रामदाने की खेती फायदे का सौदा
Lokesh Mandal shukla 30 May 2017 5:15 PM GMT

स्वयं कम्यूनिटी जर्नलिस्ट
रायबरेली। जहां आजकल ज्यादातर किसान इस बात से परेशान हैं, उनकी फसल नीलगाय बर्बाद कर देती है। वहीं रामदाने की खेती करने वाले किसानों को नीलगाय का कोई खतरा नहीं रहता।
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जिला मुख्यालय से करीब 32 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में पढिरा गाँव के तेजबहादुर सिंह (50 वर्ष) बताते हैं, “रामदाने की खेती गेहूं की खेती की तुलना में ज्यादा फायदेमं होता है। मैं करीब 15 साल से रामदाने की खेती कर रहा हूं। मैं अन्य किसानों को भी रामदाने की खेती के लिए प्रेरित करता हूं।”
वो बताते हैं, “पहले हम छोटे स्तर पर रामदाने की खेती करते थे। धीरे-धीरे अच्छा मुनाफा होने लगा। तो करीब छह बीघे में खेती करने लगे। अब तो आस-पास के गाँवों के किसानों को भी रामदाने की खेती की सलाह देते हैं।” रामदाने की खेती के बारे में खुशहाली कृषि केंद्र के जानकार बृजेश सिंह का कहना है, “रामदाना बोने का सही समय नवंबर का पहला सप्ताह होता है। खेत को जोतने के बाद 1 बीघे खेत में 30 किलो डीएपी और 15 किलो यूरिया के साथ 900 ग्राम बीज मिलाकर पूरे खेत में डाल देते हैं।”
वो आगे बताते हैं, “खाद के साथ बीज डालने से बीज पूरे खेत में आसानी से बराबर मात्रा में पहुंच जाती है। इसके ठीक एक महीने बाद खेत में पहली सिंचाई करते है और सिंचाई के एक हफ्ते बाद जब मिट्टी थोड़ा पैर रखने लायक हो जाए तब 30 किलो यूरिया और 500 ग्राम ज़िंक डलवा देना चाहिए जिस से खर पतवार नहीं होते हैं।”
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