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उत्तराखंड: पुष्कर सिंह धामी ने ली 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ, रितु खंडूरी बनीं पहली महिला स्पीकर
उत्तराखंड: पुष्कर सिंह धामी ने ली 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ, रितु खंडूरी बनीं पहली महिला स्पीकर

By गाँव कनेक्शन

उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, शपथ ग्रहण कार्यक्रम में आठ और मंत्रियों ने भी मंत्री पद शपथ ली।

उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, शपथ ग्रहण कार्यक्रम में आठ और मंत्रियों ने भी मंत्री पद शपथ ली।

उत्तराखंड के परंपरागत लकड़ी के घर, दशकों बाद आज भी वैसे ही मजबूत
उत्तराखंड के परंपरागत लकड़ी के घर, दशकों बाद आज भी वैसे ही मजबूत

By Robin Singh Chauhan

धरती धंसती रही, सरकार सोती रही
धरती धंसती रही, सरकार सोती रही

By Anoop Nautiyal

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और टिहरी जिले देश के सबसे अधिक भूस्खलन खतरे वाले 147 जिलों में से पहले और दूसरे स्थान पर हैं। 2015 के बाद से, हिमालयी राज्य में कम से कम 3,601 बड़े भूस्खलन की घटनाएँ सामने आई हैं।

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और टिहरी जिले देश के सबसे अधिक भूस्खलन खतरे वाले 147 जिलों में से पहले और दूसरे स्थान पर हैं। 2015 के बाद से, हिमालयी राज्य में कम से कम 3,601 बड़े भूस्खलन की घटनाएँ सामने आई हैं।

किसानों को नुकसान से बचा सकती है उत्तराखंड के पहाड़ी जिले चमोली में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा
किसानों को नुकसान से बचा सकती है उत्तराखंड के पहाड़ी जिले चमोली में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा

By satyam kumar

2020-21 में, उत्तराखंड में 64,879.26 मीट्रिक टन से अधिक सेब और 3,67,309.04 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन किया गया, इसका एक बड़ा हिस्सा चमोली जिले में है। लेकिन कोल्ड स्टोरेज यूनिट नहीं होने के कारण किसान अपनी उपज बेहद कम दामों पर बेचने को मजबूर हैं। कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने से नुकसान कम किया जा सकता है और किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है

2020-21 में, उत्तराखंड में 64,879.26 मीट्रिक टन से अधिक सेब और 3,67,309.04 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन किया गया, इसका एक बड़ा हिस्सा चमोली जिले में है। लेकिन कोल्ड स्टोरेज यूनिट नहीं होने के कारण किसान अपनी उपज बेहद कम दामों पर बेचने को मजबूर हैं। कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने से नुकसान कम किया जा सकता है और किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है

उत्तराखंड चुनाव 2022: जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रहीं आपदाएं राजनीतिक दलों के लिए चुनावी एजेंडा नहीं हैं
उत्तराखंड चुनाव 2022: जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रहीं आपदाएं राजनीतिक दलों के लिए चुनावी एजेंडा नहीं हैं

By Sarah Khan

चमोली भूस्खलन से केदारनाथ बाढ़ तक, उत्तराखंड में हाल के दिनों में कई आपदाएं देखी गई हैं जिन्होंने एक बड़ी आबादी पर कहर बरपाया है। फिर भी किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल - भाजपा, कांग्रेस और आप - ने चुनावी मुद्दे के रूप में पर्यावरण संरक्षण को नहीं उठाया। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हिमालयी राज्य में बुनियादी ढांचे, निवेश और नीतियों पर काम करना महत्वपूर्ण है।

चमोली भूस्खलन से केदारनाथ बाढ़ तक, उत्तराखंड में हाल के दिनों में कई आपदाएं देखी गई हैं जिन्होंने एक बड़ी आबादी पर कहर बरपाया है। फिर भी किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल - भाजपा, कांग्रेस और आप - ने चुनावी मुद्दे के रूप में पर्यावरण संरक्षण को नहीं उठाया। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हिमालयी राज्य में बुनियादी ढांचे, निवेश और नीतियों पर काम करना महत्वपूर्ण है।

Uttarakhand celebrates the wedding of Shiva and Parvati today, during the Harela Festival
Uttarakhand celebrates the wedding of Shiva and Parvati today, during the Harela Festival

By Megha Prakash

Eleven days of preparations lead to the Harela Festival where people pray to clay likenesses of gods and goddesses, and make them delicious offerings for peace, prosperity and abundance of food grains.

Eleven days of preparations lead to the Harela Festival where people pray to clay likenesses of gods and goddesses, and make them delicious offerings for peace, prosperity and abundance of food grains.

उत्तराखंड के किसानों के लिए कृषि सलाह: कम लागत में बढ़िया उत्पादन के लिए खरीफ फसलों की कब और कैसे करें बुवाई
उत्तराखंड के किसानों के लिए कृषि सलाह: कम लागत में बढ़िया उत्पादन के लिए खरीफ फसलों की कब और कैसे करें बुवाई

By गाँव कनेक्शन

कम लागत में बढ़िया उत्पादन के लिए कृषि वैज्ञानिक हमेशा अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों की बुवाई की सलाह देते हैं, उत्तराखंड में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के हिसाब से बुवाई के समय भी अलग है और किस्में भी अलग विकसित की गई हैं। इसलिए किसानों के लिए जानना जरूरी हो जाता है कि कब और कैसे बुवाई करें।

कम लागत में बढ़िया उत्पादन के लिए कृषि वैज्ञानिक हमेशा अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों की बुवाई की सलाह देते हैं, उत्तराखंड में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के हिसाब से बुवाई के समय भी अलग है और किस्में भी अलग विकसित की गई हैं। इसलिए किसानों के लिए जानना जरूरी हो जाता है कि कब और कैसे बुवाई करें।

केरल और उत्तराखंड को लगातार भारी बारिश और आपदाओं का सामना क्यों करना पड़ रहा है?
केरल और उत्तराखंड को लगातार भारी बारिश और आपदाओं का सामना क्यों करना पड़ रहा है?

By Gaon Connection

केरल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ हो या फिर भुस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं, गाँव कैफे में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ऐसी आपदाओं के बढ़ने के कारण को समझा रहे हैं।

केरल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ हो या फिर भुस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं, गाँव कैफे में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ऐसी आपदाओं के बढ़ने के कारण को समझा रहे हैं।

WATCH: केरल और उत्तराखंड को लगातार भारी बारिश और आपदाओं का सामना क्यों करना पड़ रहा है?
WATCH: केरल और उत्तराखंड को लगातार भारी बारिश और आपदाओं का सामना क्यों करना पड़ रहा है?

By गाँव कनेक्शन

केरल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ हो या फिर भुस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं, गाँव कैफे में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ऐसी आपदाओं के बढ़ने के कारण को समझा रहे हैं।

केरल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ हो या फिर भुस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं, गाँव कैफे में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ऐसी आपदाओं के बढ़ने के कारण को समझा रहे हैं।

एपीडा की पहल से उत्तराखंड में करेला जैसी सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को होगा फायदा
एपीडा की पहल से उत्तराखंड में करेला जैसी सब्जियों की खेती करने वाले किसानों को होगा फायदा

By गाँव कनेक्शन

उत्तराखंड के किसानों की उगायी सब्जियों की पहली खेफ संयुक्त अरब अमीरात के दुबई को निर्यात की गई।

उत्तराखंड के किसानों की उगायी सब्जियों की पहली खेफ संयुक्त अरब अमीरात के दुबई को निर्यात की गई।

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