By Gaon Connection
मध्य हिमालय में बारिश का पैटर्न बदल चुका है, कुछ घंटों में महीनों जितनी बारिश, और नदियाँ पहले से अधिक उफनती हुई। नई वैज्ञानिक स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले दशकों में बाढ़ सिर्फ बढ़ेगी ही नहीं, बल्कि पहाड़ों की ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगी।
मध्य हिमालय में बारिश का पैटर्न बदल चुका है, कुछ घंटों में महीनों जितनी बारिश, और नदियाँ पहले से अधिक उफनती हुई। नई वैज्ञानिक स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले दशकों में बाढ़ सिर्फ बढ़ेगी ही नहीं, बल्कि पहाड़ों की ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगी।
By Gaon Connection
भारत ने पहली बार हिम तेंदुओं की देशव्यापी वैज्ञानिक गणना पूरी की है, जिसमें कुल 718 तेंदुओं के होने की पुष्टि हुई। यह सर्वे हिमालयी इकोसिस्टम की सुरक्षा और इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
भारत ने पहली बार हिम तेंदुओं की देशव्यापी वैज्ञानिक गणना पूरी की है, जिसमें कुल 718 तेंदुओं के होने की पुष्टि हुई। यह सर्वे हिमालयी इकोसिस्टम की सुरक्षा और इस दुर्लभ प्रजाति के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
By Divendra Singh
भारत में सर्पदंश पहले ही हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करता है और अब जलवायु परिवर्तन इस संकट को और बढ़ाने वाला है। नए क्षेत्रों में हॉटस्पॉट उभरेंगे, पुराने खत्म होंगे, और बिग फोर ज़हरीले साँप उन इलाकों तक पहुँचेंगे जहाँ आज लोग उनसे अनजान हैं।
भारत में सर्पदंश पहले ही हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करता है और अब जलवायु परिवर्तन इस संकट को और बढ़ाने वाला है। नए क्षेत्रों में हॉटस्पॉट उभरेंगे, पुराने खत्म होंगे, और बिग फोर ज़हरीले साँप उन इलाकों तक पहुँचेंगे जहाँ आज लोग उनसे अनजान हैं।
By Gaon Connection
हिमालय की बर्फ़ अब पहले जैसी नहीं रही—गाँवों में जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। चूल्हों का धुआँ, पराली की आग और ट्रैक्टरों से उठता काला धुआँ सिर्फ़ आसमान ही नहीं, हिमालय की बर्फ़ को भी काला कर रहा है। दो दशकों में बर्फ़ की सतह का तापमान 4°C तक बढ़ चुका है। इससे नदियाँ सूखने लगी हैं और गाँवों की जीवनरेखा—जल स्रोत—खतरे में हैं। अगर ब्लैक कार्बन पर अब भी लगाम नहीं लगी, तो पहाड़ों से लेकर मैदान तक, करोड़ों ग्रामीण परिवार पानी की भारी कमी से जूझ सकते हैं।
हिमालय की बर्फ़ अब पहले जैसी नहीं रही—गाँवों में जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। चूल्हों का धुआँ, पराली की आग और ट्रैक्टरों से उठता काला धुआँ सिर्फ़ आसमान ही नहीं, हिमालय की बर्फ़ को भी काला कर रहा है। दो दशकों में बर्फ़ की सतह का तापमान 4°C तक बढ़ चुका है। इससे नदियाँ सूखने लगी हैं और गाँवों की जीवनरेखा—जल स्रोत—खतरे में हैं। अगर ब्लैक कार्बन पर अब भी लगाम नहीं लगी, तो पहाड़ों से लेकर मैदान तक, करोड़ों ग्रामीण परिवार पानी की भारी कमी से जूझ सकते हैं।
By India Science Wire
जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में बर्फ और ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं जिसके कारण हिमालय से निकलने वाली सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों के जलस्तर में वृद्धि देखने को मिली है।
जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं में बर्फ और ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं जिसके कारण हिमालय से निकलने वाली सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों के जलस्तर में वृद्धि देखने को मिली है।
By Seema Javed
उत्तराखंड की धराली में हालिया बादल फटने की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हिमालय अब चेतावनी नहीं दे रहा, बल्कि सीधा जवाब दे रहा है। जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और नीति स्तर पर लापरवाही ने इस पहाड़ी राज्य को बार-बार त्रासदी के मुहाने पर ला खड़ा किया है।
उत्तराखंड की धराली में हालिया बादल फटने की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हिमालय अब चेतावनी नहीं दे रहा, बल्कि सीधा जवाब दे रहा है। जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और नीति स्तर पर लापरवाही ने इस पहाड़ी राज्य को बार-बार त्रासदी के मुहाने पर ला खड़ा किया है।
By गाँव कनेक्शन
By India Science Wire
भारत से पहली बार नये भौगोलिक रिकॉर्ड के रूप में 26 प्रजातियों को खोजा गया है।
भारत से पहली बार नये भौगोलिक रिकॉर्ड के रूप में 26 प्रजातियों को खोजा गया है।
By India Science Wire
ग्लोबल वार्मिग से जहां एक तरफ पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ बढ़ते तापमान के कारण हिम ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि सेटेलाइट से मॉनिटरिंग करके अचानक आने वाली बाढ़ के खतरों से बचा जा सकता है।
ग्लोबल वार्मिग से जहां एक तरफ पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है तो दूसरी तरफ बढ़ते तापमान के कारण हिम ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि सेटेलाइट से मॉनिटरिंग करके अचानक आने वाली बाढ़ के खतरों से बचा जा सकता है।
By Sanjay Srivastava