देखा है जो सफेद गेंद के बेहतरीन गेंदबाज के रुप में उभर कर सामने आये और उन्हें विश्वास है कि टेस्ट मैचों में मौका मिलने पर भी वह अच्छा प्रदर्शन करेंगे।

उन्होंने कहा, ''उससे (बुमराह) काफी उम्मीदें हैं। वह काफी तेज है और उसके पास उच्चस्तर पर खेलने के लिये जज्बा है। लेकिन मोहम्मद शमी, इशांत शर्मा, उमेश यादव और भुवनेश्वर कुमार पिछले कुछ समय से टीम के नियमित सदस्य हैं। इसलिए हमें इसका मूल्यांकन करना होगा।'' तेंदुलकर के 2010-11 श्रृंखला के दौरान डेल स्टेन के साथ मुकाबले पर क्रिकेट गलियारों में काफी चर्चा होती रही है और इस महान बल्लेबाज ने कहा कि वह जितने भी विकेट पर खेले उनमें से यह सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण था।

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उन्होंने कहा, ''केपटाउन 2010-11 की पिच काफी चुनौतीपूर्ण थी। मुझे याद है कि क्षेत्ररक्षण करते समय मैंने राहुल द्रविड से कहा कि यह तेज गेंदबाजी के लिये उचित विकेट है। आप रन बनाने के बाद भी यह महसूस नहीं करते कि आपने क्रीज पर पांव जमा लिये हैं। चुनौतीपूर्ण विकेटों पर बल्लेबाज की सफलता के राज के बारे में पूछे जाने पर तेंदुलकर ने सिडनी में अपने दोहरे शतक का जिक्र किया जहां उन्होंने संयम की प्रतिमूर्ति बनकर दोहरा शतक पूरा करने तक एक भी कवर ड्राइव नहीं खेला था।''

उन्होंने कहा, ''आस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज उस पारी के दौरान सीधी गेंदें कर रहे थे जो विकेटकीपर के पास जा रही थी। मैंने खुद से कहा, अच्छा है तुम लोग जहां गेंदबाजी करना चाहते हो करो, मैं इंतजार करुंगा और आपको जहां मैं चाहता हूं वहां गेंदबाजी करने के लिये मजबूर करुंगा।'' तेंदुलकर ने कहा, ''एक अच्छी बल्लेबाजी लाइन अप गेंदबाजों को अपने हिसाब से गेंदबाजी करने के लिये मजबूर करती है। प्रत्येक विकेट का अपना अलग तरह का चरित्र होता है जहां आपको पता होना चाहिए कि कौन सा शाट खेलना है और कौन सा नहीं।''

लेकिन क्या यह आसान है? तेंदुलकर ने कहा, ''नहीं इतना आसान नहीं है लेकिन इसके लिये आप कडी मेहनत करते हो। कभी आप अपनी स्वाभाविक समझ से फैसला करते हो तो कभी अपना दिमाग लगाते हो।''

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