By Arun Mishra
By गाँव कनेक्शन
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारत ने अप्रैल-अक्टूबर 2021 से 114 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य के खीरे का निर्यात किया, जबकि 2020-21 में निर्यात 200 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक हुआ।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारत ने अप्रैल-अक्टूबर 2021 से 114 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य के खीरे का निर्यात किया, जबकि 2020-21 में निर्यात 200 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक हुआ।
By vineet bajpai
By Virendra Singh
By India Science Wire
पौधों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होने के बावजूद कुछ आवश्यक अमीनो एसिड अक्सर पादप उत्पादों में मौजूद नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए दालों को ले सकते हैं, जो भारतीय शाकाहारी भोजन में शामिल प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत मानी जाती हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि दालों में सभी जरूरी अमीनो एसिड मौजूद नहीं होते हैं।
पौधों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होने के बावजूद कुछ आवश्यक अमीनो एसिड अक्सर पादप उत्पादों में मौजूद नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए दालों को ले सकते हैं, जो भारतीय शाकाहारी भोजन में शामिल प्रोटीन का एक प्रमुख स्रोत मानी जाती हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि दालों में सभी जरूरी अमीनो एसिड मौजूद नहीं होते हैं।
By Ashwani Nigam
By गाँव कनेक्शन
By Divendra Singh
By Gaon Connection
देश में फल-सब्जियों जैसी बागवानी फ़सलों का रकबा तो बढ़ है, लेकिन इस बार उत्पादन पिछले साल के मुकाबले कम हो गया है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने विभिन्न बागवानी फसलों के क्षेत्रफल और उत्पादन का 2023-24 का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया है।
देश में फल-सब्जियों जैसी बागवानी फ़सलों का रकबा तो बढ़ है, लेकिन इस बार उत्पादन पिछले साल के मुकाबले कम हो गया है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने विभिन्न बागवानी फसलों के क्षेत्रफल और उत्पादन का 2023-24 का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया है।
By Ahsaan Ali
नदरू या कमल ककड़ी, कश्मीरी व्यंजनों का एक जरूरी हिस्सा होता है। इसके बीज एक बार बोए जाते हैं और सालों-साल फसल मिलती रहती है। इसकी कटाई का मौसम सितंबर से मार्च के बीच होता है, जब किसानों का पूरा दिन डल, अंचार और मानसबल जैसी झीलों में नदरू इकट्ठा करने में बीतता है।
नदरू या कमल ककड़ी, कश्मीरी व्यंजनों का एक जरूरी हिस्सा होता है। इसके बीज एक बार बोए जाते हैं और सालों-साल फसल मिलती रहती है। इसकी कटाई का मौसम सितंबर से मार्च के बीच होता है, जब किसानों का पूरा दिन डल, अंचार और मानसबल जैसी झीलों में नदरू इकट्ठा करने में बीतता है।