By Manoj Bhawuk
छठ पूजा की सबसे बड़ी सुंदरता इसकी लोकभाषा और लोक-संगीत में है। छठी मइया को गीतों में संवाद पसंद है, संस्कृत के गूढ़ मंत्रों में नहीं। यही कारण है कि घर से घाट तक की यात्रा गीतों से भरी होती है
छठ पूजा की सबसे बड़ी सुंदरता इसकी लोकभाषा और लोक-संगीत में है। छठी मइया को गीतों में संवाद पसंद है, संस्कृत के गूढ़ मंत्रों में नहीं। यही कारण है कि घर से घाट तक की यात्रा गीतों से भरी होती है
By Prakash Singh
देश भर में छठ महापर्व मनाया गया, देश ही नहीं विदेशों में भी लोग छठ मनाते हैं, तस्वीरों में देखिए कैसे मनाया गया उत्तर प्रदेश के नोएडा में यमुना नदी के किनारे छठ पर्व
देश भर में छठ महापर्व मनाया गया, देश ही नहीं विदेशों में भी लोग छठ मनाते हैं, तस्वीरों में देखिए कैसे मनाया गया उत्तर प्रदेश के नोएडा में यमुना नदी के किनारे छठ पर्व
By Vivek Shukla
गवरी त्योहार: राजस्थान अपने रजवाड़े, संस्कृति, संगीत और खानपान के लिए जाना जाता है। ऐसे ही यहां एक खास प्रकार का पर्व मनाया जाता है, जिसका नाम 'गवरी' है। गवरी को खासतौर पर आदिवासी के भील समुदाय के लोग सदियों से मनाते आ रहे हैं।
गवरी त्योहार: राजस्थान अपने रजवाड़े, संस्कृति, संगीत और खानपान के लिए जाना जाता है। ऐसे ही यहां एक खास प्रकार का पर्व मनाया जाता है, जिसका नाम 'गवरी' है। गवरी को खासतौर पर आदिवासी के भील समुदाय के लोग सदियों से मनाते आ रहे हैं।
By Bheem kumar
By गाँव कनेक्शन
असम में बोहाग बिहू, तमिलनाडु में पुथंडू, पणा संक्रांति, बिहार के मिथिलांचल में जुड़-शीतल मनाया जा रहा है, तो वहीं बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में आज सतुआन पर्व भी मनाया जा रहा है।
असम में बोहाग बिहू, तमिलनाडु में पुथंडू, पणा संक्रांति, बिहार के मिथिलांचल में जुड़-शीतल मनाया जा रहा है, तो वहीं बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में आज सतुआन पर्व भी मनाया जा रहा है।
By गाँव कनेक्शन
देश ही नहीं विदेशों में भी छठ पूजा की धूम रहती है, नदी और तालाब के घाटों की सफाई शुरू हो गई है, परदेस में रहने वाले गाँव आ गए हैं।
देश ही नहीं विदेशों में भी छठ पूजा की धूम रहती है, नदी और तालाब के घाटों की सफाई शुरू हो गई है, परदेस में रहने वाले गाँव आ गए हैं।
By Gaon Connection
देश ही नहीं विदेशों में भी छठ पूजा की धूम रहती है, नदी और तालाब के घाटों की सफाई शुरू हो गई है, परदेस में रहने वाले गाँव आ गए हैं।
देश ही नहीं विदेशों में भी छठ पूजा की धूम रहती है, नदी और तालाब के घाटों की सफाई शुरू हो गई है, परदेस में रहने वाले गाँव आ गए हैं।
By संजय कुमार श्रीवास्तव
By Manoj Choudhary
जनवरी और अप्रैल के बीच मनाया जाने वाला ‘हो’ जनजाति का ‘मागे पोरोब’ लगभग सात दिनों तक चलता है। गुरी परब के पहले दिन घरों को अच्छी तरह से साफ करके गाय के गोबर से लीपा जाता है। इसके बाद मवेशियों और कीड़ों की पूजा की जाती है। आदिवासी नदी में डुबकी लगाते हैं, अलाव जलाते हैं, दावते की जाती है और पारंपरिक नृत्य करके इस पर्व को जश्न की तरह मनाया जाता है।
जनवरी और अप्रैल के बीच मनाया जाने वाला ‘हो’ जनजाति का ‘मागे पोरोब’ लगभग सात दिनों तक चलता है। गुरी परब के पहले दिन घरों को अच्छी तरह से साफ करके गाय के गोबर से लीपा जाता है। इसके बाद मवेशियों और कीड़ों की पूजा की जाती है। आदिवासी नदी में डुबकी लगाते हैं, अलाव जलाते हैं, दावते की जाती है और पारंपरिक नृत्य करके इस पर्व को जश्न की तरह मनाया जाता है।
By Mo. Parvez