By Sunil Kumar Gupta
युवाओं की इस टोली में कोई इंजीनियर है तो कोई अंतर्राष्ट्रीय संस्था में शोध कर रहा है। कोई शिक्षाविद् है तो कोई किसान नेता। ये सभी मिलकर ग्रामीण बच्चों में शिक्षा के नए तौर-तरीकों से संस्कार भरने, संविधान को समझने, समझाने का काम कर रहे हैं।
युवाओं की इस टोली में कोई इंजीनियर है तो कोई अंतर्राष्ट्रीय संस्था में शोध कर रहा है। कोई शिक्षाविद् है तो कोई किसान नेता। ये सभी मिलकर ग्रामीण बच्चों में शिक्षा के नए तौर-तरीकों से संस्कार भरने, संविधान को समझने, समझाने का काम कर रहे हैं।
By गाँव कनेक्शन
इस स्कूल की स्थापना 2016 में महाराष्ट्र के ठाणे जिले के फंगाने गांव में योगेंद्र बांगर द्वारा की गई थी। ये 'छात्राएं' अपनी चमकीली गुलाबी साड़ी की ड्रेस पहन कर स्कूल आती हैं और अपने सपने को पूरा करने के मिशन में जुट जाती हैं।
इस स्कूल की स्थापना 2016 में महाराष्ट्र के ठाणे जिले के फंगाने गांव में योगेंद्र बांगर द्वारा की गई थी। ये 'छात्राएं' अपनी चमकीली गुलाबी साड़ी की ड्रेस पहन कर स्कूल आती हैं और अपने सपने को पूरा करने के मिशन में जुट जाती हैं।
By Pankaja Srinivasan
तमिलनाडु के नीलगिरी में इस छोटी सी चाय की फ़ैक्ट्री को आठ स्थानीय महिलाएं चलाती हैं और यहां से चाय को कनाडा, यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका समेत पूरी दुनिया में भेजा जाता है।
तमिलनाडु के नीलगिरी में इस छोटी सी चाय की फ़ैक्ट्री को आठ स्थानीय महिलाएं चलाती हैं और यहां से चाय को कनाडा, यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका समेत पूरी दुनिया में भेजा जाता है।
By Kirti Shukla
गन्ने का समय से भुगतान न होने पर पृथ्वी पाल के लिए घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल होता था। पृथ्वी पाल ने इसके बाद सिरका बनाना शुरू किया।
गन्ने का समय से भुगतान न होने पर पृथ्वी पाल के लिए घर का खर्च चलाना बहुत मुश्किल होता था। पृथ्वी पाल ने इसके बाद सिरका बनाना शुरू किया।
By Ankit Chauhan
By Ambika Tripathi
नौ साल पहले छह बच्चियों की ज़िम्मेदारी उठाने वाली सतना की सोनिया जौली आज 130 लड़कियों की माँ हैं, इन लड़कियों की पढ़ाई से लेकर सारी ज़िम्मेदारी वहीं उठाती हैं।
नौ साल पहले छह बच्चियों की ज़िम्मेदारी उठाने वाली सतना की सोनिया जौली आज 130 लड़कियों की माँ हैं, इन लड़कियों की पढ़ाई से लेकर सारी ज़िम्मेदारी वहीं उठाती हैं।
By Laxmikanta Joshi
राजस्थान के जोधपुर के ललित देवड़ा और उनकी पत्नी खुशबू देवड़ा ऐसी सब्जियों की खेती करते हैं, जिनकी कल्पना कम पानी के मरुस्थलीय क्षेत्रों में पहले कभी नहीं की जा सकती थी। अब पश्चिमी राजस्थान की पहली हाइटेक नर्सरी का संचालन कर रहे हैं और अगला कदम एग्रो टूरिज्म की तरफ बढ़ा रहे हैं।
राजस्थान के जोधपुर के ललित देवड़ा और उनकी पत्नी खुशबू देवड़ा ऐसी सब्जियों की खेती करते हैं, जिनकी कल्पना कम पानी के मरुस्थलीय क्षेत्रों में पहले कभी नहीं की जा सकती थी। अब पश्चिमी राजस्थान की पहली हाइटेक नर्सरी का संचालन कर रहे हैं और अगला कदम एग्रो टूरिज्म की तरफ बढ़ा रहे हैं।
By Deepak Rawat
बीस साल तक मुंबई जैसे शहर में काम करने के बाद कोरोनाकाल में अपने गाँव वापस लौटकर अपना व्यवसाय शुरू करके दूसरे युवाओं को भी रोजगार की राह दिखायी है।
बीस साल तक मुंबई जैसे शहर में काम करने के बाद कोरोनाकाल में अपने गाँव वापस लौटकर अपना व्यवसाय शुरू करके दूसरे युवाओं को भी रोजगार की राह दिखायी है।
By गाँव कनेक्शन
By Rajesh Khandelwal
अगर आप भी राजस्थान के कोटा में रहते हैं या फिर कोटा जा रहे हैं तो स्वाति श्रृंगी की 'मुस्कान की रसोई' ज़रुर जाइएगा,यहाँ सिर्फ पाँच रुपए में घर का खाना मिलता है।
अगर आप भी राजस्थान के कोटा में रहते हैं या फिर कोटा जा रहे हैं तो स्वाति श्रृंगी की 'मुस्कान की रसोई' ज़रुर जाइएगा,यहाँ सिर्फ पाँच रुपए में घर का खाना मिलता है।