लखनऊ: खौफ में जी रहे बीकेटी के सैकड़ों ग्रामीण 

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लखनऊ: खौफ में जी रहे बीकेटी के सैकड़ों ग्रामीण प्रतीकात्मक तस्वीर।

आरके शुक्ल, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

लखनऊ। बीकेटी क्षेत्र के तराई इलाके के ग्रामीणों को बरसात में नींद नहीं आती। इन्हें डर रहता है कि न जाने कब गोमती नदी का ऊफान गाँवों को घेर ले और घरों में पानी घुस आए। पानी भरने से बाहर जाने का रास्ता भी बंद हो जाता है। अगर गोमती में थोड़ा और पानी बढ़ा तो हर बार की तरह इस बार भी आसपास बसे गाँवों के लोगों को परिवार के साथ सड़क किनारे रहने को मजबूर होना पड़ेगा।

दुघरा गाँव के किसान रामकरण संतोष समेत बीकेटी क्षेत्र के दर्जन भर गाँव के लोगों का यही हाल है। गोमती नदी में बढ़ रहे पानी को देखते हुए कुछ ग्रामीण परिवार के साथ गाँव छोड़कर बाहर सड़क पर बसेरा बनाते हैं या तो रिश्तेदारों के यहां भाग जाते है।

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बीकेटी इटौंजा क्षेत्र के दर्जन भर गाँवों के लोग अरसे से गोमती की बाढ़ में खुद को बर्बाद होते देखते चले आ रहे हैं। जमखनवा, सूरजपुर दुघरा, अकड़रिया कला, अकड़रिया खुर्द, लाशा बहादुरपुर, सुल्तानपुर, मल्लाहन खेड़ा, चन्दनकुंड, चंद्रिका देवी तीर्थ स्थल आदि गाँवो के लोगों ने इस बार भी घर से बाहर जाने की तैयारी कर ली है। दुघरा गाँव के रामकरण संतोष कहते हैं, “स्थानीय नेता चुनाव के समय वोट के लालच में वादे तो कर जाते हैं, लेकिन चुनाव बीतने के बाद इनके दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं।”स्थानीय प्रशासन बाढ़ के समय राशन बाँटकर खानापूर्ति कर लेता है। पांच दिन से गोमती बढ़ रही है, लेकिन अब तक कोई जिम्मेदार उनका हाल जानने नहीं आया।

बांध बन जाए तो होगा फायदा

गोमती नदी के किनारे बांध बनाकर गाँवों में घुसने वाले पानी को रोका जा सकता है। गोमती नदी का ऊफान यहां के करीब दस दर्जन भर गाँवों का जीवन तबाह कर देता है। वहीं जब पानी कम पड़ता है तो यहां संक्रामक बीमारियों का प्रकोप फ़ैल जाता है।

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बीकेटी ब्लॉक की उपजिलाधिकारी ज्योत्सना यादव कहती हैं, “इन गाँवों के लिए हर संभव मदद के प्रयास किए जाएंगे। मैंने बाढ़ क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद स्वास्थ्य टीम सहित सभी को निर्देशित कर दिया है कि ग्रामीणों की हर संभव मदद करें। आवश्यकता पड़ने पर तुरंत बोट मंगवा ली जाएगी।”

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