जन्मदिन विशेष : एक ऐसा कप्तान जिसने टीम को विदेशों में जीतना सिखाया

गाँव कनेक्शन | Jul 08, 2017, 14:48 IST
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मंगलम् भारत

लखनऊ । क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है। इसे खेल में जो मौके पर बाज़ी निकाल कर ले जाए, वही क्रिकेट का दादा कहलाता है। अगर बात ऐसी हो, तो क्रिकेट की इस पिच पर सौरव गांगुली से बड़ा दादा और कौन ही होगा। आज सौरव गांगुली का जन्मदिन है। वो सौरव गांगुली, जिसकी कप्तानी में भारतीय टीम ने एशिया के बाहर सीरीज़ जीतनी शुरू की थीं। वो सौरव गांगुली, जिसने टीम इंडिया को सचिन के साथ क्रिकेट में एक बड़ी पहचान दी। वो सौरव गांगुली, जिसे ऑफ साइड का बेताज बादशाह भी कहा जाता है। जानिये सौरव दादा के बारे में कुछ दिलचस्प बातें.....

गांगुली का पहला प्यार फुटबॉल

गांगुली का जन्म बंगाल में हुआ था। बंगाल का खेल तो फुटबॉल ही है। गांगुली को भी बचपन से फुटबॉल बहुत पसंद था। एक दिन भाई स्नेहाशीष ने उनसे क्रिकेट खेलने का आग्रह किया, जिस पर उन्होंने 10वीं में क्रिकेट के क्लब में दाखिला ले लिया और देश को क्रिकेट का बेहतरीन कप्तान मिला।

सचिन और गांगुली के शुरूआती दौर की तस्वीर।

लगातार चार मैन ऑफ द मैच वाले अकेले क्रिकेटर

सौरव गांगुली लगातार चार बार मैन ऑफ द मैच पाने वाले अकेले क्रिकेटर हैं। दादा के अलावा ये कारनामा किसी और खिलाड़ी ने नहीं किया। दिलचस्प बात तो ये है कि इस कारनामे में दादा की बैटिंग से ज़्यादा कमाल उनकी बॉलिंग ने किया। पाकिस्तान के खिलाफ़ 1997 में, दादा ने सहारा फ्रेंडशिप कप में पांच मैचों की सीरीज़ में दूसरे मैच से अपना रंग दिखाना शुरू किया।

दूसरे मैच में दादा ने 86 गेंदों में 32 रन बनाए, लेकिन 9 ओवर में 16 रन देकर 2 विकेट निकालकर मैच का रुख ही पलट दिया। तीसरे मैच में 10 ओवर में 16 रन देकर 5 विकेट लिये और आधी पाकिस्तान को पवेलियन भेज दिया। इस मैच में दादा ने महज़ 2 रन बनाए थे।

लगातार चार बार मैन ऑफ द मैच बने सौरव गांगुली। चौथे मैच में दादा ने शानदार 75 रन की पारी खेली और 6 ओवर में 29 रन देकर 2 विकेट झटके। अगले और अंतिम मैच में दादा ने 96 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली जिसमें उन्होंने बॉलिंग में 9 ओवर 33 रन देकर 2 विकेट निकाले। ये वक्त दादा का सबसे बेहतरीन वक्त था, क्योंकि इसी साल तो अपनी लकी चार्म डोना गांगुली से उन्होंने शादी की थी।

पहले दाएं हाथ के बल्लेबाज़ थे गांगुली

सौरव गांगुली पहले दाएं हाथ के बल्लेबाज़ थे। लेकिन उनके भाई स्नेहाशीेष बाएं हाथ से खेलते थे। उनकी किट का इस्तेमाल करने के लिये गांगुली ने बाएं हाथ से खेलना शुरू किया और तब जाकर देश को ऑफ का भगवान मिला।

पहले दाएं हाथ के बल्ले से खेलते थे दादा।

विरले कप्तान गांगुली और उनकी कप्तानी

पिछले वर्ल्ड कप से पहले तक सौरव गांगुली भारत के अकेले ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने वर्ल्ड कप की नॉक आउट स्टेज में शतक लगाया हो।

गांगुली और द्रविड़ की दोस्ती की तस्वीर।

गांगुली और विवाद

गांगुली अपने कांउटी क्रिकेट के समय से बहुत ही अक्खड़ स्वभाव के रहे हैं। इस कारण उनको हमेशा से शहजादों के स्वभाव वाला कहा जाता था।

ऑस्ट्रेलिया सौरव गांगुली की सबसे पसंदीदा टीम है। इसके खिलाफ़ खेलना दादा सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। बतौर कप्तान सौरव गांगुली 2001 की भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ में हर टॉस के लिये देर से आते थे। इस कारण उनकी काफी आलोचना भी हुई।

अपनी आलोचनाओं के चलते चर्चा में रहे गांगुली। सौरव गांगुली का अक्खड़ स्वभाव कई बार क्रिकेट के मैदान में भी दिखा। सौरव का विवाद कई बार अंपायरों से हो चुका है। एक बार तो बात यहां तक आ पहुंची कि उन पर अंपायर से विवाद के चलते तीन मैचों का प्रतिबन्ध भी लगा। विवादों ने गांगुली का साथ क्रिकेट की पिच के बाहर भी नहीं छोड़ा। 2005 में कोच ग्रेग चैपल से उनका विवाद इतना गहराया कि उन्होंने अपनी कप्तानी से इस्तीफा ही दे दिया।

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