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जयपुर: त्रासदी के बीच सामाजिक भेद-भाव का सामना करते सब कुछ दांव पर लगाने वाले कोरोना योद्धा
जयपुर: त्रासदी के बीच सामाजिक भेद-भाव का सामना करते सब कुछ दांव पर लगाने वाले कोरोना योद्धा

By गाँव कनेक्शन

"मैं आसपास जब किसी दुकान पर जाता हूं तो लोग कहते हैं कि यह कोरोना मरीजों की लाश जलाता है, इससे कोरोना फैल सकता है और मुझे सामान देने से मना कर देते हैं।"

"मैं आसपास जब किसी दुकान पर जाता हूं तो लोग कहते हैं कि यह कोरोना मरीजों की लाश जलाता है, इससे कोरोना फैल सकता है और मुझे सामान देने से मना कर देते हैं।"

कोरोना काल में इंसानियत के लिए 'ऑक्सीजन' बने काशी के अमन कबीर
कोरोना काल में इंसानियत के लिए 'ऑक्सीजन' बने काशी के अमन कबीर

By Anand kumar

गरीबों व जरूरतमंदों के लिए देवदूत साबित हुए अमन। कोरोना काल में वे इंसानियत को बचाने के लिए लोगों को ऑक्सीजन दिलाने से लेकर कोरोना से मरने वालों का खुद अंतिम संस्कार कराते हैं। पिछले साल लगे लॉकडाउन के बाद से लगातार चल रही उनकी मदद करने की मुहिम।

गरीबों व जरूरतमंदों के लिए देवदूत साबित हुए अमन। कोरोना काल में वे इंसानियत को बचाने के लिए लोगों को ऑक्सीजन दिलाने से लेकर कोरोना से मरने वालों का खुद अंतिम संस्कार कराते हैं। पिछले साल लगे लॉकडाउन के बाद से लगातार चल रही उनकी मदद करने की मुहिम।

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर एम्स नर्सिंग स्टाफ के 5,000 कर्मचारी, जानिए क्या हैं उनकी 23 मांगें?
अनिश्चितकालीन हड़ताल पर एम्स नर्सिंग स्टाफ के 5,000 कर्मचारी, जानिए क्या हैं उनकी 23 मांगें?

By Daya Sagar

वेतन, स्वास्थ्य बीमा, सामाजिक सुरक्षा और लैंगिक आरक्षण में अनियमितताओं को दूर करने की मांग को लेकर एम्स के 5000 नर्सिंग कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हालांकि एम्स प्रशासन का कहना है कि उनकी अधिकतर मांगे पहले ही मान ली गई हैं, कोरोना के दौर में ऐसे हड़ताल करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

वेतन, स्वास्थ्य बीमा, सामाजिक सुरक्षा और लैंगिक आरक्षण में अनियमितताओं को दूर करने की मांग को लेकर एम्स के 5000 नर्सिंग कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हालांकि एम्स प्रशासन का कहना है कि उनकी अधिकतर मांगे पहले ही मान ली गई हैं, कोरोना के दौर में ऐसे हड़ताल करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

कोरोना डर से जब अपने भी साथ छोड़ जाते हैं, वर्षा उन्हीं शवों का अंतिम संस्कार करती हैं
कोरोना डर से जब अपने भी साथ छोड़ जाते हैं, वर्षा उन्हीं शवों का अंतिम संस्कार करती हैं

By Divendra Singh

कोरोना महामारी के कारण लोगों के अंतिम संस्कार में भी मुश्किल आती है, संक्रमण के खतरे के चलते कई बार परिजन शव को हाथ तक नहीं लगाते। ऐसे में बहुत से लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं, इन्हीं में एक हैं लखनऊ की वर्षा वर्मा, जो पिछले कई दिनों से लगातार 10-12 शवों का अंतिम संस्कार कर रही हैं।

कोरोना महामारी के कारण लोगों के अंतिम संस्कार में भी मुश्किल आती है, संक्रमण के खतरे के चलते कई बार परिजन शव को हाथ तक नहीं लगाते। ऐसे में बहुत से लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं, इन्हीं में एक हैं लखनऊ की वर्षा वर्मा, जो पिछले कई दिनों से लगातार 10-12 शवों का अंतिम संस्कार कर रही हैं।

कोरोना वॉरियर्स: खुद दो बार हुए कोरोना पॉजिटिव, 50 से ज्यादा शवों का कराया अंतिम संस्कार
कोरोना वॉरियर्स: खुद दो बार हुए कोरोना पॉजिटिव, 50 से ज्यादा शवों का कराया अंतिम संस्कार

By Ashwani Kumar Dwivedi

कोरोना के आगे मेडिकल साइंस लाचार नजर आ रही थी, सरकारी इंतजाम नाकाफी हो रहे थे। अपने तक शवों का साथ छोड़ रहे थे ऐसे में कुछ लोग इंसानियत की नई मिसाल कायम कर रहे थे। "आपदा के मददगार" सीरीज में इन्हीं की कहानियां हैं। आज के कोरोना वॉरियर्स हैं लखनऊ के रणजीत सिंह।

कोरोना के आगे मेडिकल साइंस लाचार नजर आ रही थी, सरकारी इंतजाम नाकाफी हो रहे थे। अपने तक शवों का साथ छोड़ रहे थे ऐसे में कुछ लोग इंसानियत की नई मिसाल कायम कर रहे थे। "आपदा के मददगार" सीरीज में इन्हीं की कहानियां हैं। आज के कोरोना वॉरियर्स हैं लखनऊ के रणजीत सिंह।

आपदा के मददगार: कोरोना के खौफ से अपने भी जिन शवों को हाथ नहीं लगाते, ये उनका अंतिम संस्कार करते हैं
आपदा के मददगार: कोरोना के खौफ से अपने भी जिन शवों को हाथ नहीं लगाते, ये उनका अंतिम संस्कार करते हैं

By Arvind Shukla

कोरोना महामारी में सिर्फ जान बचाना ही मुश्किल नहीं है। इस अदृश्य दुश्मन की चपेट में आने वाले लोगों का अंतिम संस्कार भी मुश्किल काम है। संक्रमण के खतरे के चलते कई बार परिजन शव को हाथ तक नहीं लगाते। देश में कई लोग और संस्थाएं इस महामारी में अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार कर रहीं हैं, इन्हीं में एक हैं महाराष्ट्र के लातूर जिले का ये रोटी-कपड़ा बैंक।

कोरोना महामारी में सिर्फ जान बचाना ही मुश्किल नहीं है। इस अदृश्य दुश्मन की चपेट में आने वाले लोगों का अंतिम संस्कार भी मुश्किल काम है। संक्रमण के खतरे के चलते कई बार परिजन शव को हाथ तक नहीं लगाते। देश में कई लोग और संस्थाएं इस महामारी में अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना से मरने वालों का अंतिम संस्कार कर रहीं हैं, इन्हीं में एक हैं महाराष्ट्र के लातूर जिले का ये रोटी-कपड़ा बैंक।

फाइलेरिया इंस्पेक्टर ने कोविड के दौरान लोगों की सेवा कर पेश की मिसाल, 30 से ज्यादा शवों का किया अंतिम संस्कार
फाइलेरिया इंस्पेक्टर ने कोविड के दौरान लोगों की सेवा कर पेश की मिसाल, 30 से ज्यादा शवों का किया अंतिम संस्कार

By Virendra Singh

स्वास्थ्य विभाग में सीनियर फाइलेरिया इंस्पेक्टर केके गुप्ता जिस तरह से कोविड के दौरान लोगों की मदद कर रहे, मानवता के नाते शवों का अंतिम संस्कार वो एक मिशाल बन गया। लोगों की मदद के लिए उन्हें पहले राष्ट्रपति तक से सम्मान मिल चुका है।

स्वास्थ्य विभाग में सीनियर फाइलेरिया इंस्पेक्टर केके गुप्ता जिस तरह से कोविड के दौरान लोगों की मदद कर रहे, मानवता के नाते शवों का अंतिम संस्कार वो एक मिशाल बन गया। लोगों की मदद के लिए उन्हें पहले राष्ट्रपति तक से सम्मान मिल चुका है।

एमपी: माया विश्वकर्मा ने घर को बनाया 10 बेड का अस्पताल, टेलीमेडिसिन के जरिए सैकड़ों मरीजों का कर रहीं इलाज
एमपी: माया विश्वकर्मा ने घर को बनाया 10 बेड का अस्पताल, टेलीमेडिसिन के जरिए सैकड़ों मरीजों का कर रहीं इलाज

By Arvind Shukla

देश के सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। कोरोना गांव-गांव फैल रहा है। लोगों की मौते हो रही हैं। ऐसे मुश्किल वक्त में दूरदराज के इलाकों में कुछ लोगों ने अलग हटकर काम किया। माया विश्वकर्मा उन्हीं में एक हैं।

देश के सुदूर इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। कोरोना गांव-गांव फैल रहा है। लोगों की मौते हो रही हैं। ऐसे मुश्किल वक्त में दूरदराज के इलाकों में कुछ लोगों ने अलग हटकर काम किया। माया विश्वकर्मा उन्हीं में एक हैं।

गीतकार नीलेश मिसरा और गायक अरिजीत सिंह ने अपने नए गाने के जरिए फ्रंटलाइन वर्कर्स को कहा शुक्रिया
गीतकार नीलेश मिसरा और गायक अरिजीत सिंह ने अपने नए गाने के जरिए फ्रंटलाइन वर्कर्स को कहा शुक्रिया

By Subha Rao

#JaaneinBachayenge जाने बचाएंगे... गीत पीपीई किट-वर्दी में पर्दे के पीछे रहकर मानवता की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स के सम्मान में लिखा गया है। कोरोना महामारी के वक्त में खुद की जान जोखिम में डालकर ये फ्रंट लाइन वर्कर कई रुपों में हमारी सेवा कर रहे, इनमें से बहुत लोगों की इस दौरान जान तक चली गई। इन्हीं फ्रंट लाइन वर्कर्स को इस गीत के जरिए लोकप्रिय गायक अरिजीत सिंह और गीतकार नीलेश मिसरा शुक्रिया कह रहे हैं...

#JaaneinBachayenge जाने बचाएंगे... गीत पीपीई किट-वर्दी में पर्दे के पीछे रहकर मानवता की सेवा करने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स के सम्मान में लिखा गया है। कोरोना महामारी के वक्त में खुद की जान जोखिम में डालकर ये फ्रंट लाइन वर्कर कई रुपों में हमारी सेवा कर रहे, इनमें से बहुत लोगों की इस दौरान जान तक चली गई। इन्हीं फ्रंट लाइन वर्कर्स को इस गीत के जरिए लोकप्रिय गायक अरिजीत सिंह और गीतकार नीलेश मिसरा शुक्रिया कह रहे हैं...

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