By Anoop Nautiyal
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और टिहरी जिले देश के सबसे अधिक भूस्खलन खतरे वाले 147 जिलों में से पहले और दूसरे स्थान पर हैं। 2015 के बाद से, हिमालयी राज्य में कम से कम 3,601 बड़े भूस्खलन की घटनाएँ सामने आई हैं।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग और टिहरी जिले देश के सबसे अधिक भूस्खलन खतरे वाले 147 जिलों में से पहले और दूसरे स्थान पर हैं। 2015 के बाद से, हिमालयी राज्य में कम से कम 3,601 बड़े भूस्खलन की घटनाएँ सामने आई हैं।
By गाँव कनेक्शन
उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, शपथ ग्रहण कार्यक्रम में आठ और मंत्रियों ने भी मंत्री पद शपथ ली।
उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं, शपथ ग्रहण कार्यक्रम में आठ और मंत्रियों ने भी मंत्री पद शपथ ली।
By Robin Singh Chauhan
By satyam kumar
2020-21 में, उत्तराखंड में 64,879.26 मीट्रिक टन से अधिक सेब और 3,67,309.04 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन किया गया, इसका एक बड़ा हिस्सा चमोली जिले में है। लेकिन कोल्ड स्टोरेज यूनिट नहीं होने के कारण किसान अपनी उपज बेहद कम दामों पर बेचने को मजबूर हैं। कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने से नुकसान कम किया जा सकता है और किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है
2020-21 में, उत्तराखंड में 64,879.26 मीट्रिक टन से अधिक सेब और 3,67,309.04 मीट्रिक टन आलू का उत्पादन किया गया, इसका एक बड़ा हिस्सा चमोली जिले में है। लेकिन कोल्ड स्टोरेज यूनिट नहीं होने के कारण किसान अपनी उपज बेहद कम दामों पर बेचने को मजबूर हैं। कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने से नुकसान कम किया जा सकता है और किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सकती है
By Megha Prakash
Eleven days of preparations lead to the Harela Festival where people pray to clay likenesses of gods and goddesses, and make them delicious offerings for peace, prosperity and abundance of food grains.
Eleven days of preparations lead to the Harela Festival where people pray to clay likenesses of gods and goddesses, and make them delicious offerings for peace, prosperity and abundance of food grains.
By Sarah Khan
चमोली भूस्खलन से केदारनाथ बाढ़ तक, उत्तराखंड में हाल के दिनों में कई आपदाएं देखी गई हैं जिन्होंने एक बड़ी आबादी पर कहर बरपाया है। फिर भी किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल - भाजपा, कांग्रेस और आप - ने चुनावी मुद्दे के रूप में पर्यावरण संरक्षण को नहीं उठाया। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हिमालयी राज्य में बुनियादी ढांचे, निवेश और नीतियों पर काम करना महत्वपूर्ण है।
चमोली भूस्खलन से केदारनाथ बाढ़ तक, उत्तराखंड में हाल के दिनों में कई आपदाएं देखी गई हैं जिन्होंने एक बड़ी आबादी पर कहर बरपाया है। फिर भी किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल - भाजपा, कांग्रेस और आप - ने चुनावी मुद्दे के रूप में पर्यावरण संरक्षण को नहीं उठाया। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हिमालयी राज्य में बुनियादी ढांचे, निवेश और नीतियों पर काम करना महत्वपूर्ण है।
By गाँव कनेक्शन
कम लागत में बढ़िया उत्पादन के लिए कृषि वैज्ञानिक हमेशा अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों की बुवाई की सलाह देते हैं, उत्तराखंड में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के हिसाब से बुवाई के समय भी अलग है और किस्में भी अलग विकसित की गई हैं। इसलिए किसानों के लिए जानना जरूरी हो जाता है कि कब और कैसे बुवाई करें।
कम लागत में बढ़िया उत्पादन के लिए कृषि वैज्ञानिक हमेशा अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों की बुवाई की सलाह देते हैं, उत्तराखंड में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के हिसाब से बुवाई के समय भी अलग है और किस्में भी अलग विकसित की गई हैं। इसलिए किसानों के लिए जानना जरूरी हो जाता है कि कब और कैसे बुवाई करें।
By Gaon Connection
केरल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ हो या फिर भुस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं, गाँव कैफे में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ऐसी आपदाओं के बढ़ने के कारण को समझा रहे हैं।
केरल और उत्तराखंड जैसे राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में बाढ़ हो या फिर भुस्खलन जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं, गाँव कैफे में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ऐसी आपदाओं के बढ़ने के कारण को समझा रहे हैं।
By गाँव कनेक्शन
उत्तराखंड के किसानों की उगायी सब्जियों की पहली खेफ संयुक्त अरब अमीरात के दुबई को निर्यात की गई।
उत्तराखंड के किसानों की उगायी सब्जियों की पहली खेफ संयुक्त अरब अमीरात के दुबई को निर्यात की गई।
By Shubhra Chatterji
सभी मुश्किलों को पार करते हुए कलाप ट्रस्ट ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम किया और टोंस घाटी के मोरी में पांच बेड का ऑक्सीजन सपोर्ट से लैस कोविड केयर सेंटर बनाया। साथ ही गांवों के लिए लंगर भी लगाया। और ये सब काम सिर्फ 96 घंटों में किया गया।
सभी मुश्किलों को पार करते हुए कलाप ट्रस्ट ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम किया और टोंस घाटी के मोरी में पांच बेड का ऑक्सीजन सपोर्ट से लैस कोविड केयर सेंटर बनाया। साथ ही गांवों के लिए लंगर भी लगाया। और ये सब काम सिर्फ 96 घंटों में किया गया।