बाबरी विध्वंस बरसी: अयोध्या के लोग अब भी 1992 के भयावह दिन को याद कर सिहर उठते हैं

बाबरी मस्जिद विध्वंस के 26 वर्ष पूरे होने को देखते हुए धार्मिक नगरी अयोध्या में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये हैं। राम जन्मभूमि के आसपास और हनुमानगढ़ी में सुरक्षा के विशेष इंतजाम हैं

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   5 Dec 2018 1:01 PM GMT

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बाबरी विध्वंस बरसी: अयोध्या के लोग अब भी 1992 के भयावह दिन को याद कर सिहर उठते हैं

अयोध्या। ऑटो ड्राइवर मोहम्मद आजिम को अब भी छह दिसंबर, 1992 की डरावनी रात याद है जब उन्होंने यहां के कुछ अन्य मुस्लिम बाशिंदों के साथ अपनी जान की खातिर खेतों में शरण ली थी। तब महज 20 साल के रहे आजिम ने कहा, " उन्मादी "कारसेवकों" की फौज ने बाबरी मस्जिद ढ़हा दी थी जिसके बाद अशांति एवं डर का माहौल बन गया था। हम इतने डर गये थे कि हमें नहीं पता था कि हम क्या करें।"

अब चार बच्चों के पिता 46 वर्षीय आजिम परेशान हो उठे हैं कि राममंदिर मुद्दा फिर कुछ नेताओं और संघ परिवार द्वारा उठाया जा रहा है और अयोध्या के नाजुक शांतिपूर्ण माहौल के लिए खतरा पैदा किया जा रहा है। जबकि यहां के बाशिंदे 26 साल बाद अब भी इस त्रासदी से उबरने के लिए प्रयत्नशील हैं।

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आजिम ने अफसोस प्रकट किया, हर साल इस समय हम उन मनोभावों से जूझते हैं। हमने अतीत को पीछा छोड़ने का प्रयास किया लेकिन त्रासद यादें जाती नहीं हैं। अयोध्या और अन्यत्र मंदिर मुद्दे पर शोर-शराबे से हमारे जख्म हरे हो जाते हैं।

विवादित रामजन्मभूमि ढांचे के समीप रहने वाले पेशे से चिकत्सिक विजय सिंह जिस दिन मस्जिद ढ़हायी गयी थी, उस दिन वह अयोध्या में ही थे और उन्होंने हिंसा देखी थी। उन्होंने कहा, यह बड़ा डरावना था। हम एक और अयोध्या त्रासदी नहीं चाहते हैं। हम शांतिपूर्ण माहौल चाहते हैं लेकिन नेता अपने एजेंडे के तहत भावनाएं भड़काते हैं। 1992 में भी इस ढांचे को ढ़हाने के लिए बाहर से बड़ी संख्या में लोग लाए गए थे। यह त्रासद और दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी जो आज भी अयोध्या के जेहन में है।"

सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा कि अयोध्या प्राचीन संस्कृति और सांप्रदायिक सद्भाव का स्थान रहा है लेकिन 1992 में मेल-जोल वाली प्रकृति छीन ली गयी और शहर अब भी उसकी कीमत चुका रहा है।


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पिछले माह हुआ था धर्म सभा का आयोजन

विहिप ने 25 नवंबर को यहां अयोध्या में धर्म सभा का आयोजन किया था। वह छह दिसंबर को शौर्य दिवस मनाएगी। नगर में 18 दिसंबर को गीता जयंती का भी कार्यक्रम है। विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने बताया," शौर्य दिवस पारंपरिक रूप से मनाया जाएगा। अयोध्या में विहिप एवं विभिन्न हिंदू संगठनों के कई धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन प्रस्तावित है। हवन भी होगा और राम मंदिर निर्माण का संकल्प लिया जाएगा।"


अयोध्या में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त

बाबरी मस्जिद विध्वंस के कल 26 वर्ष पूरे होने को देखते हुए धार्मिक नगरी अयोध्या में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये गये हैं। राम जन्मभूमि के आसपास और हनुमानगढ़ी में सुरक्षा के विशेष इंतजाम हैं। नगर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच स्थिति सामान्य नजर आयी। तीर्थयात्री हनुमानगढी के आसपास घूमते दिखे और दुकानें भी खुलीं।

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अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय ने बताया, " हाल ही में विहिप की धर्म सभा के दौरान अयोध्या में शांति कायम रही। इस समय भी शांति है और पर्याप्त संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं। राम जन्मभूमि और आसपास के क्षेत्रों में 20 से 25 कंपनी पुलिस एवं पीएसी स्थायी रूप से तैनात रहती हैं ताकि सुरक्षा को लेकर किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आये।"

निर्मोही अखाडे़ के महंत रामदास ने बताया, " छह दिसंबर को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि इसी दिन राम जन्मभूमि को मुगल ढांचे से मुक्त कराया गया था।"


बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने की शांति बनाये रखने की अपील

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ने प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेज कर मांग करेगी कि अयोध्या में विवादित स्थान पर उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार यथास्थिति बनाये रखी जाये। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने बतया, ''पहले के सालों की तरह इस साल भी बरसी शांतिपूर्वक मनायी जानी चाहिये। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित ज्ञापन सभी जिलों के जिलाधिकारी को सौंपा जायेगा और उनसे मांग की जायेगी कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार अयोध्या में यथास्थिति बनाये रखी जाये ।''

साभार: भाषा

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