By गाँव कनेक्शन
The research shows that at the cost of about 1 per cent of the world GDP, the global water challenges can be solved at 29 cents per person, per day from 2015 to 2030. “What’s missing is the political will and financial backing to make these cost-effective solutions a reality,” it noted.
The research shows that at the cost of about 1 per cent of the world GDP, the global water challenges can be solved at 29 cents per person, per day from 2015 to 2030. “What’s missing is the political will and financial backing to make these cost-effective solutions a reality,” it noted.
By गाँव कनेक्शन
डब्ल्यूआरआई इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में खाने की बर्बादी और अपशिष्ट के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय पहलुओं को काफी हद तक अनदेखा किया गया है। भारत में खाद्य नुकसान और कचरे के प्रबंधन के लिए एक रोडमैप विकसित करने की जरूरत है।
डब्ल्यूआरआई इंडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में खाने की बर्बादी और अपशिष्ट के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय पहलुओं को काफी हद तक अनदेखा किया गया है। भारत में खाद्य नुकसान और कचरे के प्रबंधन के लिए एक रोडमैप विकसित करने की जरूरत है।
By Kushal Mishra
By Bidyut Majumdar
Several blocks in India’s most flood-prone state experience groundwater scarcity. Paani Samitis can promote efficient use of water for irrigation, improve access to potable water, and promote adoption of indigenous water conservation practices.
Several blocks in India’s most flood-prone state experience groundwater scarcity. Paani Samitis can promote efficient use of water for irrigation, improve access to potable water, and promote adoption of indigenous water conservation practices.
By Diti Bajpai
By Vishwajeet Poojary, Nivedita Cholayil and Shreyas Joshi
एग्रीवोल्टाइक को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एक जन-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जो हितधारकों की धारणाओं, कौशल विकास, और समान लाभ-वितरण तंत्रों पर केंद्रित हो। यह कृषि भूमि के बेहतर उपयोग के साथ एग्रीवोल्टाइक को लागू करने और भारत के ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा, जिससे किसानों और ग्रामीण समुदायों की मदद हो सके।
एग्रीवोल्टाइक को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एक जन-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जो हितधारकों की धारणाओं, कौशल विकास, और समान लाभ-वितरण तंत्रों पर केंद्रित हो। यह कृषि भूमि के बेहतर उपयोग के साथ एग्रीवोल्टाइक को लागू करने और भारत के ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा लक्ष्यों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा, जिससे किसानों और ग्रामीण समुदायों की मदद हो सके।
By Madhu Verma
Providing a green premium to farmers and exploring other incentive-based mechanisms will help bridge the gap between chemical and nature-based farming. Consumer perception increasingly favours chemical-free farming, and good marketing helps farmers get a better return on organic produce.
Providing a green premium to farmers and exploring other incentive-based mechanisms will help bridge the gap between chemical and nature-based farming. Consumer perception increasingly favours chemical-free farming, and good marketing helps farmers get a better return on organic produce.
By गाँव कनेक्शन
यह देखते हुए कि भारत की 70% आबादी अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, मनरेगा भारत में जलवायु परिवर्तनशील विकास को लागत-प्रभावी तरीके से परिवर्तित करने में मदद कर सकता है। हालांकि यह कार्य बहुत ही चुनौतीपूर्ण है।
यह देखते हुए कि भारत की 70% आबादी अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है, मनरेगा भारत में जलवायु परिवर्तनशील विकास को लागत-प्रभावी तरीके से परिवर्तित करने में मदद कर सकता है। हालांकि यह कार्य बहुत ही चुनौतीपूर्ण है।
By Pankaja Srinivasan
ग्लासगो में चल रहे COP26 में सौ से अधिक देशों ने 2030 तक वनों की कटाई पर पूर्ण पाबंदी और दुनिया भर में महत्वपूर्ण वन क्षेत्रों को संरक्षित करने का संकल्प लिया है। हालांकि भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। लेकिन, तमिलनाडु के वन विभाग ने वन क्षेत्र को 24 प्रतिशत से बढ़ाकर 34 प्रतिशत करने, सौ से ज्यादा विभिन्न देशी प्रजाति के पौधों को बहाल करने और अगले दस सालों तक, हर साल 33 करोड़ पेड़ लगाने की एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। पर्यावरण और वन, तमिलनाडु, की प्रधान सचिव सुप्रिया साहू ने इस योजना को लेकर गांव कनेक्शन से बातचीत की।
ग्लासगो में चल रहे COP26 में सौ से अधिक देशों ने 2030 तक वनों की कटाई पर पूर्ण पाबंदी और दुनिया भर में महत्वपूर्ण वन क्षेत्रों को संरक्षित करने का संकल्प लिया है। हालांकि भारत ने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। लेकिन, तमिलनाडु के वन विभाग ने वन क्षेत्र को 24 प्रतिशत से बढ़ाकर 34 प्रतिशत करने, सौ से ज्यादा विभिन्न देशी प्रजाति के पौधों को बहाल करने और अगले दस सालों तक, हर साल 33 करोड़ पेड़ लगाने की एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है। पर्यावरण और वन, तमिलनाडु, की प्रधान सचिव सुप्रिया साहू ने इस योजना को लेकर गांव कनेक्शन से बातचीत की।