By गाँव कनेक्शन
मेंथा या मेंथाॅल मिंट की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। अगर आप मेंथा की ज्यादा पैदावार और उत्पादन देने वाली किस्म की नर्सरी करना चाहते हैं तो सीमैप से 21 से 31 जनवरी के बीच प्लांटिंग मटेरियल मिल सकता है लेकिन कोविड के चलते पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
मेंथा या मेंथाॅल मिंट की खेती करने वाले किसानों के लिए अच्छी खबर है। अगर आप मेंथा की ज्यादा पैदावार और उत्पादन देने वाली किस्म की नर्सरी करना चाहते हैं तो सीमैप से 21 से 31 जनवरी के बीच प्लांटिंग मटेरियल मिल सकता है लेकिन कोविड के चलते पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
By Gaon Connection
अगर आप भी औषधीय व सगंध पौधों की खेती शुरू करना चाहते हैं, लेकिन आप को इसकी जानकारी नहीं है तो आपके लिए बढ़िया मौका है। यहां से ट्रेनिंग लेकर आप भी खेती शुरू कर सकते हैं।
अगर आप भी औषधीय व सगंध पौधों की खेती शुरू करना चाहते हैं, लेकिन आप को इसकी जानकारी नहीं है तो आपके लिए बढ़िया मौका है। यहां से ट्रेनिंग लेकर आप भी खेती शुरू कर सकते हैं।
By गाँव कनेक्शन
अगर आप भी औषधीय व सगंध पौधों की खेती शुरू करना चाहते हैं, लेकिन आप को इसकी जानकारी नहीं है तो आपके लिए बढ़िया मौका है। यहां से ट्रेनिंग लेकर आप भी खेती शुरू कर सकते हैं।
अगर आप भी औषधीय व सगंध पौधों की खेती शुरू करना चाहते हैं, लेकिन आप को इसकी जानकारी नहीं है तो आपके लिए बढ़िया मौका है। यहां से ट्रेनिंग लेकर आप भी खेती शुरू कर सकते हैं।
By Gaon Connection
सीमैप पिछले डेढ़ दशक से हर साल 31 जनवरी को किसान मेले का आयोजन करता आ रहा है , जिसमें यूपी, बिहार, एमपी, पंजाब, उत्तराखंड और दक्षिण भारत के राज्यों के भारी संख्या में किसान शामिल होते हैं।
सीमैप पिछले डेढ़ दशक से हर साल 31 जनवरी को किसान मेले का आयोजन करता आ रहा है , जिसमें यूपी, बिहार, एमपी, पंजाब, उत्तराखंड और दक्षिण भारत के राज्यों के भारी संख्या में किसान शामिल होते हैं।
By Manvendra Singh
सीमैप पिछले डेढ़ दशक से हर साल 31 जनवरी को किसान मेले का आयोजन करता आ रहा है , जिसमें यूपी, बिहार, एमपी, पंजाब, उत्तराखंड और दक्षिण भारत के राज्यों के भारी संख्या में किसान शामिल होते हैं।
सीमैप पिछले डेढ़ दशक से हर साल 31 जनवरी को किसान मेले का आयोजन करता आ रहा है , जिसमें यूपी, बिहार, एमपी, पंजाब, उत्तराखंड और दक्षिण भारत के राज्यों के भारी संख्या में किसान शामिल होते हैं।
By vineet bajpai
By vineet bajpai
By Ramji Mishra
किसानों को हमेशा खेती में जोखिम का सामना करना पड़ता है, कभी आवारा पशुओं और कीटों से तो कभी तापमान बढ़ने की घटनाओं से। किसानों के नुकसान को कम करने और उनकी आय को बढ़ाने के उद्देश्य से सीएसआईआर-सीआईएमएपी और उत्तर प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने औषधीय और सुगंधित फसलों की खेती पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।
किसानों को हमेशा खेती में जोखिम का सामना करना पड़ता है, कभी आवारा पशुओं और कीटों से तो कभी तापमान बढ़ने की घटनाओं से। किसानों के नुकसान को कम करने और उनकी आय को बढ़ाने के उद्देश्य से सीएसआईआर-सीआईएमएपी और उत्तर प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने औषधीय और सुगंधित फसलों की खेती पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।
By Arvind Shukla
By Divendra Singh