शौचालय का घटिया डिजाइन भी गंदगी की बड़ी वजह, हर साल जा रही हैं हजारों जानें

Devanshu Mani TiwariDevanshu Mani Tiwari   28 April 2017 10:41 AM GMT

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शौचालय का घटिया डिजाइन भी गंदगी की बड़ी वजह, हर साल जा रही हैं हजारों जानेंबाराबंकी के ककरहिया गाँव निवासी रामदुलारे ने शौचालय को ही आशियाना बना लिया।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क/इंडिया स्पेंड

लखनऊ। देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में स्वच्छ भारत मिशन चलाया जा रहा है। आए दिन मिशन की सफलता के दंभ भरे जाते हैं, इसके इतर देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में स्वच्छता की कमी से लोग डायरिया, पीलिया और कालरा जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं।

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भारत में बीमारियों के प्रकोप और उनके फैलने की वजह जानने के लिए सरकार द्वारा साल 2015-16 में कराए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक देश में स्वच्छता की कमी की वजह से सबसे अधिक डायरिया प्रभावित राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ हैं। सर्वे में यह पाया गया कि इन राज्यों में स्वच्छता की कमी की मुख्य वजह गलत तरीके से बने और मानकविहीन शौचालय हैं। इन सभी राज्यों में शिशु मृत्यु दर भी सबसे ज़्यादा है। यहां मानकविहीन शौचालयों का मतलब है, ऐसे शौचालय जिन्हें ना तो किसी सेप्टिक टैंक से या गड्ढों से जोड़ा गया है। ये वो शौचालय हैं, जिनमें मल की निकासी और पानी के बहाव का कोई सही तरीका नहीं है।

सीतापुर जिले के महेवा ग्रामसभा में सरकार का ओडीएफ कार्यक्रम हुआ, बावजूद इसके लोग अभी भी खुले में शौच जाते हैं। ग्राम प्रधान कमल सिंह बताते हैं, “ग्रामीणों को जागरूक करने के बाद भी लोग खुले में शौच करते हैं, जिसकी वजह से गाँव के आसपास गंदगी का अंबार लगा रहता है।” हाल में ही महेवा ग्रामसभा में पांच लोगों की एक टीम बनाई गई है, जो ग्रामीणों को खुले में शौच जाने से रोकती है और उसके उचित इस्तेमाल के लिए जागरूक कर रही है। वहीं कई ग्रामीण अभी भी सरकार द्वारा शौचालय का निर्माण कराए जाने की आस में बैठे हैं।

यूनीसेफ की रिपोर्ट 2016 के मुताबिक भारत में शिशु मृत्यु दर बढ़ने की मुख्य वजह सिर्फ दूषित पेयजल, साफ-सफाई की कमी और अव्यवस्थित शौचालय निर्माण ही नहीं है, बल्कि पिछले कुछ सालों से बढ़ रहा निमोनिया, नवजात विकार और कुपोषण का खतरा भी है। इंडिया स्पेंड द्वारा जनवरी 2016 में जारी की गई रिपोर्ट में पाया गया था कि भारत में डायरिया, पीलिया और कालरा जैसी बीमारियों के फैलने की सबसे बड़ी वजह घरों में मानक के विपरीत बने शौचालयों का उपयोग और खुले में शौच जाना है।

केंद्र सरकार द्वारा पूरे देश में चलाए गए स्वच्छ भारत मिशन के अक्टूबर 2016 के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में मात्र 44 फीसदी ही शौचालय निर्माण कार्य पूरा किया जा सका है। लखनऊ के चिनहट ब्लॉक के मिर्जापुर गाँव के प्रधान अनवर के गाँव में आज तक स्वच्छ भारत अभियान के तहत ओडीएफ कार्यक्रम नहीं चलाया गया है।

यूपी में प्रति हज़ार बच्चों में 78 का शिशु मत्युदर

हालांकि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार देश में वर्ष 2005-06 में प्रति हज़ार बच्चों में 74 शिशु मत्यु दर की तुलना में वर्ष 2015-16 में प्रति हज़ार 50 शिशु मत्यु दर रही है। इसके अलावा इसी समय में देश में व्यवस्थित शौचालय निर्माण भी 29.1 प्रतिशत से बढ़कर 48.4 प्रतिशत तक पहुंच गया, लेकिन मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में इन आंकड़ों में ज़्यादा वृद्धि नहीं हो पाई। उत्तर प्रदेश में सर्वे के मुताबिक प्रति हज़ार बच्चों में 78 शिशु मत्यु दर रही और राज्य में व्यवस्थित शौचालय निर्माण में मात्र 35 प्रतिशत ही काम हो पाया।

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