बारूद के ढ़ेर पर मेरठ, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा 

Sundar ChandelSundar Chandel   6 Oct 2017 7:04 PM GMT

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बारूद के ढ़ेर पर मेरठ, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा प्रतीकात्मक फोटो 

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। शहर के बीचोंबीच घनी आबादी वाले क्षेत्रों में करोड़ों रूपए का बारूद जमा है। थोड़ी सी चूक से बड़ा हादसा हो सकता है। पर सबकुछ जानकर भी जिम्मेदार लोग आंखे बंद किए हुए हैं। इनके पास इस बात का भी जवाब नहीं है कि घनी आबादी के बीच लोगों ने गोदाम बना रखे हैं, क्या उनके पास यह सब करने का लाइसेंस है कि नहीं, जबकि हाल ही में कानपुर में पटाखों के स्टॉक में आग लगने से बिल्डिंग जमींदोज हो गई थी।

मोहल्लों में स्टॉक

पुराने शहर के घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों में विशेषकर सद्दीकनगर, श्यामनगर, कोतवाली क्षेत्र तीरगरान, चमन कालोनी, समर गार्डन, किठौर, मवाना आदि क्षेत्रों में करोड़ों रूपए के पटाखों का स्टॉकहै। यह स्टॉक दिवाली से तीन से चार माह पहले ही कम दामों में खरीदकर भर लिया गया था। बीच बाजार और तंग गलियों में पटाखों के गोदामों की जानकारी पुलिस को है, लेकिन पटाखा कारोबारियों की पहुंच और प्रलोभन के सामने सब बौने साबित हो रहे हैं।

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इतने दिन पहले गोदामों में पटाखे रखना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे लोगों को चिंहित कर कार्रवाई की जाएगी।
मान सिंह चौहान, एसपी सिटी,मेरठ

कहां से आते हैं पटाखे

पटाखों के थोक विक्रेता रहीश बताते हैं कि मुख्य रूप से मेरठ में पटाखे तमिलनाडु के शिवकाशी से आते हैं, लेकिन इनके अलावा सहारनपुर और मुज्जफरनगर में भी पटाखों की मैन्यूफैक्चरिंग हो रही है। यहां से भी मेरठ में करोड़ों रूपए के पटाखे मंगाए जाते हैं। इसके अलावा मेरठ में दर्जनों घरों में पटाखे व फुलझड़ी बनाई जाती हैं।

पटाखों के थोक विक्रेता एहसान कहते हैं, "छह माह पहले ही पर्याप्त पटाखे मंगा लिए गए थे। दिल्ली की कुछ फैक्ट्रियां छह माह पहले ही आधे दामों में पटाखे देती हैं। जिसके चलते अच्छी-खासी कमाई हो जाती है।"

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सुरक्षा की दृष्टि से गोदाम में पटाखे रखना अपराध है।हमारे पास सिर्फ उन स्थानों की लिस्ट है, जहां पटाखों का बाजार लगता है।
शिव दयाल शर्मा, चीफ फायर ऑफिसर

पहले भी हो चुके हैं हादसे

  • नवंबर 2016 में मवाना के सठला गाँव में पटाखों का गोदाम आग का गोला बन गया था, जिसमें तीन लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे।
  • अक्टूबर 2015 में तीरगरान में पटाखों में आग लगने से लाखों का सामान स्वाहा हो गया था|
  • अगस्त 2015 में सदधना में घनी आबादी के बीच पटाखों में आग लगने से लाखों का नुकसान हुआ था, साथ ही आधा दर्जन लोग झुलस गए थे।

अवैध रूप से स्टॉक किए गए पटाखों की लिस्ट तैयार की जाएगी। साथ ही ऐसे पटाखा कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई निश्चित है|
दिनेश चंद्र, एडीएम ई

क्या है भारतीय विस्फोटक अधिनियम

  • एक व्यक्ति को 600 किग्रा तक बारूद तक के पटाखे बेचने की अनुमती
  • एक दुकान से दूसरी दुकान की दूरी 15 फिट से अधिक होनी चाहिए
  • दुकान और गोदाम एक ही मंजिल पर होने चाहिए
  • दुकान में 10 बोरी बालू होनी चाहिए, जबकि गोदाम में 50 बोरी
  • दो बड़े ड्रमों में हमेशा पानी भरा होना चाहिए
  • चार से छह फायर एक्सटिंग्यूसर सिलेंडर होने चाहिए
  • पटाखों की दुकाने आबादी से दूर होनी चाहिए
  • निकटवर्ती फायर पुलिस स्टेशन को पटाखे रखने वाले स्थान का पता होना जरूरी है

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