By Gaon Connection
गाँव कनेक्शन ने अब तक का अपना सबसे मजबूत वित्तीय प्रदर्शन करते हुए लाभकारी कंपनी बनने के साथ ही इस वर्ष ऐतिहासिक ग्रोथ दर्ज की। 31 मार्च, 2025 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी को 5.33 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 350% ज्यादा रही। कंपनी ने साबित किया कि उद्देश्य और लाभ दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।
गाँव कनेक्शन ने अब तक का अपना सबसे मजबूत वित्तीय प्रदर्शन करते हुए लाभकारी कंपनी बनने के साथ ही इस वर्ष ऐतिहासिक ग्रोथ दर्ज की। 31 मार्च, 2025 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी को 5.33 करोड़ राजस्व की प्राप्ति हुई, जो पिछले वित्तीय वर्ष से 350% ज्यादा रही। कंपनी ने साबित किया कि उद्देश्य और लाभ दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।
By Savita Devi
A teacher from rural India writes about her experiences of teaching students in villages. She mentions that the respect and affection which children in the rural hinterland have for their teachers is simply unmatched in an urban setting.
A teacher from rural India writes about her experiences of teaching students in villages. She mentions that the respect and affection which children in the rural hinterland have for their teachers is simply unmatched in an urban setting.
By Reena Srivastava
Reena Srivastava, born in the small village Dariha Mohalla in Basti District of Uttar Pradesh, teaches mathematics as a lecturer at B.N. Inter College, Akbarpur, Ambedkar Nagar, Uttar Pradesh since 2021. Here is her account of how she became a lecturer.
Reena Srivastava, born in the small village Dariha Mohalla in Basti District of Uttar Pradesh, teaches mathematics as a lecturer at B.N. Inter College, Akbarpur, Ambedkar Nagar, Uttar Pradesh since 2021. Here is her account of how she became a lecturer.
By Abhishek Shukla
अभिषेक शुक्ला सीतापुर जिले के सहजापुर प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हैं। उन्होंने पढ़ाई के लिए कई प्रयोग किए हैं, इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है। टीचर्स डायरी में वो खुद अपना अनुभव साझा कर रहे हैं।
अभिषेक शुक्ला सीतापुर जिले के सहजापुर प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हैं। उन्होंने पढ़ाई के लिए कई प्रयोग किए हैं, इसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया है। टीचर्स डायरी में वो खुद अपना अनुभव साझा कर रहे हैं।
By Mamta Singh
ममता सिंह, उच्च प्राथमिक विद्यालय, नरायनपुर, अमेठी की प्रधानाध्यापिका हैं, टीचर्स डायरी में शिक्षक दिवस के दिन का किस्सा साझा कर रहीं हैं।
ममता सिंह, उच्च प्राथमिक विद्यालय, नरायनपुर, अमेठी की प्रधानाध्यापिका हैं, टीचर्स डायरी में शिक्षक दिवस के दिन का किस्सा साझा कर रहीं हैं।
By Anuj Mishra
A rural resident reminisces about the fond memories of his teacher whose understanding of child psychology helped him pacify his anger. The reporter recalls that had his teacher not been supportive of him in his formative years, his growing anger would have derailed his life.
A rural resident reminisces about the fond memories of his teacher whose understanding of child psychology helped him pacify his anger. The reporter recalls that had his teacher not been supportive of him in his formative years, his growing anger would have derailed his life.
By गाँव कनेक्शन
गाँव कनेक्शन की ख़ास मुहिम टीचर कनेक्शन के एक साल पूरे हो गए, ये प्रयास शिक्षकों के बिना कभी सफ़ल नहीं हो पाता, इस विशेष मौके पर देश भर से शिक्षकों ने संदेश भेजें हैं।
गाँव कनेक्शन की ख़ास मुहिम टीचर कनेक्शन के एक साल पूरे हो गए, ये प्रयास शिक्षकों के बिना कभी सफ़ल नहीं हो पाता, इस विशेष मौके पर देश भर से शिक्षकों ने संदेश भेजें हैं।
By Shweta Dixit
श्वेता दीक्षित बुलंदशहर के सलेमपुर कायस्थ गाँव के प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका हैं, उनके स्कूल में बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं दिया जाता है, बल्कि कई तरह के हुनर भी सिखाया जाता है।
श्वेता दीक्षित बुलंदशहर के सलेमपुर कायस्थ गाँव के प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापिका हैं, उनके स्कूल में बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं दिया जाता है, बल्कि कई तरह के हुनर भी सिखाया जाता है।
By Rakhi Agarwal
राखी अग्रवाल, यूपी के संभल ज़िले के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका हैं, पिछले कुछ साल से उनके प्रयासों से स्कूल की तस्वीर बदल गई है। टीचर्स डायरी में वो अपनी उसी यात्रा की कहानी साझा कर रहीं हैं।
राखी अग्रवाल, यूपी के संभल ज़िले के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका हैं, पिछले कुछ साल से उनके प्रयासों से स्कूल की तस्वीर बदल गई है। टीचर्स डायरी में वो अपनी उसी यात्रा की कहानी साझा कर रहीं हैं।
By Siddharth Kumar Mishra
सिद्धार्थ कुमार मिश्रा ने दक्षिण कोरिया के गाचोन विश्वविद्यालय के नेशनल कैंसर सेंटर में डॉक्टरेट के बाद का शोध किया। उनके पास एक आरामदायक जिंदगी और अच्छी सैलरी वाली नौकरी थी, जिसे उन्होंने भारत में छात्रों को पढ़ाने और ग्रामीण भारत में कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए छोड़ दिया।
सिद्धार्थ कुमार मिश्रा ने दक्षिण कोरिया के गाचोन विश्वविद्यालय के नेशनल कैंसर सेंटर में डॉक्टरेट के बाद का शोध किया। उनके पास एक आरामदायक जिंदगी और अच्छी सैलरी वाली नौकरी थी, जिसे उन्होंने भारत में छात्रों को पढ़ाने और ग्रामीण भारत में कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए छोड़ दिया।