यहां हर दो साल में गल जाता है हैंडपंप 

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यहां हर दो साल में गल जाता है हैंडपंप खारे पानी के चलते गल चुका सरकारी हैंडपंप।

मोहम्मद आमिल , स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

एटा। शहर से महज तीन किलोमीटर दूर बसे दो गाँवों के लिए खारा पानी अभिशाप बना हुआ है। खारे पानी के चलते हर दूसरे साल हैंडपंप गल जाते हैं। हालांकि ग्रामीणों की इस समस्या को देखते हुए जल निगम ने शीतलपुर ब्लॉक के गाँव बहादुरगढ़ और नगला मोदी में पेयजल लाइन बिछाई है, लेकिन यहां के लोगों का कहना है कि इसमें पानी आता ही नहीं।

बहादुरगढ़ और नगला मोती में जल निगम ने बीते कुछ सालों में कई हैंडपंप लगवाए हैं, लेकिन पानी खारा होने के कारण ये गल चुके हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पहले तो वे किसी तरह खारे पानी से ही काम चला लेते थे, लेकिन अब तो अधिकतर हैंडपंप गल चुके हैं। उन्हें पानी के लिए डेढ़ किलोमीटर दूर कासिमपुर गाँव जाना पड़ता है।

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हालांकि पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए शासन की ओर से कासिमपुर में करोड़ों की लागत से ओवरहेड टैंक बनवाई गई है और इसके लिए आसपास के गांवों में पाइपलाइन बिछाई गई है, लेकिन उसमें पानी ही नहीं आता। ग्रामीणों का कहना है कि पाइपलाइन छोटी के कारण पानी रिस-रिसकर आता है।

ग्रामीणों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि अगर वे हैंडपंप लगवाएं भी तो वह साल-दो साल से अधिक नहीं चलता। पानी खारा होने के चलते गल जाता है। बहादुरगढ़ रामखिलाड़ी (35 वर्ष) ने बताया, ‘‘यहां के सभी हैंडपंप कुछ माह पहले ही खराब हुए हैं। गाँव में खारा पानी होने के कारण कोई भी हैडपंप दो वर्ष से अधिक नहीं चलता। खारे पानी के कारण इसके पाइप डेढ़-दो साल में ही गल जाते हैं।”

वहीं, बहादुरगढ़ की मीरा (35 वर्ष) कहती हैं, “हालांकि गाँव में सबके यहां पानी का कनेक्शन है, लेकिन किसी के यहां पानी नहीं पहुंच पाता। चूंकि मेरा घर सबसे पहले है तो हमारे यहां कुछ-कुछ पानी आता है। इसी वजह से सप्लाई के टाइम हमारे घर के सामने भीड़ लग जाती है।”

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कासिमपुर गांव की प्रधान सुनीता देवी कहती है, ‘कई बार जल निगम में इसकी शिकायत की गई, लेकिन सुनवाई नहीं होती। जल निगम ने इसकी जिम्मेदारी प्रधान पर डाल दी है। यहां टैंक चार गांवों के लिए बना था, जैसे-तैसे दो गाँवों में ही पानी की सप्लाई हो पा रही है।”

जल निगम के अवर अभियंता तिलक सिंह ने बताया कि गाँवों में हर घर को कनेक्शन दिया गया था। एक साल पहले कुछ खराबी आई थी, उसे भी दुरुस्त करा दिया गया था। दरअसल, गांव के लोग लापरवाही करते हैं। टोटियां तोड़ देते हैं। पानी की सप्लाई आने पर टूटी टोटियों से पानी बहता रहता है। जितना बजट था, काम करा दिया गया।

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