By Seema Kaintura
Why India and the world need Gandhi? How do we ensure the ideals of Gandhi are remembered by future generations? There is a need for thinkers, entrepreneurs and tech leaders to be at the forefront of spreading Gandhi’s ideas through innovation
Why India and the world need Gandhi? How do we ensure the ideals of Gandhi are remembered by future generations? There is a need for thinkers, entrepreneurs and tech leaders to be at the forefront of spreading Gandhi’s ideas through innovation
By Dr SB Misra
It is true that Deendayal Upadhyay, Nanaji Deshmukh, Atal Bihari Vajpayee and now Narendra Modi had never donned Gandhi cap or expressly declared themselves followers of Gandhiji, but their work ethics leaned towards Gandhiji’s ideals
It is true that Deendayal Upadhyay, Nanaji Deshmukh, Atal Bihari Vajpayee and now Narendra Modi had never donned Gandhi cap or expressly declared themselves followers of Gandhiji, but their work ethics leaned towards Gandhiji’s ideals
By गाँव कनेक्शन
By Dr SB Misra
By Divendra Singh
गांधी जी अच्छी फिटनेस के पक्षधर थे। वह लगभग 40 वर्षों तक हर दिन लगभग 18 किलोमीटर पैदल चलते थे। वर्ष 1913 से 1948 तक के अपने राजनीतिक अभियानों के दौरान, उन्होंने कुल 79,000 किलोमीटर दूरी तय की, जो उनके स्वास्थ्य रिकॉर्ड के अनुसार दो बार पृथ्वी का चक्कर लगाने के बराबर है।
गांधी जी अच्छी फिटनेस के पक्षधर थे। वह लगभग 40 वर्षों तक हर दिन लगभग 18 किलोमीटर पैदल चलते थे। वर्ष 1913 से 1948 तक के अपने राजनीतिक अभियानों के दौरान, उन्होंने कुल 79,000 किलोमीटर दूरी तय की, जो उनके स्वास्थ्य रिकॉर्ड के अनुसार दो बार पृथ्वी का चक्कर लगाने के बराबर है।
By गाँव कनेक्शन
किसानों और खेती के लिए गांधी का लगाव तब विकसित हुआ जब वह दक्षिण अफ्रीका में थें, जहां उनके आश्रम में वह खेती किया करते थे और बाद में उन्होंने अहमदाबाद और साबरमती के आश्रमों में भी इस गतिविधि को जारी रखा।
किसानों और खेती के लिए गांधी का लगाव तब विकसित हुआ जब वह दक्षिण अफ्रीका में थें, जहां उनके आश्रम में वह खेती किया करते थे और बाद में उन्होंने अहमदाबाद और साबरमती के आश्रमों में भी इस गतिविधि को जारी रखा।
By Piyush Kant Pradhan
By Dr Subhash Palekar
प्राकृतिक खेती के जनक पद्मश्री डॉ सुभाष पालेकर गाँधी जयंती के मौके पर उस अहिंसक संवैधानिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक महायुद्ध के बारे में बता रहे हैं, जिसकी शुरुआत महात्मा गाँधी ने बरसों पहले कर दी थी।
प्राकृतिक खेती के जनक पद्मश्री डॉ सुभाष पालेकर गाँधी जयंती के मौके पर उस अहिंसक संवैधानिक वैज्ञानिक आध्यात्मिक महायुद्ध के बारे में बता रहे हैं, जिसकी शुरुआत महात्मा गाँधी ने बरसों पहले कर दी थी।
By गाँव कनेक्शन
एमजीएनएफ 21-30 आयु वर्ष की महिलाओं और पुरुषों के लिए एक अवसर है, जो कौशल विकास कार्यक्रम में सुधार के लिए जिला प्रशासन का प्रेरक सहयोग उपलब्ध कराने के लिए पहले ही कुछ हद तक शैक्षणिक या व्यावसायिक विशेषज्ञता हासिल कर चुके हैं।
एमजीएनएफ 21-30 आयु वर्ष की महिलाओं और पुरुषों के लिए एक अवसर है, जो कौशल विकास कार्यक्रम में सुधार के लिए जिला प्रशासन का प्रेरक सहयोग उपलब्ध कराने के लिए पहले ही कुछ हद तक शैक्षणिक या व्यावसायिक विशेषज्ञता हासिल कर चुके हैं।
By Purushotam Thakur