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हिमालय के गाँवों की यात्रा कीजिए, कई अनुभव और संस्कृति आपकी सोच बदल देंगे
हिमालय के गाँवों की यात्रा कीजिए, कई अनुभव और संस्कृति आपकी सोच बदल देंगे

By Jitendra Jeet

कहते हैं कि यात्राओं के अनुभव से हम बहुत कुछ सीखते हैं। वहाँ के लोग और वहाँ का खानपान हमारे ज़ेहन में लंबे समय के लिए बस जाते हैं, आज की यात्रा ऐसे ही ख़ूबसूरत हिमालय के गाँवों की है जो भारत-नेपाल सीमा पर बसे हैं।

कहते हैं कि यात्राओं के अनुभव से हम बहुत कुछ सीखते हैं। वहाँ के लोग और वहाँ का खानपान हमारे ज़ेहन में लंबे समय के लिए बस जाते हैं, आज की यात्रा ऐसे ही ख़ूबसूरत हिमालय के गाँवों की है जो भारत-नेपाल सीमा पर बसे हैं।

हिमालय के गाँवों की यात्रा कीजिए, चलिए चलते हैं धारा के उस पार: छांगरू गाँव
हिमालय के गाँवों की यात्रा कीजिए, चलिए चलते हैं धारा के उस पार: छांगरू गाँव

By Jitendra Jeet

सुदूर हिमालय की तलहटी में बसे गाँवों की अपनी सांस्कृतिक विरासतें हैं, जिन्हें वो सदियों से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सौंपते आ रहे हैं, ऐसा ही नेपाल का एक गाँव है छांगरू, जहाँ की यात्रा पर आपको ले चल रहे हैं।

सुदूर हिमालय की तलहटी में बसे गाँवों की अपनी सांस्कृतिक विरासतें हैं, जिन्हें वो सदियों से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सौंपते आ रहे हैं, ऐसा ही नेपाल का एक गाँव है छांगरू, जहाँ की यात्रा पर आपको ले चल रहे हैं।

'फसल तो बर्बाद करते ही हैं घर के अंदर से जानवर भी उठा ले जाते हैं'
'फसल तो बर्बाद करते ही हैं घर के अंदर से जानवर भी उठा ले जाते हैं'

By Jigyasa Mishra

पन्ना टाईगर रिज़र्व के से लगभग 20 किलोमीटर दूर, कैमासन गाँव में जंगली जानवरों का खतरा लगातार बना रहता है। पालतू पशु, खेत में जाती महिलाएं और छोटे बच्चों पर हमेशा ही ये खतरा मंडराता रहता है।

पन्ना टाईगर रिज़र्व के से लगभग 20 किलोमीटर दूर, कैमासन गाँव में जंगली जानवरों का खतरा लगातार बना रहता है। पालतू पशु, खेत में जाती महिलाएं और छोटे बच्चों पर हमेशा ही ये खतरा मंडराता रहता है।

तुम बेपरवाह, बेफ़िक्र होकर चलना लेकिन तुम चलना जरूर!
तुम बेपरवाह, बेफ़िक्र होकर चलना लेकिन तुम चलना जरूर!

By Shefali Srivastava

An LIC employee in Odisha and a prolific writer keeps a tribal language alive
An LIC employee in Odisha and a prolific writer keeps a tribal language alive

By Niroj Ranjan Misra

Biswanath Tudu’s work has helped promote the Ol Chiki script of the Santali language. In 2010 when Biswanath Tudu got the Akademi Award, there were less than 100 Ol Chiki litterateurs in Odisha who read and wrote this unique script, but now their number has increased to over 300.

Biswanath Tudu’s work has helped promote the Ol Chiki script of the Santali language. In 2010 when Biswanath Tudu got the Akademi Award, there were less than 100 Ol Chiki litterateurs in Odisha who read and wrote this unique script, but now their number has increased to over 300.

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