By Gaon Connection
केरल के तिरुवनंतपुरम ज़िले के परसाला गाँव में एक ऐसा खेत है, जहाँ केला सिर्फ फसल नहीं बल्कि संस्कृति, स्मृति और संरक्षण का प्रतीक है। कभी कोच्चि में वेब डिजाइनिंग कंपनी चलाने वाले विनोद सहदेवन नायर ने माँ के निधन के बाद कॉर्पोरेट दुनिया छोड़कर खेती को अपनाया। आज उनके खेत में भारत ही नहीं, दुनिया भर से लाई गई 400 से ज़्यादा केले की दुर्लभ किस्में उग रही हैं।
केरल के तिरुवनंतपुरम ज़िले के परसाला गाँव में एक ऐसा खेत है, जहाँ केला सिर्फ फसल नहीं बल्कि संस्कृति, स्मृति और संरक्षण का प्रतीक है। कभी कोच्चि में वेब डिजाइनिंग कंपनी चलाने वाले विनोद सहदेवन नायर ने माँ के निधन के बाद कॉर्पोरेट दुनिया छोड़कर खेती को अपनाया। आज उनके खेत में भारत ही नहीं, दुनिया भर से लाई गई 400 से ज़्यादा केले की दुर्लभ किस्में उग रही हैं।
By Gaon Connection
बेमौसम बारिश से मूंगफली की फसल को होने वाले भारी नुकसान से अब राहत मिल सकती है। ICRISAT की नई जीनोमिक खोज ने ऐसी किस्मों का रास्ता खोला है, जो कटाई से पहले अंकुरण को रोक सकती हैं।
बेमौसम बारिश से मूंगफली की फसल को होने वाले भारी नुकसान से अब राहत मिल सकती है। ICRISAT की नई जीनोमिक खोज ने ऐसी किस्मों का रास्ता खोला है, जो कटाई से पहले अंकुरण को रोक सकती हैं।
By Gaon Connection
भारत के गाँवों में जलकुंभी वर्षों से एक ऐसी समस्या रही है जिसने तालाबों, मछलियों, जलजीवों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का दम घोंट दिया है। तालाब जो कभी जीवन का स्रोत थे, आज हरी चादरों के नीचे सिसकते दिखते हैं। पर इसी अंधेरे के बीच एक नई रोशनी उभरी ICRISAT का सौर ऊर्जा से चलने वाला वाटर हाइऐसिंथ हार्वेस्टर। एक ऐसी मशीन जो न केवल जलकुंभी हटाती है, बल्कि उसे ग्रामीण आजीविका, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के अवसर में बदल देती है।
भारत के गाँवों में जलकुंभी वर्षों से एक ऐसी समस्या रही है जिसने तालाबों, मछलियों, जलजीवों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का दम घोंट दिया है। तालाब जो कभी जीवन का स्रोत थे, आज हरी चादरों के नीचे सिसकते दिखते हैं। पर इसी अंधेरे के बीच एक नई रोशनी उभरी ICRISAT का सौर ऊर्जा से चलने वाला वाटर हाइऐसिंथ हार्वेस्टर। एक ऐसी मशीन जो न केवल जलकुंभी हटाती है, बल्कि उसे ग्रामीण आजीविका, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के अवसर में बदल देती है।
By India Science Wire
इस वर्ष निर्धारित विषयों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी छात्र अपनी परियोजनाएं जमा कर सकते हैं। इस प्रतियोगिता के अंतर्गत चिह्नित समस्या विवरणों के अलावा स्थानीय समुदायों की समस्याओं को हल करने से संबंधित विषय इसके अंतर्गत शामिल हो सकते हैं।
इस वर्ष निर्धारित विषयों के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रों में भी छात्र अपनी परियोजनाएं जमा कर सकते हैं। इस प्रतियोगिता के अंतर्गत चिह्नित समस्या विवरणों के अलावा स्थानीय समुदायों की समस्याओं को हल करने से संबंधित विषय इसके अंतर्गत शामिल हो सकते हैं।
By Divendra Singh
हिन्दुस्तान एग्रीकल्चरल रिसर्च सोसाइटी खेती किसानी के क्षेत्र में विशेष काम करने वाले लोगों को सम्मानित करेगी। करीब 60 पुरस्कारों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। आवेदन की अंतिम तारीख़ 3 नवम्बर है।
हिन्दुस्तान एग्रीकल्चरल रिसर्च सोसाइटी खेती किसानी के क्षेत्र में विशेष काम करने वाले लोगों को सम्मानित करेगी। करीब 60 पुरस्कारों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। आवेदन की अंतिम तारीख़ 3 नवम्बर है।
By गाँव कनेक्शन
वीआईपी के लिए जरूरी क्षमता निर्माण को लेकर, एआईएम 22 अनुसूचित भाषाओं में से प्रत्येक की पहचान के बाद एक वर्नाक्युलर टास्क फोर्स (वीटीएफ) को प्रशिक्षण देगा। हर एक टास्क फोर्स में स्थानीय भाषा के शिक्षक, विषय विशेषज्ञ, तकनीकी लेखक और क्षेत्रीय अटल इनक्यूबेशन सेंटर (एआईसी) का नेतृत्व शामिल है।
वीआईपी के लिए जरूरी क्षमता निर्माण को लेकर, एआईएम 22 अनुसूचित भाषाओं में से प्रत्येक की पहचान के बाद एक वर्नाक्युलर टास्क फोर्स (वीटीएफ) को प्रशिक्षण देगा। हर एक टास्क फोर्स में स्थानीय भाषा के शिक्षक, विषय विशेषज्ञ, तकनीकी लेखक और क्षेत्रीय अटल इनक्यूबेशन सेंटर (एआईसी) का नेतृत्व शामिल है।
By Pragya Bharti
आम शादियों से बहुत खास इस शादी में किसानों ने खेती-किसानी, पशुपालन, भण्डारण आदि के बारे में जानी नई बातें। कई लोग फोन कर के जोड़े को बुला रहे हैं घर, दे रहे हैं दावत का न्यौता।
आम शादियों से बहुत खास इस शादी में किसानों ने खेती-किसानी, पशुपालन, भण्डारण आदि के बारे में जानी नई बातें। कई लोग फोन कर के जोड़े को बुला रहे हैं घर, दे रहे हैं दावत का न्यौता।
By India Science Wire
इस साझेदारी के अंतर्गत एआईएम के अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) और विज्ञान प्रसार द्वारा संचालित इटरैक्टिव मंच ‘एंगेज विद साइंस’ (ईडब्ल्यूएस) द्वारा साथ मिलकर काम करने की घोषणा की गई है।
इस साझेदारी के अंतर्गत एआईएम के अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) और विज्ञान प्रसार द्वारा संचालित इटरैक्टिव मंच ‘एंगेज विद साइंस’ (ईडब्ल्यूएस) द्वारा साथ मिलकर काम करने की घोषणा की गई है।
By गाँव कनेक्शन
By Satish Malviya
Loss of market to an infrastructure project, reduced demand for wooden toys and no banks to provide the much needed credit to revive their traditional craft, the artisans known for their wooden toys are facing stiff challenges on multiple fronts. But with the state government's assurance to support their craft and a pinch of innovation leading to a slight rise in sales is encouraging these artisans to hang on. Details here.
Loss of market to an infrastructure project, reduced demand for wooden toys and no banks to provide the much needed credit to revive their traditional craft, the artisans known for their wooden toys are facing stiff challenges on multiple fronts. But with the state government's assurance to support their craft and a pinch of innovation leading to a slight rise in sales is encouraging these artisans to hang on. Details here.