By Divendra Singh
दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?
दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?
By Divendra Singh
बारह जनजातियाँ, चवालीस कलाकार, एक सपना-आदिवासी संगीत को उसके सही सम्मान तक पहुँचाना। ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ एक आंदोलन है, एक यात्रा है, एक बयान है।
बारह जनजातियाँ, चवालीस कलाकार, एक सपना-आदिवासी संगीत को उसके सही सम्मान तक पहुँचाना। ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ एक आंदोलन है, एक यात्रा है, एक बयान है।
By गाँव कनेक्शन
By Sanjay Srivastava
By Mithilesh Dhar
By Ashwani Nigam
By Manoj Choudhary
झारखंड के रांची और सिमडेगा जिलों में एक गैर-लाभकारी संस्था, ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन सैकड़ों हजारों ग्रामीणों के साथ काम कर रही है, ताकि उन्हें मुफ्त संस्थागत प्रसव सहित गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ दिलाया जा सके।
झारखंड के रांची और सिमडेगा जिलों में एक गैर-लाभकारी संस्था, ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन सैकड़ों हजारों ग्रामीणों के साथ काम कर रही है, ताकि उन्हें मुफ्त संस्थागत प्रसव सहित गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ दिलाया जा सके।
By Sanjay Srivastava
By गाँव कनेक्शन
By गाँव कनेक्शन