पीलीभीत में सिंचाई विभाग की 1171 एकड़ भूमि पर जल्द ही होंगे भूमिहीनों के पट्टे 

Anil ChaudharyAnil Chaudhary   20 Sep 2017 8:11 AM GMT

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पीलीभीत में सिंचाई विभाग की 1171 एकड़ भूमि पर जल्द ही होंगे भूमिहीनों के पट्टे सिंचाई विभाग की 1171 एकड़ भूमि

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

पीलीभीत। वर्ष 1970 में शारदा डैम के आसपास पांच दर्जन गाँवों पर भूमिहीन दलितों का पट्टा होना था, चार दशक से अधिक समय बीत जाने पर भी पट्टा न होने से जिलाधिकारी ने सख्त कदम उठाया है, अब जल्द ही उन्हें पट्टा मिल जाएगा।

तात्कालिक प्रदेश सरकार ने वर्ष 1970 में शारदा सागर डैम के निर्माण के बाद डैम के बाहरी हिस्से में ग्राम बंदर भोज, महाराजपुर, कंजिया सिंधपुर, नगरिया खुर्द कलां, बूंदीभूड़, ढकिया ताललुके महाराजपुर, मड़इया लालपुर, रमनगरा, पुरैना ताललुके महाराजपुर सहित करीब पांच दर्जन गाँवों में पढ़ने वाली 1171 एकड़ भूमि को राजस्व विभाग को स्थानांतरित कर दिया था। यह भूमि भूमिहीनों को कृषि कार्य के लिए पट्टों पर दी जानी थी। क्योंकि उस दौरान किस गाँव के किस गाटा संख्या में कितना रकवा पड़ता है राजस्व विभाग को इस बात की जानकारी नहीं थी।

डीएम के निर्देश पर प्रत्येक गाँव के गाटा संख्या का रकबा निकाला गया। इसके बाद अमल दरामद की कार्रवाई को पूरा किया गया। क्योंकि इस लंबी प्रक्रिया के कारण काफी वक्त गुजर गया। इसी दौरान इस भूमि को कब्जाने के लिए गाँव के पात्र लोगों के अलावा बाहर से भी लोग आकर बस गए। जब पट्टा आवंटन के लिए काबिज लोगों की सूची को बनाना शुरु किया गया तो यह संख्या काफी बढ़ गई।

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उस समय के तत्कालीन डीएम कौशलराज शर्मा ने भूमि पर काबिज लोगों की पात्रता के लिए उनसे राशन कार्ड, बॉर्डर स्लिप, नागरिकता प्रमाण पत्र सहित अन्य कई अभिलेख प्रस्तुत करने को कहा था, जिससे जमीन पर नाजायज रुप से कब्जा किए गए लोगों में भूचाल आ गया। क्योंकि उनमें से आधे लोगों के पास देश की नागरिकता के प्रमाण पत्र भी नहीं थे। इस पर राज्य सरकार ने तात्कालिक डीएम से पात्रता की प्रक्रिया को हल्का करने को कहा। इसके बाद प्रत्येक ग्राम पंचायत में बैठक कर पात्रों की सूचियां बनाई गईं। लेकिन जब डीएम के पास सूची पहुंची तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया पहले दलित भूमिहीनों के पट्टे किए जाएंगे।

डीएम के इस आदेश का भूमि पर नाजायज़ रुप से काबिज़ व्यक्तियों ने कड़ा विरोध किया लेकिन डीएम ने ग्राम प्रधानों को दलित भूमिहीनों को प्राथमिकता देने को कहा। जिसके बाद ग्राम प्रधानों ने डीएम का कड़ा रुख देखते हुए हाईकोर्ट से स्टे ले लिया। दरअसल वजह यह थी कि जब सरकार ने भूमि राजस्व विभाग को स्थानांतरित की थी तो उसमें दलित भूमिहीनों को पट्टा आवंटन करने की बात कही थी।

अब मौजूदा डीएम शीतल वर्मा भी उक्त भूमि का स्थायी हल निकालने के लिए प्रयासरत हैं। जिसके लिए कलीनगर तहसील का स्टाफ प्रत्येक गाँव में भूमि पर काबिज लोगों को सूचीबद्ध करने की कार्यवाही शुरु करने जा रहा है। ताकि पात्र/अपात्र लोगों का पता लगाया जा सके।

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इस बारे में जब कलीनगर तहसील के तहसीलदार विजय त्रिवेदी कहते हैं, "जिलाधिकारी के निर्देश पर सिंचाई विभाग द्वारा 1970 में राजस्व विभाग को हस्तांतरित की गई 1171 एकड़ भूमि पर अवैध रूप से काबिज लोगों की सूची तैयार कराई जा रही है। इसके बाद उनके खिलाफ 122 बी की कार्रवाई के तहत गलत ढंग से काबिज लोगों पर बेदखली की कार्यवाही शुरु की जाएगी और पात्रों को भूमि आवंटित की जाएगी।"

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