By Divendra Singh
होली से पहले उपवास, पहाड़ से लाए गए पत्थरों के रंग और ढोलक-नगाड़ों की थाप, महाराष्ट्र के भील आदिवासियों का होली नृत्य सिर्फ़ उत्सव नहीं, एक जीवित परंपरा है। नंदूरबार के कलाकार गौतम खर्डे और उनकी मंडली इस लोककला को गाँव से राष्ट्रीय मंच तक पहुँचा रहे हैं।
होली से पहले उपवास, पहाड़ से लाए गए पत्थरों के रंग और ढोलक-नगाड़ों की थाप, महाराष्ट्र के भील आदिवासियों का होली नृत्य सिर्फ़ उत्सव नहीं, एक जीवित परंपरा है। नंदूरबार के कलाकार गौतम खर्डे और उनकी मंडली इस लोककला को गाँव से राष्ट्रीय मंच तक पहुँचा रहे हैं।
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By Safoora Hilal
लोक रंगमंच कलाकारों का एक समुदाय, भांड, ढोल, नगाड़ा और सोरनई (एक लकड़ी की बांसुरी) लेकर रंग-बिरंगे परिधानों में गाँव-गाँव घूमते हैं। राजनीति, समाज और धर्म में समस्याग्रस्त मुद्दों को सामने लाने के लिए उनके नाटकों में दीपदान, संगीत और नृत्य का उपयोग किया जाता है।
लोक रंगमंच कलाकारों का एक समुदाय, भांड, ढोल, नगाड़ा और सोरनई (एक लकड़ी की बांसुरी) लेकर रंग-बिरंगे परिधानों में गाँव-गाँव घूमते हैं। राजनीति, समाज और धर्म में समस्याग्रस्त मुद्दों को सामने लाने के लिए उनके नाटकों में दीपदान, संगीत और नृत्य का उपयोग किया जाता है।
By Vivek Shukla
गवरी त्योहार: राजस्थान अपने रजवाड़े, संस्कृति, संगीत और खानपान के लिए जाना जाता है। ऐसे ही यहां एक खास प्रकार का पर्व मनाया जाता है, जिसका नाम 'गवरी' है। गवरी को खासतौर पर आदिवासी के भील समुदाय के लोग सदियों से मनाते आ रहे हैं।
गवरी त्योहार: राजस्थान अपने रजवाड़े, संस्कृति, संगीत और खानपान के लिए जाना जाता है। ऐसे ही यहां एक खास प्रकार का पर्व मनाया जाता है, जिसका नाम 'गवरी' है। गवरी को खासतौर पर आदिवासी के भील समुदाय के लोग सदियों से मनाते आ रहे हैं।
By गाँव कनेक्शन
By Shivani Gupta
बुंदेली राई बुंदेलखंड का पारंपरिक लोक नृत्य है। राई का मतलब सरसों होता है। जिस तरीके से किसी थाली में रखे सरसों के दाने घूमते हैं, उसी तरह नर्तक भी नगड़िया, ढोलक, झीका और रामतूला जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप पर नाचते हैं। यह पारंपरिक लोक नृत्य लुप्ति के कगार पर था लेकिन झांसी प्रशासन ने इस संस्कृति को पुनर्जीवित करने के साथ ही गायकों और नर्तकियों का सपोर्ट कर रहे हैं।
बुंदेली राई बुंदेलखंड का पारंपरिक लोक नृत्य है। राई का मतलब सरसों होता है। जिस तरीके से किसी थाली में रखे सरसों के दाने घूमते हैं, उसी तरह नर्तक भी नगड़िया, ढोलक, झीका और रामतूला जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की थाप पर नाचते हैं। यह पारंपरिक लोक नृत्य लुप्ति के कगार पर था लेकिन झांसी प्रशासन ने इस संस्कृति को पुनर्जीवित करने के साथ ही गायकों और नर्तकियों का सपोर्ट कर रहे हैं।
By Shivani Gupta
Bundeli Rai is the traditional folk dance of Bundelkhand. Rai means mustard seed. The way mustard seed swings around in the saucer, the dancers also dance likewise on the beats of traditional musical instruments of Nagadiya, Dholak, Jheeka, and Ramtoola. This traditional folk dance was fading away when the Jhansi administration stepped in to revive the culture, also support the livelihood of dancers and singers.
Bundeli Rai is the traditional folk dance of Bundelkhand. Rai means mustard seed. The way mustard seed swings around in the saucer, the dancers also dance likewise on the beats of traditional musical instruments of Nagadiya, Dholak, Jheeka, and Ramtoola. This traditional folk dance was fading away when the Jhansi administration stepped in to revive the culture, also support the livelihood of dancers and singers.
By गाँव कनेक्शन
डांगी जनजाति के युवा पुरुष और महिलाएं एक पारंपरिक नृत्य जो गति और कलाबाजी का संयोजन होता है, के जरिए धरती माता को एक आभार प्रकट करते हैं।
डांगी जनजाति के युवा पुरुष और महिलाएं एक पारंपरिक नृत्य जो गति और कलाबाजी का संयोजन होता है, के जरिए धरती माता को एक आभार प्रकट करते हैं।
By Divendra Singh
By गाँव कनेक्शन
Moh-Mol is a pre-harvest festival celebrated by the Tangsa community of Changlang district. It is to seek blessings for a bumper harvest from the Goddess of Crops – Tunguja Chamja. They offer prayers called rom-rom and perform the Sapolo, a popular folk dance of the community.
Moh-Mol is a pre-harvest festival celebrated by the Tangsa community of Changlang district. It is to seek blessings for a bumper harvest from the Goddess of Crops – Tunguja Chamja. They offer prayers called rom-rom and perform the Sapolo, a popular folk dance of the community.