By Divendra Singh
दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?
दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?
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By Priya chaursiya
By Dr SB Misra
आज के समय में गाँव-गाँव में प्राइमरी स्कूल खुले हैं और हर पंचायत में एक सीनियर प्राइमरी यानी कक्षा 6, 7, 8 के लिए विद्यालय मौजूद है। पहले की अपेक्षा अच्छे भवन हैं, अधिक संख्या में अध्यापक, कुर्सी, मेज, ब्लैकबोर्ड सब कुछ है। लेकिन फिर भी शिक्षा का स्तर दयनीय है।
आज के समय में गाँव-गाँव में प्राइमरी स्कूल खुले हैं और हर पंचायत में एक सीनियर प्राइमरी यानी कक्षा 6, 7, 8 के लिए विद्यालय मौजूद है। पहले की अपेक्षा अच्छे भवन हैं, अधिक संख्या में अध्यापक, कुर्सी, मेज, ब्लैकबोर्ड सब कुछ है। लेकिन फिर भी शिक्षा का स्तर दयनीय है।
By गाँव कनेक्शन
सर्वे: कोविड-19 महामारी ने बच्चों की पढ़ाई पर गंभीर प्रतिकूल असर डाला है। ज्यादातर राज्यों के स्कूल 500 से ज्यादा दिन बंद रहे। एक स्कूल सर्वे में बताया गया है कि कैसे 17 महीने की स्कूल बंदी का बच्चों पर क्या असर पड़ा है। कैसे ग्रामीण भारत के बच्चे इस दौरान शिक्षा से दूर हो हो गए।
सर्वे: कोविड-19 महामारी ने बच्चों की पढ़ाई पर गंभीर प्रतिकूल असर डाला है। ज्यादातर राज्यों के स्कूल 500 से ज्यादा दिन बंद रहे। एक स्कूल सर्वे में बताया गया है कि कैसे 17 महीने की स्कूल बंदी का बच्चों पर क्या असर पड़ा है। कैसे ग्रामीण भारत के बच्चे इस दौरान शिक्षा से दूर हो हो गए।
By गाँव कनेक्शन
By Daya Sagar
घर पर कंप्यूटर या पर्याप्त संख्या में मोबाइल ना होने के कारण जहां ऑनलाइन पढ़ाई में लड़कों को लड़कियों पर प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं कोरोना के कारण हुए आर्थिक तंगी के कारण लड़कियों की पढ़ाई छूटने का भी डर शामिल हो गया है।
घर पर कंप्यूटर या पर्याप्त संख्या में मोबाइल ना होने के कारण जहां ऑनलाइन पढ़ाई में लड़कों को लड़कियों पर प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं कोरोना के कारण हुए आर्थिक तंगी के कारण लड़कियों की पढ़ाई छूटने का भी डर शामिल हो गया है।
By Daya Sagar
बिहार बोर्ड की मैट्रिक (10वीं) परीक्षा परिणाम की टॉपर्स लिस्ट में अधिकतर बच्चे कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के हैं और किसानों और मजदूरों के संतान हैं। इन बच्चों ने एक बार फिर यह साबित किया है कि प्रतिभाएं संसाधनों की मोहताज नहीं होती। अब इन बच्चों और उनके अभिभावकों को सरकार और प्रशासन से मदद की दरकार है ताकि बच्चों की आगे की पढ़ाई भी जारी रहे।
बिहार बोर्ड की मैट्रिक (10वीं) परीक्षा परिणाम की टॉपर्स लिस्ट में अधिकतर बच्चे कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के हैं और किसानों और मजदूरों के संतान हैं। इन बच्चों ने एक बार फिर यह साबित किया है कि प्रतिभाएं संसाधनों की मोहताज नहीं होती। अब इन बच्चों और उनके अभिभावकों को सरकार और प्रशासन से मदद की दरकार है ताकि बच्चों की आगे की पढ़ाई भी जारी रहे।
By Daya Sagar
By Ashwani Kumar Dwivedi
उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के परिवारों के लिए पढ़ाई, कम्प्यूटर कोर्स से लेकर शादी तक के लिए आर्थिक मदद मिलती है; जानिए क्या है योजनाएँ और कैसे आवेदन कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के परिवारों के लिए पढ़ाई, कम्प्यूटर कोर्स से लेकर शादी तक के लिए आर्थिक मदद मिलती है; जानिए क्या है योजनाएँ और कैसे आवेदन कर सकते हैं।