By Daya Sagar
34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति का कई विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने स्वागत किया है, लेकिन कई बिन्दुओं को लेकर इसका विरोध भी हो रहा है।
34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति का कई विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने स्वागत किया है, लेकिन कई बिन्दुओं को लेकर इसका विरोध भी हो रहा है।
By Dr SB Misra
पराधीन भारत में मैकाले को पता था कि उसें क्लर्क पैदा करने हैं यानी सही अंग्रेजी और हिन्दी लिखने वाले बाबू बनाने हैं। आज शिक्षा विभाग को पता नहीं कि क्लर्क भी तैयार हो पाएंगे अथवा नहीं। अच्छी लिखावट और शुद्ध लेख तो अध्यापकों का ही नहीं है तो बच्चों का कैसे होगा।
पराधीन भारत में मैकाले को पता था कि उसें क्लर्क पैदा करने हैं यानी सही अंग्रेजी और हिन्दी लिखने वाले बाबू बनाने हैं। आज शिक्षा विभाग को पता नहीं कि क्लर्क भी तैयार हो पाएंगे अथवा नहीं। अच्छी लिखावट और शुद्ध लेख तो अध्यापकों का ही नहीं है तो बच्चों का कैसे होगा।
By Dr SB Misra
वर्तमान में सत्तासीन लोगों से बड़ी उम्मीद थी कि उन्हें शिशु मन्दिर और विद्या भारती की संस्थाएं चलाने का लम्बा अनुभव है, जब 1952 में गोरखपुर में पहला शिशु मन्दिर खुला था। आज उनकी हजारों शिक्षण संस्थाएं चल रही हैं, लेकिन सरकारी शिक्षा को उसका क्या लाभ मिला।
वर्तमान में सत्तासीन लोगों से बड़ी उम्मीद थी कि उन्हें शिशु मन्दिर और विद्या भारती की संस्थाएं चलाने का लम्बा अनुभव है, जब 1952 में गोरखपुर में पहला शिशु मन्दिर खुला था। आज उनकी हजारों शिक्षण संस्थाएं चल रही हैं, लेकिन सरकारी शिक्षा को उसका क्या लाभ मिला।
By Daya Sagar
कोविड महामारी के कारण शिक्षा जगत पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। वहीं नई शिक्षा नीति लागू होने के कारण भी कई तरह के नए बदलाव हुए हैं और आगे भी होने हैं। ऐसे में शिक्षा जगत को बजट से काफी उम्मीदें थीं।
कोविड महामारी के कारण शिक्षा जगत पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। वहीं नई शिक्षा नीति लागू होने के कारण भी कई तरह के नए बदलाव हुए हैं और आगे भी होने हैं। ऐसे में शिक्षा जगत को बजट से काफी उम्मीदें थीं।