By Rajeev Shukla
By गाँव कनेक्शन
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना सिंचाई विभाग के साथ-साथ भारत सरकार की महत्वाकांक्षी नदी घाटी जोड़ो परियोजना से भी जुड़ती है। इसके जरिए घाघरा, सरयू, राप्ती, बाण गंगा और रोहिन नदी को भी जोड़ना है। इससे इन जिलों में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या भी काफी हद कम हो जाएगी
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना सिंचाई विभाग के साथ-साथ भारत सरकार की महत्वाकांक्षी नदी घाटी जोड़ो परियोजना से भी जुड़ती है। इसके जरिए घाघरा, सरयू, राप्ती, बाण गंगा और रोहिन नदी को भी जोड़ना है। इससे इन जिलों में हर साल आने वाली बाढ़ की समस्या भी काफी हद कम हो जाएगी
By Gaon Connection
150 किलोमीटर लंबी कांची नदी नहर परियोजना जो झारखंड के तीन जिलों में 50,000 से अधिक किसानों के लिए सिंचाई का ज़रिया थी, लेकिन आज ये नहर जगह-जगह से टूट गई है। स्थिति ये है कि अब या तो साल में एक बार मानसून में एक फसल ले पाते हैं या फिर काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं। किसानों के अनुसार अगर ऐसे ही चलता रहा तो बहुत से किसान खेती करना छोड़ देंगे।
150 किलोमीटर लंबी कांची नदी नहर परियोजना जो झारखंड के तीन जिलों में 50,000 से अधिक किसानों के लिए सिंचाई का ज़रिया थी, लेकिन आज ये नहर जगह-जगह से टूट गई है। स्थिति ये है कि अब या तो साल में एक बार मानसून में एक फसल ले पाते हैं या फिर काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं। किसानों के अनुसार अगर ऐसे ही चलता रहा तो बहुत से किसान खेती करना छोड़ देंगे।
By Manoj Choudhary
150 किलोमीटर लंबी कांची नदी नहर परियोजना जो झारखंड के तीन जिलों में 50,000 से अधिक किसानों के लिए सिंचाई का ज़रिया थी, लेकिन आज ये नहर जगह-जगह से टूट गई है। स्थिति ये है कि अब या तो साल में एक बार मानसून में एक फसल ले पाते हैं या फिर काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं। किसानों के अनुसार अगर ऐसे ही चलता रहा तो बहुत से किसान खेती करना छोड़ देंगे।
150 किलोमीटर लंबी कांची नदी नहर परियोजना जो झारखंड के तीन जिलों में 50,000 से अधिक किसानों के लिए सिंचाई का ज़रिया थी, लेकिन आज ये नहर जगह-जगह से टूट गई है। स्थिति ये है कि अब या तो साल में एक बार मानसून में एक फसल ले पाते हैं या फिर काम की तलाश में पलायन कर रहे हैं। किसानों के अनुसार अगर ऐसे ही चलता रहा तो बहुत से किसान खेती करना छोड़ देंगे।
By गाँव कनेक्शन
दशकों के इंतजार के बाद, उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के मड़िहान ब्लॉक में किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा है, क्योंकि बाणसागर नहर का मेजा-जरगो खंड, चालू हो गया है। गांव कनेक्शन ने हाल ही में इन किसानों की परेशानी को प्रकाशित किया था।
दशकों के इंतजार के बाद, उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के मड़िहान ब्लॉक में किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा है, क्योंकि बाणसागर नहर का मेजा-जरगो खंड, चालू हो गया है। गांव कनेक्शन ने हाल ही में इन किसानों की परेशानी को प्रकाशित किया था।
By Gaon Connection
चंदौली जिले में 300 बीघा से अधिक कटाई के लिए तैयार गेहूं की फसल में पानी भर गया है, क्योंकि वरिला-माइनर नहर ओवरफ्लो हो गई है। किसानों की शिकायत है कि दशकों से नहर पर कोई रखरखाव का काम नहीं किया गया है, जो जगह-जगह दरारों और भारी गाद के कारण उनके खेत पानी में डूब गए हैं।
चंदौली जिले में 300 बीघा से अधिक कटाई के लिए तैयार गेहूं की फसल में पानी भर गया है, क्योंकि वरिला-माइनर नहर ओवरफ्लो हो गई है। किसानों की शिकायत है कि दशकों से नहर पर कोई रखरखाव का काम नहीं किया गया है, जो जगह-जगह दरारों और भारी गाद के कारण उनके खेत पानी में डूब गए हैं।
By Pavan Kumar Maurya
चंदौली जिले में 300 बीघा से अधिक कटाई के लिए तैयार गेहूं की फसल में पानी भर गया है, क्योंकि वरिला-माइनर नहर ओवरफ्लो हो गई है। किसानों की शिकायत है कि दशकों से नहर पर कोई रखरखाव का काम नहीं किया गया है, जो जगह-जगह दरारों और भारी गाद के कारण उनके खेत पानी में डूब गए हैं।
चंदौली जिले में 300 बीघा से अधिक कटाई के लिए तैयार गेहूं की फसल में पानी भर गया है, क्योंकि वरिला-माइनर नहर ओवरफ्लो हो गई है। किसानों की शिकायत है कि दशकों से नहर पर कोई रखरखाव का काम नहीं किया गया है, जो जगह-जगह दरारों और भारी गाद के कारण उनके खेत पानी में डूब गए हैं।
By गाँव कनेक्शन
By गाँव कनेक्शन
By Tejaswita Upadhyay
उत्तर प्रदेश के मऊ और बलिया जिले के बीच साल 1952 में 60 किलोमीटर लंबी पक्की कैनाल (छोटी नहर) बनी थी, मोटर के पंप से इस नहर में सरयू नदी से पानी डाला जाता था, हजारों किसानों को फायदा मिलता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कैनाल की स्थिति दयनीय हो गई है। दीवारें टूट रही हैं, समय पर पानी नहीं आ रहा है। क्षेत्र के किसान परेशान हैं।
उत्तर प्रदेश के मऊ और बलिया जिले के बीच साल 1952 में 60 किलोमीटर लंबी पक्की कैनाल (छोटी नहर) बनी थी, मोटर के पंप से इस नहर में सरयू नदी से पानी डाला जाता था, हजारों किसानों को फायदा मिलता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में कैनाल की स्थिति दयनीय हो गई है। दीवारें टूट रही हैं, समय पर पानी नहीं आ रहा है। क्षेत्र के किसान परेशान हैं।