By गाँव कनेक्शन
इस तकनीक से जल शोधन के बाद तेल को पानी से अलग कर के औद्योगिक बर्नर तेल, भट्ठी तेल, मोल्ड तेल, हाइड्रोलिक तेल आदि के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
इस तकनीक से जल शोधन के बाद तेल को पानी से अलग कर के औद्योगिक बर्नर तेल, भट्ठी तेल, मोल्ड तेल, हाइड्रोलिक तेल आदि के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
By Brijendra Dubey
मिर्जापुर के कोल आदिवासी बहुल ददरा गांव लोग के इन दिनों पानी पीने से पहले कई बार सोचते हैं। गांव में दूषित पानी पीने से एक परिवार के दो लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में 2 साल की एक बच्ची भी है।
मिर्जापुर के कोल आदिवासी बहुल ददरा गांव लोग के इन दिनों पानी पीने से पहले कई बार सोचते हैं। गांव में दूषित पानी पीने से एक परिवार के दो लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों में 2 साल की एक बच्ची भी है।
By Divendra Singh
By Diti Bajpai
By Ranvijay Singh
The villagers allege that industries and factories dump their toxic waste in three rivers -- Hindon, Krishna and Kaali-- flowing through these villages, which has contaminated the groundwater
The villagers allege that industries and factories dump their toxic waste in three rivers -- Hindon, Krishna and Kaali-- flowing through these villages, which has contaminated the groundwater
By India Science Wire
इस तकनीक से रंगाई के बाद बचे दूषित जल से विषैले तत्वों को निकालकर उससे घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लायक बनाया जा सकेगा। इससे प्रदूषित जल की समस्या से निजात मिलने के साथ ही पानी की किल्लत जैसे दोहरे लाभ हासिल हो सकेंगे।
इस तकनीक से रंगाई के बाद बचे दूषित जल से विषैले तत्वों को निकालकर उससे घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लायक बनाया जा सकेगा। इससे प्रदूषित जल की समस्या से निजात मिलने के साथ ही पानी की किल्लत जैसे दोहरे लाभ हासिल हो सकेंगे।
By Dr Bishwanath Prasad Singh
सिरसा और सतलुज नदी के पानी में भारी मात्रा में एंटीबायोटिक है। यहां एक लीटर पानी में 296 माइक्रोग्राम (μg/l) तक एंटीबायोटिक पाया गया। जोकि निर्धारित मानक से 1500 गुना अधिक है।
सिरसा और सतलुज नदी के पानी में भारी मात्रा में एंटीबायोटिक है। यहां एक लीटर पानी में 296 माइक्रोग्राम (μg/l) तक एंटीबायोटिक पाया गया। जोकि निर्धारित मानक से 1500 गुना अधिक है।
By Kirti Shukla
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक चीनी मिल पड़ोसी गांव में खुले में गंदा पानी बहा रही है, जिससे ग्रामीण परेशान हैं। ग्रामीणों का दावा है इससे उनकी जमीन बंजर हो रही है और फसल उत्पादन भी कम हो रहा है, जबकि फैक्ट्री प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी इन आरोपों से इनकार करते हैं।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर में एक चीनी मिल पड़ोसी गांव में खुले में गंदा पानी बहा रही है, जिससे ग्रामीण परेशान हैं। ग्रामीणों का दावा है इससे उनकी जमीन बंजर हो रही है और फसल उत्पादन भी कम हो रहा है, जबकि फैक्ट्री प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी इन आरोपों से इनकार करते हैं।
By Divendra Singh
By Brijendra Dubey
काली नदी, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और मेरठ जिलों के 80 गाँवों के तकरीबन ढाई लाख लोगों की जिंदगी में कहर बरपा रही है। नदी कैंसर और त्वचा रोगों का कारण बन रही है। एक तरफ कारखानों का जहरीला पानी और कचरा नदी में गिराया जा रहा है तो वहीं कम क्षमता वाला एक सीवेज उपचार संयंत्र प्रदूषण के इस भार को उठा पाने में सक्षम नहीं है। नतीजन गांव के लोग बीमारियों और मौत का शिकार हो रहे हैं। राजनेता हर बार चुनाव में नदी को साफ करने का एक नया वादा लेकर आते हैं, लेकिन स्थिति सालों से ज्यों की त्यों बनी हुई है। गांव कनेक्शन की "क्या कहता है गाँव'के लिए एक ग्राउंड रिपोर्ट।
काली नदी, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर और मेरठ जिलों के 80 गाँवों के तकरीबन ढाई लाख लोगों की जिंदगी में कहर बरपा रही है। नदी कैंसर और त्वचा रोगों का कारण बन रही है। एक तरफ कारखानों का जहरीला पानी और कचरा नदी में गिराया जा रहा है तो वहीं कम क्षमता वाला एक सीवेज उपचार संयंत्र प्रदूषण के इस भार को उठा पाने में सक्षम नहीं है। नतीजन गांव के लोग बीमारियों और मौत का शिकार हो रहे हैं। राजनेता हर बार चुनाव में नदी को साफ करने का एक नया वादा लेकर आते हैं, लेकिन स्थिति सालों से ज्यों की त्यों बनी हुई है। गांव कनेक्शन की "क्या कहता है गाँव'के लिए एक ग्राउंड रिपोर्ट।