By Dr SB Misra
गाँव में आज भी चिकित्सा व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। 70% आबादी गाँवों में रहती है, लेकिन डॉक्टरों का सिर्फ़ 26% हिस्सा वहां उपलब्ध है। अस्पतालों की कमी, दवाइयों का अभाव, झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला और तेजी से बढ़ती शहरी बीमारियां, ग्रामीण स्वास्थ्य को बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी कर रही हैं।
गाँव में आज भी चिकित्सा व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। 70% आबादी गाँवों में रहती है, लेकिन डॉक्टरों का सिर्फ़ 26% हिस्सा वहां उपलब्ध है। अस्पतालों की कमी, दवाइयों का अभाव, झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला और तेजी से बढ़ती शहरी बीमारियां, ग्रामीण स्वास्थ्य को बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी कर रही हैं।
By Gaon Connection
राजस्थान–हरियाणा बॉर्डर के एक छोटे-से गाँव में एक सरपंच ने हॉकी स्टिक उठाई और पूरी पीढ़ी की ज़िंदगी बदल दी। नीरू यादव-हॉकी वाली सरपंच ने उन लड़कियों के सपनों को नई उड़ान दी, जो कभी घर की चारदीवारी में कैद थीं। बिना ग्राउंड, बिना किट और बिना सपोर्ट के शुरू हुआ यह सफ़र आज हज़ारों बेटियों को हिम्मत, उम्मीद और ड्रिबलिंग की असली शक्ति सिखा रहा है।
राजस्थान–हरियाणा बॉर्डर के एक छोटे-से गाँव में एक सरपंच ने हॉकी स्टिक उठाई और पूरी पीढ़ी की ज़िंदगी बदल दी। नीरू यादव-हॉकी वाली सरपंच ने उन लड़कियों के सपनों को नई उड़ान दी, जो कभी घर की चारदीवारी में कैद थीं। बिना ग्राउंड, बिना किट और बिना सपोर्ट के शुरू हुआ यह सफ़र आज हज़ारों बेटियों को हिम्मत, उम्मीद और ड्रिबलिंग की असली शक्ति सिखा रहा है।
By Gaon Connection
अलीनगर और मोकामा- बिहार चुनाव 2025 की दो सबसे चर्चित सीटों पर रुझानों ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। अलीनगर में बीजेपी उम्मीदवार और लोकप्रिय गायिका मैथिली ठाकुर लगातार बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि मोकामा में गिरफ्तारी के बावजूद अनंत सिंह फिर आगे चल रहे हैं।
अलीनगर और मोकामा- बिहार चुनाव 2025 की दो सबसे चर्चित सीटों पर रुझानों ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। अलीनगर में बीजेपी उम्मीदवार और लोकप्रिय गायिका मैथिली ठाकुर लगातार बढ़त बनाए हुए हैं, जबकि मोकामा में गिरफ्तारी के बावजूद अनंत सिंह फिर आगे चल रहे हैं।
By गाँव कनेक्शन
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By गाँव कनेक्शन
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By Pankaja Srinivasan
इस बार एक उपहार ने मेरे बचपन की दीपावली की याद दिला दी, जब दीपावली के उत्सव में कपड़े, पटाखे, लड्डू और मुरुक्कु (चकली) के साथ ही दीपावली लेह्यम भी जरूरी होता था। जोकि दीपावली में हमारे ढ़ेर सारे पकवानों को खाने के बाद भी हमारा खयाल रखता था।
इस बार एक उपहार ने मेरे बचपन की दीपावली की याद दिला दी, जब दीपावली के उत्सव में कपड़े, पटाखे, लड्डू और मुरुक्कु (चकली) के साथ ही दीपावली लेह्यम भी जरूरी होता था। जोकि दीपावली में हमारे ढ़ेर सारे पकवानों को खाने के बाद भी हमारा खयाल रखता था।
By गाँव कनेक्शन