By Dr SB Misra
गाँव में आज भी चिकित्सा व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। 70% आबादी गाँवों में रहती है, लेकिन डॉक्टरों का सिर्फ़ 26% हिस्सा वहां उपलब्ध है। अस्पतालों की कमी, दवाइयों का अभाव, झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला और तेजी से बढ़ती शहरी बीमारियां, ग्रामीण स्वास्थ्य को बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी कर रही हैं।
गाँव में आज भी चिकित्सा व्यवस्था संतोषजनक नहीं है। 70% आबादी गाँवों में रहती है, लेकिन डॉक्टरों का सिर्फ़ 26% हिस्सा वहां उपलब्ध है। अस्पतालों की कमी, दवाइयों का अभाव, झोलाछाप डॉक्टरों का बोलबाला और तेजी से बढ़ती शहरी बीमारियां, ग्रामीण स्वास्थ्य को बड़ी चुनौती के रूप में खड़ी कर रही हैं।
By Divendra Singh
मिट्टी सिर्फ धूल या रेत नहीं, बल्कि एक जीवित दुनिया है जहाँ अनगिनत सूक्ष्मजीव और केंचुए जीवन का चक्र चलाते हैं। लेकिन जब खेतों में पराली जलती है, तो यह जीवंत संसार धीरे-धीरे मरने लगता है। यह लेख बताता है कि मिट्टी कब “सजीव” होती है, कब “निर्जीव”, और किसान इसे कैसे पहचान सकते हैं और बचा सकते हैं।
मिट्टी सिर्फ धूल या रेत नहीं, बल्कि एक जीवित दुनिया है जहाँ अनगिनत सूक्ष्मजीव और केंचुए जीवन का चक्र चलाते हैं। लेकिन जब खेतों में पराली जलती है, तो यह जीवंत संसार धीरे-धीरे मरने लगता है। यह लेख बताता है कि मिट्टी कब “सजीव” होती है, कब “निर्जीव”, और किसान इसे कैसे पहचान सकते हैं और बचा सकते हैं।
By Kirti Shukla
सर्दी का मौसम अपने शबाब पर आ चुका है, ऐसे में खान-पान का ख्याल रखना हम सभी के लिये फायदेमंद रहता है। सर्दियों के मौसम में बाजरे की रोटी का भी अपना अलग ही महत्व होता है।
सर्दी का मौसम अपने शबाब पर आ चुका है, ऐसे में खान-पान का ख्याल रखना हम सभी के लिये फायदेमंद रहता है। सर्दियों के मौसम में बाजरे की रोटी का भी अपना अलग ही महत्व होता है।
By Ankit Kumar Singh
By करन पाल सिंह
By Neetu Singh
By Neetu Singh
By भास्कर त्रिपाठी
By गाँव कनेक्शन
By Chandrakant Mishra