By Sumit Yadav
पिछले 150 वर्षों से, उन्नाव जिले में छह दिन बाद अपना दशहरा उत्सव मनाया जाता है। देर से मनाने के पीछे इसके दो पड़ोसी शहर लखनऊ और कानपुर है, जानिए क्या है देर से दशहरा मनाने की वजह।
पिछले 150 वर्षों से, उन्नाव जिले में छह दिन बाद अपना दशहरा उत्सव मनाया जाता है। देर से मनाने के पीछे इसके दो पड़ोसी शहर लखनऊ और कानपुर है, जानिए क्या है देर से दशहरा मनाने की वजह।
By Divendra Singh
पूरे देश में दशहरे के दिन रावण के साथ ही कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं, लखनऊ के ऐतिहासिक दशहरे मेले में भी यही परंपरा लगभग 300 वर्षों से चली आ रही है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।
पूरे देश में दशहरे के दिन रावण के साथ ही कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं, लखनऊ के ऐतिहासिक दशहरे मेले में भी यही परंपरा लगभग 300 वर्षों से चली आ रही है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।
By गाँव कनेक्शन
दुनिया भर में जहाँ भी दशहरा मनाया जाता है, वहाँ पर रावण के साथ कुंभकरण-मेघनाथ के पुतले भी जलाए जाते हैं, लेकिन लखनऊ में नई प्रथा शुरू हुई है सिर्फ रावण का पुतला जलाने की।
दुनिया भर में जहाँ भी दशहरा मनाया जाता है, वहाँ पर रावण के साथ कुंभकरण-मेघनाथ के पुतले भी जलाए जाते हैं, लेकिन लखनऊ में नई प्रथा शुरू हुई है सिर्फ रावण का पुतला जलाने की।
By Vinod Sharma
By Manvendra Singh
लखनऊ की ऐशबाग रामलीला पूरी दुनिया में मशहूर है, चलिए आज आपको मिला रहे हैं कुछ ऐसे ही लोगों से जिनकी वजह से रामलीला में रौनक आती है।
लखनऊ की ऐशबाग रामलीला पूरी दुनिया में मशहूर है, चलिए आज आपको मिला रहे हैं कुछ ऐसे ही लोगों से जिनकी वजह से रामलीला में रौनक आती है।
By Ishtyak Khan
By Mo. Amil
By गाँव कनेक्शन
By Ashwani Kumar Dwivedi
आजादी के बाद देश की लोकतान्त्रिक सरकार ने अखाड़ो की उपेक्षा की और नतीजतन देशी दांव -पेच सिखाने वाले देश के अधिकतर "अखाड़े" ख़त्म होनें कगार पर पहुच गए हैं।
आजादी के बाद देश की लोकतान्त्रिक सरकार ने अखाड़ो की उपेक्षा की और नतीजतन देशी दांव -पेच सिखाने वाले देश के अधिकतर "अखाड़े" ख़त्म होनें कगार पर पहुच गए हैं।
By Virendra Singh