By Dr Kirit P Solanki
थैलेसीमिया एक जेनेटिक बीमारी है और बच्चे के जन्म के छह महीने बाद ही पता चलता है। इसके मरीज को हर महीने ब्लड ट्रांसफ़्यूजन ज़रूरी होती है। ऐसे में ज़रूरी है सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करके नए रक्तदाताओं को थैलेसीमिया के प्रति जागरूक किया जाए।
थैलेसीमिया एक जेनेटिक बीमारी है और बच्चे के जन्म के छह महीने बाद ही पता चलता है। इसके मरीज को हर महीने ब्लड ट्रांसफ़्यूजन ज़रूरी होती है। ऐसे में ज़रूरी है सोशल मीडिया और टेक्नोलॉजी का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल करके नए रक्तदाताओं को थैलेसीमिया के प्रति जागरूक किया जाए।
By Darshan Sharma
ओडिशा के नुआपड़ा निवासी किशोर परीडा सिर्फ एक आदर्श टीचर नहीं हैं मरीजों की जान भी बचाते हैं। पिछले 30 साल में वो 88 बार रक्तदान कर चुके हैं। कोई उन्हें चलता फिरता ब्लड बैंक कहता है तो कोई ब्लड एंबेसडर के नाम से पुकारता है।
ओडिशा के नुआपड़ा निवासी किशोर परीडा सिर्फ एक आदर्श टीचर नहीं हैं मरीजों की जान भी बचाते हैं। पिछले 30 साल में वो 88 बार रक्तदान कर चुके हैं। कोई उन्हें चलता फिरता ब्लड बैंक कहता है तो कोई ब्लड एंबेसडर के नाम से पुकारता है।