मां का दर्द बना जल संरक्षण की प्रेरणा
गाँव कनेक्शन | Jun 06, 2017, 09:30 IST
ओपी सिंह परिहार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
इलाहाबाद। घर में पानी भरने के लिए मां को डेढ़ किमी दूर जाना पड़ता था। इसी से प्रेरणा लेकर बांदा निवासी रामबाबू तिवारी ने जल संरक्षण अभियान शुरू कर दिया। वह इलाहाबाद आए तो शिक्षा ग्रहण करने थे, लेकिन शहर में पानी की उपलब्धता और उसके दुरुपयोग को देखकर जल बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने में जुट गए।
इसके लिए उन्हें अपने सहपाठियों के साथ वरिष्ठों की मदद लेनी पड़ी और उन्होंने खुलकर इनकी मदद की। बांदा जिले के बबेरू तहसील अंतर्गत अंघाव निवासी रामबाबू प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद 9वीं में शहर के कर्नलगंज इंटर कालेज में दाखिला लिया। शहर में रहने की शुरुआत में ही पानी की सुगम उपलब्धता पर इनकी नज़र गई, जिसके बाद इन्होंने देखा की शहरवासी उपलब्ध पानी का कैसे दुरुपयोग करते हैं।
रामबाबू ने बताया, “लोग घरों के सामने पानी का छिड़काव और कार की धुलाई में बड़े स्तर पर पानी बर्बाद करते थे। उस वक्त कुछ लोगों को ये समझाने का प्रयास भी किया पर किसी ने सुझाव पर गौर नहीं किया। मन में जल संरक्षण की बात चलती रही। इंटर तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिला लिया।”
रामबाबू तिवारी गाँव-गाँव घूमकर लोगों को अपने गाँव में मौजूद पानी की समस्या और पानी की एक-एक बूंद के लिए ग्रामीणों की तरफ से किए जाने वाले प्रयास को बताकर जल के प्राकृतिक स्रोत को बचाने के लिए जागरूक करते हैं। घर में पानी लाने के लिए अपनी माता के प्रयासों को याद करते हुए वे भावुक हो उठते हैं। वे बताते हैं, “सुबह उठकर सबसे पहले मेरी मां घर से करीब डेढ़ किलोमीटर स्थित गाँव के एकमात्र कुएं से पानी लाने जाती थीं। हर दिन इनकी दिनचर्या की शुरुआत इसी कार्य से होती थी।”
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इलाहाबाद। घर में पानी भरने के लिए मां को डेढ़ किमी दूर जाना पड़ता था। इसी से प्रेरणा लेकर बांदा निवासी रामबाबू तिवारी ने जल संरक्षण अभियान शुरू कर दिया। वह इलाहाबाद आए तो शिक्षा ग्रहण करने थे, लेकिन शहर में पानी की उपलब्धता और उसके दुरुपयोग को देखकर जल बचाने के लिए लोगों को जागरूक करने में जुट गए।
इसके लिए उन्हें अपने सहपाठियों के साथ वरिष्ठों की मदद लेनी पड़ी और उन्होंने खुलकर इनकी मदद की। बांदा जिले के बबेरू तहसील अंतर्गत अंघाव निवासी रामबाबू प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद 9वीं में शहर के कर्नलगंज इंटर कालेज में दाखिला लिया। शहर में रहने की शुरुआत में ही पानी की सुगम उपलब्धता पर इनकी नज़र गई, जिसके बाद इन्होंने देखा की शहरवासी उपलब्ध पानी का कैसे दुरुपयोग करते हैं।
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गाँव की समस्या को बताकर लोगों को करते हैं जागरूक
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