By Gaon Connection
भारत में डेयरी किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती - मास्टाइटिस यानी थनैला रोग पर अब एक नई वैज्ञानिक रोशनी पड़ी है। हिसार स्थित आईसीएआर-सीआईआरबी के वैज्ञानिकों ने मुर्राह भैंसों के दूध पर किए गए जीनोमिक अध्ययन में पाया कि Acinetobacter johnsonii नामक बैक्टीरिया इस रोग से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह खोज न केवल संक्रमण के सही कारणों को समझने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में एंटीबायोटिक-फ्री डेयरी उत्पादन की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।
भारत में डेयरी किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती - मास्टाइटिस यानी थनैला रोग पर अब एक नई वैज्ञानिक रोशनी पड़ी है। हिसार स्थित आईसीएआर-सीआईआरबी के वैज्ञानिकों ने मुर्राह भैंसों के दूध पर किए गए जीनोमिक अध्ययन में पाया कि Acinetobacter johnsonii नामक बैक्टीरिया इस रोग से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह खोज न केवल संक्रमण के सही कारणों को समझने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में एंटीबायोटिक-फ्री डेयरी उत्पादन की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।
By Diti Bajpai
While 12 buffaloes are still missing, 15 are being treated. The buffaloes allegedly died after consuming toxic water which was drained by a pesticide factory situated in the Chinhat industrial area in Lucknow
While 12 buffaloes are still missing, 15 are being treated. The buffaloes allegedly died after consuming toxic water which was drained by a pesticide factory situated in the Chinhat industrial area in Lucknow
By Diti Bajpai
By Diti Bajpai
By गाँव कनेक्शन
गुजरात के कच्छ क्षेत्र में पायी जाने वाली बन्नी भैंस को कुंडी नाम से भी जाना जाता है। यह नस्ल ज्यादा गर्मी और सर्दी बर्दाश्त कर लेती है।
गुजरात के कच्छ क्षेत्र में पायी जाने वाली बन्नी भैंस को कुंडी नाम से भी जाना जाता है। यह नस्ल ज्यादा गर्मी और सर्दी बर्दाश्त कर लेती है।
By Dr. Satyendra Pal Singh
वर्तमान में भदावरी नस्ल की भैंस अपने पंरपरागत क्षेत्रों में भी कम ही दिखाई देती है। कहना गलत नहीं होगा यदि यही हाल रहा तो यह नस्ल कुछ ही वर्षों में अपने पैतृक क्षेत्र से ही विलुप्त न हो जाये।
वर्तमान में भदावरी नस्ल की भैंस अपने पंरपरागत क्षेत्रों में भी कम ही दिखाई देती है। कहना गलत नहीं होगा यदि यही हाल रहा तो यह नस्ल कुछ ही वर्षों में अपने पैतृक क्षेत्र से ही विलुप्त न हो जाये।
By गाँव कनेक्शन
गर्भावस्था में पशुओं की खास देखभाल की जरूरत होती है, गर्भकाल के अंतिम तीन महीनों में पशुपालक कुछ बातों का ध्यान रखकर नुकसान से बच सकते हैं।
गर्भावस्था में पशुओं की खास देखभाल की जरूरत होती है, गर्भकाल के अंतिम तीन महीनों में पशुपालक कुछ बातों का ध्यान रखकर नुकसान से बच सकते हैं।
By गाँव कनेक्शन
देश में भैंस की कई नस्ल हैं, हर एक की अपनी खूबियां हैं, कोई नस्ल किसी राज्य विशेष के लिए सही है तो कई नस्लें कई राज्यों में अच्छा दूध उत्पादन कर रही हैं।
देश में भैंस की कई नस्ल हैं, हर एक की अपनी खूबियां हैं, कोई नस्ल किसी राज्य विशेष के लिए सही है तो कई नस्लें कई राज्यों में अच्छा दूध उत्पादन कर रही हैं।
By Diti Bajpai
By Divendra Singh
देसी नस्ल की भैंस के संरक्षण के लिए उन्हें राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो की तरफ से राष्ट्रीय मान्यता मिलती है, कर्नाटक की धारवाड़ी भैंस को भी शामिल कर लिया गया है।
देसी नस्ल की भैंस के संरक्षण के लिए उन्हें राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो की तरफ से राष्ट्रीय मान्यता मिलती है, कर्नाटक की धारवाड़ी भैंस को भी शामिल कर लिया गया है।