होली पर थोड़ी सी सावधानी बरतकर रख सकते हैं घर की दीवारों को बेदाग
होली पर थोड़ी सी सावधानी बरतकर रख सकते हैं घर की दीवारों को बेदाग

By Sanjay Srivastava

Badrinath: From Holy Dham to a Smart Dham, via shopping plazas and a riverfront
Badrinath: From Holy Dham to a Smart Dham, via shopping plazas and a riverfront

By Anoop Nautiyal

Transformation of Badrinath in Uttarakhand into a Smart Dham is being executed by people who neither have any knowledge about the Himalayas, nor about the environment or the geological structure of the local landscape.

Transformation of Badrinath in Uttarakhand into a Smart Dham is being executed by people who neither have any knowledge about the Himalayas, nor about the environment or the geological structure of the local landscape.

Dried flowers, fire, and merry making mark the Holi of Adivasis in Chhattisgarh
Dried flowers, fire, and merry making mark the Holi of Adivasis in Chhattisgarh

By गाँव कनेक्शन

To mark the advent of spring and Holi, tribal communities in Chhattisgarh joyfully welcome spring with colours they have made from palash flowers in the age-old tradition.

To mark the advent of spring and Holi, tribal communities in Chhattisgarh joyfully welcome spring with colours they have made from palash flowers in the age-old tradition.

होली पर गांवों में आज भी बजती है 'नगड़िया', ग्रामीण छेड़ते हैं फाग का राग
होली पर गांवों में आज भी बजती है 'नगड़िया', ग्रामीण छेड़ते हैं फाग का राग

By Sachin Tulsa tripathi

मध्य प्रदेश के बघेलखंड में होली नजदीक आते ही डुग...डुग... की आवाज गांवों के गली-कूचों में सुनाई देने लगती है। यह आवाज नगड़िया की है। इस शुद्ध बघेली वाद्य यंत्र की धुन के साथ फाग का गाना आज भी शुभ माना जाता है।

मध्य प्रदेश के बघेलखंड में होली नजदीक आते ही डुग...डुग... की आवाज गांवों के गली-कूचों में सुनाई देने लगती है। यह आवाज नगड़िया की है। इस शुद्ध बघेली वाद्य यंत्र की धुन के साथ फाग का गाना आज भी शुभ माना जाता है।

Herbal Holi With Colours Made of Beetroots, Spinach And Marigolds
Herbal Holi With Colours Made of Beetroots, Spinach And Marigolds

By Sumit Yadav

A women-led self help group in Unnao, Uttar Pradesh, prepares colours extracted from fruits, vegetables and flowers to sell as gulal for Holi that is round the corner.

A women-led self help group in Unnao, Uttar Pradesh, prepares colours extracted from fruits, vegetables and flowers to sell as gulal for Holi that is round the corner.

सिर्फ बरसाना ही नहीं, बुंदेलखंड में भी होती है दिलचस्प लट्ठमार होली
सिर्फ बरसाना ही नहीं, बुंदेलखंड में भी होती है दिलचस्प लट्ठमार होली

By गाँव कनेक्शन

इस होली अपने साथ ही अपने आस पास के पशुओं का भी रखें ख्याल
इस होली अपने साथ ही अपने आस पास के पशुओं का भी रखें ख्याल

By Gaon Connection

रंगों के त्योहार होली का हम हर साल इंतज़ार करते हैं, गाँव और शहर में हुड़दंग मचा रहता है; लेकिन इस दौरान अपने आसपास के पशुओं का ध्यान रखना न भूलें।

रंगों के त्योहार होली का हम हर साल इंतज़ार करते हैं, गाँव और शहर में हुड़दंग मचा रहता है; लेकिन इस दौरान अपने आसपास के पशुओं का ध्यान रखना न भूलें।

एक बार फिर याद करते हैं होली की कुछ खोई हुई कहानियां
एक बार फिर याद करते हैं होली की कुछ खोई हुई कहानियां

By Deepak Heera Rangnath

हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई कहानी जरुर होती है, ऐसा ही एक त्यौहार होली जिससे जुड़ी कई कहानियां भी हैं, जिन्हें हम बचपन से सुनते और पढ़ते आ रहे हैं, आज बात करते हैं उन्हीं कहानियों की ...

हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई कहानी जरुर होती है, ऐसा ही एक त्यौहार होली जिससे जुड़ी कई कहानियां भी हैं, जिन्हें हम बचपन से सुनते और पढ़ते आ रहे हैं, आज बात करते हैं उन्हीं कहानियों की ...

होली की 200 साल पुरानी परंपरा: जहाँ टूट जाती हैं जाति-धर्म की दीवारें
होली की 200 साल पुरानी परंपरा: जहाँ टूट जाती हैं जाति-धर्म की दीवारें

By Ashwani Kumar Dwivedi

जैदी मंजिल में गुझिया की महक, ढोलक और मजीरा की थाप पर भांग की ठंडाई में डूबे रंग बिरंगे होरियारो के 'बिरहा गीतों' की महफ़िल सजती है; जो एक दूसरे को गले लगकर होली मुबारक के साथ पूरी होती है।

जैदी मंजिल में गुझिया की महक, ढोलक और मजीरा की थाप पर भांग की ठंडाई में डूबे रंग बिरंगे होरियारो के 'बिरहा गीतों' की महफ़िल सजती है; जो एक दूसरे को गले लगकर होली मुबारक के साथ पूरी होती है।

तब होली कोई दो दिनों की बात न थी…
तब होली कोई दो दिनों की बात न थी…

By Pooja Vrat Gupta

‘पानी बचाना है’ ये ख़्याल तब कहाँ किसी बुद्धिजीवी के दिमाग में आया था इसलिए होली से कई दिन पहले चबूतरों और छतों पर पानी के ड्रम भरकर रख दिये जाते। क्योंकि तब होली कोई दो दिनों की बात तो थी नहीं।

‘पानी बचाना है’ ये ख़्याल तब कहाँ किसी बुद्धिजीवी के दिमाग में आया था इसलिए होली से कई दिन पहले चबूतरों और छतों पर पानी के ड्रम भरकर रख दिये जाते। क्योंकि तब होली कोई दो दिनों की बात तो थी नहीं।

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