मेरठ बना बासमती का नेशनल ट्रायल सेंटर
Sundar Chandel 26 July 2017 4:41 PM GMT

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
मेरठ। बासमती की नेशनल स्तर पर जांच के लिए मेरठ को यूपी का पहला और देश का सातवां बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान (बीडीईएफ) बनाया गया है। सेंटर में नौ बिंदुओं पर जांच और खरा उतरने के बाद ही यूपी और देश मे रिलीज किया जाएगा। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि बासमती जांच सेंटर बनना मेरठ के लिए गौरव की बात है।
यूपी में अभी तक कोई ट्रायल सेंटर नहीं था, जिसके चलते यूपी की बासमती को पहचान नहीं मिल पाती थी। जांच के लिए अन्य प्रतिष्ठानों पर महीनों तक सेंपल पड़ा रहता था। वेस्ट यूपी में बासमती की खेती को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से भारतीय चावल अनुसंधान हैदराबाद ने बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान मोदीपुरम को इसकी स्वीकृति दी है।
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इन मानकों पर उतरना होगा खरा
- बासमती प्रजाति की उपज
- बासमती प्रजाति की गुणवत्ता
- बीमारी से लड़ने की क्षमता
- फसल पर कीड़े लगने से प्रभाव
- बासमती को खेत में पानी की कितनी उपलब्धता
- दूसरी वैरायटी से बासमती का उत्पादन दस से पंद्रह प्रतिशत अधिक होना चाहिए
- कितना बड़ा बाल है, कैसा होना चाहिए, चावल का दाना कैसा है, उसकी लंबाई कितनी होनी चाहिए
34 प्रजातियों की जांच
बीडीईएफ मोदीपुरम में इस सीजन के लिए बासमती की 34 प्रजातियों को ट्रायल पर लगाया गया है, जिसमें एक-एक प्रजाति को नवंबर माह तक धान की फसल आने तक दो बार जांच से गुजरना होगा। प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह में भारतीय चावल अनुसंधान हैदराबाद में देश के प्रमुख कृषि वैज्ञानिकों की बैठक होती है, जिसमें सभी सेंटरों पर लगाए गए ट्रायल की गुणवत्ता और रिपोर्ट के आधार पर प्रजातियों को रिलीज किया जाता है।
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देश में बासमती जांच सेंटर
लुधियाना, दिल्ली, जम्मू, पंतनगर, कौल, मला कांगड़ा।
अब मोदीपुरम को देश का सातवां सेंटर बनाया गया है।
बीईडीएफ मोदीपुरम के प्रधान वैज्ञानिक डा. रितेश शर्मा ने बताया बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान को यूपी का पहला सेंटर बनना अपने आप में गौरव की बात है। यहां बासमती की 34 प्रजातियों को जांच में खरा उतरने के बाद देश में रिलीज किया जाएगा। इससे यूपी में ही बासमती की अच्छी प्रजातियों की जांच आसानी से हो सकेगी।
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