गोरखपुर में डॉक्टरों व फार्मासिस्टों को नहीं है परवाह, दर-दर भटकने को मजबूर हैं ग्रामीण

Jitendra TiwariJitendra Tiwari   4 July 2017 12:13 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
गोरखपुर में डॉक्टरों व फार्मासिस्टों को नहीं है परवाह, दर-दर भटकने को मजबूर हैं ग्रामीणराजकीय पशु चिकित्सालय से नदारद डॉक्टर।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गोरखपुर। सीएम के शहर की पशु चिकित्सा व्यवस्था बदहाल है। डॉक्टर व फार्मासिस्ट मौज कर रहे हैं। कोई भी पशु चिकित्सक समय से चिकित्सालय नहीं पहुंच रहा है। यह बात इसलिए पुख्ता होती है कि दस बजे के बाद ही डॉक्टर अस्पताल पहुंचते हैं। सोमवार को गाँव कनेक्शन टीम ने जिले के विभिन्न पशु चिकित्सालय केंद्रों का दौरा किया जहां पर कई अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिली।

राजकीय पशु चिकित्सालय खोराबार में सुबह आठ से दस के बीच में सिर्फ चपरासी व सचल दल की गाड़ी के ड्राइवर ही मौजूद थे। डॉ. बीके सिंह व वेटनरी फार्मासिस्ट केपी सिंह की कुर्सी खाली पड़ी थी। चपरासी मेवालाल ने बताया कि डॉक्टर साहब अभी आने ही वाले हैं। दस बजकर कुछ मिनट पर दोनों लोग आ गए।

ये भी पढ़ेें- तीन सौ रुपए से कम देकर कराइए गाय भैंस का बीमा

बात चली तो डॉ. बीके सिंह व फार्मासिस्ट केपी सिंह बोलने लगे की मरीज देखने गए थे। पूछा गया कि क्या आप गए थे तो रजिस्टर में कहीं दर्ज किया है। मरीजों के हित में जाना पड़ता है। इतने में झंगहा केंद्र के भी डॉक्टर यहीं पर आ गए। इससे अंजादा लगाया जा सकता है कि झंगहा केंद्र पर क्या हो रहा होगा। खोराबार केंद्र परिसर में चारों तरफ झाड़ियां उगी हुई हैं।

पशुओं के इलाज की व्यवस्था बदहाल पड़ी है। इसी प्रकार सरदारनगर, चरगावां, ब्रह्मपुर, बड़हलगंज सहित विभिन्न केंद्रों पर टीम ने दौरा किया। यह सब नजारा देखने के बाद कहा जा सकता है कि जिले की पशु चिकित्सालय की व्यवस्था रोगी हो चुकी है। इसके इलाज की दरकार है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि जब सीएम के जिले की यह हालत है तो प्रदेश के अन्य जिलों का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।

डॉ. केपी सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, गोरखपुर ने कहा कि सभी डॉक्टर व कर्मचारी को समय से अस्पताल आने के कड़े निर्देश हैं। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शीघ्र ही निरीक्षण कर चेक करूंगा। पशुओं के इलाज के केंद्र पर पुख्ता इंतजाम हैं। अगर कहीं कोई कमी है तो मीडिया हमें बताए दूर करने का प्रयास किया जाएगा।

पशु चिकित्सकों की भी कमी

जिले में कुल 52 पशु चिकित्सा केंद्र हैं। इनमें पहले से दस के करीब डॉक्टरों की कमी चली आ रही थी। इसके लिए मांग भी विभागीय स्तर पर चल रही थी। इसी बीच शासन स्तर से करीब डॉक्टरों का अचानक तबादला कर दिया गया। फिलहाल जिले में 32 के करीब डॉक्टर हैं। ऐसे में वायरल के प्रकोप से पशुओं को होने वाले रोग पर कैसे काबू पाया जाएगा, यह बड़ी समस्या है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

       

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.