By गाँव कनेक्शन
दस्ताने की तरह दिखने वाले इस 3डी प्रिंटेड उपकरण को कस्टमाइज किया जा सकता है। इस दस्ताने की एक महत्वपूर्ण खासियत यह है कि इसको दूर से नियंत्रित किया जा सकता है।
दस्ताने की तरह दिखने वाले इस 3डी प्रिंटेड उपकरण को कस्टमाइज किया जा सकता है। इस दस्ताने की एक महत्वपूर्ण खासियत यह है कि इसको दूर से नियंत्रित किया जा सकता है।
By India Science Wire
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि अस्थमा और एलर्जी के इलाज में इस्तेमाल की की जाने वाली दवाएं कोविड को रोकने में सहायक हो सकती हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बेंगलुरु में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि अस्थमा और एलर्जी के इलाज में इस्तेमाल की की जाने वाली दवाएं कोविड को रोकने में सहायक हो सकती हैं।
By India Science Wire
यह अध्ययन भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने किया है। उनका कहना है कि यह खोज एचआईवी के खिलाफ अधिक व्यापक एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी विकसित करने में मदद कर सकती है।
यह अध्ययन भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु के शोधकर्ताओं ने किया है। उनका कहना है कि यह खोज एचआईवी के खिलाफ अधिक व्यापक एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी विकसित करने में मदद कर सकती है।
By Divendra Singh
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के शोधकर्ताओं ने दूध में मिलावट पता करने की नई विधि विकसित की है, जोकि प्रभावी होने के साथ किफायती भी है।
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के शोधकर्ताओं ने दूध में मिलावट पता करने की नई विधि विकसित की है, जोकि प्रभावी होने के साथ किफायती भी है।
By गाँव कनेक्शन
मिर्गी रोगी में किसी स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में पैटर्न का अलग सेट देखने को मिलता है। शोधकर्ताओं ने शार्प तरंगों की कुल संख्या की गणना के लिए एल्गोरिद्म विकसित किया है, जिसका उपयोग मिर्गी का पता लगाने के लिए एक मानदंड के रूप में किया जा सकता है।
मिर्गी रोगी में किसी स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में पैटर्न का अलग सेट देखने को मिलता है। शोधकर्ताओं ने शार्प तरंगों की कुल संख्या की गणना के लिए एल्गोरिद्म विकसित किया है, जिसका उपयोग मिर्गी का पता लगाने के लिए एक मानदंड के रूप में किया जा सकता है।
By India Science Wire
पारंपरिक रूप से भवन निर्माण में मिट्टी से बनी और चिमनी में पकाई गई ईंटों का प्रयोग होता है। इसमें कई तरह की ईंटों का चलन है। इस प्रकार की ईंटों के निर्माण में न केवल अधिक ऊर्जा लगती है, बल्कि उनसे भारी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन भी होता है।
पारंपरिक रूप से भवन निर्माण में मिट्टी से बनी और चिमनी में पकाई गई ईंटों का प्रयोग होता है। इसमें कई तरह की ईंटों का चलन है। इस प्रकार की ईंटों के निर्माण में न केवल अधिक ऊर्जा लगती है, बल्कि उनसे भारी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन भी होता है।
By गाँव कनेक्शन
महत्वाकांक्षी सोलर पॉवर प्लांट परियोजनाओं के साथ भारत अपने 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता की लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, लेकिन सौर कचरे की समस्या से निपटना पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
महत्वाकांक्षी सोलर पॉवर प्लांट परियोजनाओं के साथ भारत अपने 100 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता की लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, लेकिन सौर कचरे की समस्या से निपटना पर्यावरण की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।