अब तक तय नहीं हो सकी यूनिफार्म की कीमत व रंग

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अब तक तय नहीं हो सकी यूनिफार्म की कीमत व रंगदो महीने बाद भी यूनिफार्म तैयार कराने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी।

ओपी सिंह परिहार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

इलाहाबाद। प्रदेश सरकार की ओर से बेसिक शिक्षा परिषद के तकरीबन एक लाख 60 हज़ार स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को नि:शुल्क यूनिफार्म वितरण विभाग के लिए सिरदर्द बना हुआ है।

शासन स्तर से एक जुलाई से लेकर 15 जुलाई तक प्राथमिक स्कूलों में रजिस्टर्ड लगभग एक करोड़ 14 लाख बच्चों को स्कूली ड्रेस वितरण का आदेश 11 मई को जारी किया गया था, लेकिन आदेश में यूनिफार्म के रंग और कीमत की कोई जानकारी नहीं दी गई थी, जिससे यूनिफार्म तैयार कराने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी। यह आदेश मुख्य सचिव ने सभी कमिश्नर और जिलाधिकारियों को पत्र के माध्यम से आदेश दिया था।

संजय कुशवाहा, बेसिक शिक्षा अधिकारी, इलाहाबाद ने कहा कि जुलाई के प्रथम सप्ताह से यूनिफार्म वितरण की योजना है, जिसके लिए सभी खण्ड शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से आदेश दिया जा चुका है। उपलब्धता के मुताबिक सभी बच्चों के बीच यूनिफार्म वितरण कर दिया जाएगा।

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कीमत को लेकर पशोपेश में विभाग

प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के बीच निःशुल्क वितरित की जाने वाली ड्रेस के रंग में बदलाव करते हुए पिंक कलर की शर्ट और गहरे भूरे रंग की पेंट को तरजीह दी गई है, लेकिन ड्रेस को तैयार किए जाने में आने वाले खर्च को लेकर शिक्षा विभाग आज भी पशोपेश में है।

यूनिफार्म वितरण में हो सकती है देरी

सरकार के अन्य आदेशों की तरह एक जुलाई से 15 जुलाई के बीच यूनिफार्म वितरण का आदेश भी अधर में लटका है। वजह की अभी तक यूनिफार्म को लेकर शासन स्तर से स्पष्ट आदेश जारी नहीं हो सका है। इस सम्बंध में प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष देवेंद्र श्रीवास्तव का कहना है, “यूनिफार्म वितरण के शासनादेश में रकम की जानकारी नहीं होने से दिक्कत हो रही है।

पिछले दस वर्षों से महंगाई कई गुना बढ़ गई, लेकिन स्कूली बच्चों के ड्रेस में आने वाला खर्च दस साल से 200 रुपए ही है। इतने में गुणवत्तायुक्त ड्रेस दे पाना मुश्किल है। शासन स्तर से रकम बढ़ानी चाहिए अथवा किताबों की तरह यूनिफार्म वितरण भी अपने हाथ में ले लेना चाहिए।”

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