कम करें स्मार्टफोन का इस्तेमाल, नहीं तो इन बीमारियों का बनेंगे शिकार
Astha Singh | May 30, 2017, 18:20 IST
लखनऊ। अगर आप स्मार्टफोन पर घंटों चैटिंग और बात करने के आदी हैं तो यह आपके लिए एक बुरी खबर है। खाते-पीते, उठते-बैठते, सोते समय स्मार्टफ़ोन के उपयोग से हम दिन पर दिन बीमार होते जा रहे हैं। एक सर्वे के मुताबिक़, हर 5 में से 2 भारतीय युवा अपने स्मार्टफोन के बिना परेशान हो जाते हैं। 96 प्रतिशत लोगों के दिन की शुरुआत सोशल मीडिया खोलकर चैटिंग से होती है। 84 फीसदी लोग अपने बिस्तर पर स्मार्टफोन लेकर सोते हैं, वहीं 15 फीसदी ड्राइविंग के दौरान अपना स्मार्टफोन देखते हैं।
हाल में विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि स्मार्टफोन और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अधिक चैटिंग नशे की तरह काम कर रहा है। यह इंसान को शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार बना रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया एनजीओ के डॉक्टर्स ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि बीमारियों का कारण स्मार्टफोन, कंप्यूटर और माइक्रोवेव से निकलने वाला रेडिएशन है।
लखनऊ में होम्योपैथी डॉक्टर रवि सिंह बताते हैं, "स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल से कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि, मस्तिष्क ट्यूमर, प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता में कमी, नींद में कमी और चिंता, बच्चों में रक्त का कैंसर, बांझपन, गर्भपात और कई अन्य प्रकार की स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं आ सकती हैं।"
डॉक्टर सिंह आगे बताते हैं, "चिंता की बड़ी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में लोगों को यह पता भी नहीं है की वह इस समस्या से पीड़ित हैं।" हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष व आइएमए के उपाध्यक्ष (निर्वाचित) डॉ. केके अग्रवाल बताते हैँ, "पहले यह समझा जाता था कि रेडिएशन से सिर्फ कैंसर होने का खतरा रहता है, लेकिन अध्ययन में हमने पाया कि इससे एंजाइटी, नोमोफोबिया, इंन्सोम्निया, ब्लैकबैरी थम्ब आदि बीमारियां हो रही हैं।" डॉ. अग्रवाल आगे बताते हैं, "अध्ययन में शामिल 60 फीसद लोगों (युवा) को डर रहता है कि वह अपना मोबाइल भूल गए हैं। इस बीमारी को नोमोफोबिया कहते हैं। 43 फीसद लोग सेल फोन के बिना असुरक्षित महसूस करते हैं। यह भी एंजाइटी का लक्षण है। इस बीमारी में लगता है कि फोन रिंग कर रहा है, जबकि हकीकत में ऐसा नहीं होता।"
हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता बताते हैं, "स्मार्ट फोन और कंप्यूटर पर देर तक काम करने से हाथ की नसों और हड्डियों पर असर पड़ रहा है। इसके चलते उंगलियों में सूजन, हाथ कांपना, चींटी काटने जैसा एहसास होता है, जो ब्लैकबेरी थम्ब बीमारी का लक्षण है।"
केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग में भर्ती एक मरीज क्रॉनिक ड्राई आई सिंड्रोम से पीड़ित है। वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता है। वह 15 घंटे सोशल शेयरिंग का काम करते हैं। इसके आलावा जब वह कंप्यूटर या टैबलेट पर नहीं होते, तब भी वाट्सएप्प, फेसबुक और ट्विटर पर मैसेज चेक करते हैं। पिछले कुछ साल से वह क्रॉनिक ड्राई आई सिंड्रोम से पीड़ित हैं।
केजीएमयू के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अजय सिंह बताते हैं, "बदलती लाइफस्टाइल में स्मार्टफोन के अधिक उपयोग से कमर दर्द, रीढ़ की हड्डी में तकलीफ, गले की हड्डी में दर्द जैसी समस्याएं खड़ी हो गयी हैं। इन्हें स्मार्टफोन इंजरी कहते हैं।" वे आगे बताते हैं, "ओपीडी में रोजाना 20 लोग ऐसे आते हैं जिन्हे स्मार्टफोन के उपयोग से कई समस्याएं हो जाती हैं। इनमें से अधिकतर लोग 20 से 35 साल के हैं।"
This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).
रेडिएशन है खतरा
इन बीमारियों का खतरा
ज्यादातर लोगों को नहीं है जानकारी
कमजोर हो रही हाथ की हड्डियां
आखें हो जाती हैँ खराब
स्मार्टफोन इंजरी है खतरनाक
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