यूपी के बाराबंकी में धान लदी सैकड़ों ट्रालियों के साथ किसानों का प्रदर्शन, खुलेंगे नए खरीद केंद्र

दस-पंद्रह दिनों से सरकारी खरीद केंद्र में धान बेचने के लिए लाइन में लगे थे किसान, परेशान किसानों ने धान लदी ट्रैक्टर ट्रालियों के साथ किया प्रदर्शन

Virendra SinghVirendra Singh   17 Nov 2020 3:59 PM GMT

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यूपी के बाराबंकी में धान लदी सैकड़ों ट्रालियों के साथ किसानों का प्रदर्शन, खुलेंगे नए खरीद केंद्रबाराबंकी के सरकारी खरीद केंद्र के बाहर धान बेचने के लिए कई दिनों से खड़े किसानों के ट्रेक्टर। फोटो : गाँव कनेक्शन

बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। धान खरीद में हो रही हीलाहवाली और खरीद केंद्रों के बाहर हफ्तों से इंतजार कर परेशान हो रहे किसानों ने बाराबंकी में धान लदी ट्रैक्टर ट्रालियों के साथ प्रदर्शन किया। किसानों ने तौल नहीं होने पर विधानसभा तक धान समेत पहुंचने का अल्टीमेटम दिया। मौके पर पहुंचे प्रशासनिक अधिकारियों ने अगले दिन से खरीद शुरू करने और नए केंद्र खोलने का भरोसा दिया, जिसके बाद धरना खत्म हुआ।

उत्तर प्रदेश में राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले के मुख्यालय में मंगलवार को सुबह से ही धान में लदी ट्रालियां लेकर किसान इकट्ठा होने शुरू हो गए थे, ये वो किसान थे जिनका धान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद केंद्रों पर बिक नहीं पा रहा था। सुबह से ही किसानों की धान से लदी ट्रैक्टर ट्रॉलिया गन्ना दफ़्तर पहुँचने लगी और दोपहर होते-होते रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप, डिग्री कॉलेज से लेकर पुलिस लाइऩ और एसपी ऑफिस के आगे तक ट्राली ट्रैक्टर नजर आ रहे थे।

गन्ना संस्थान में आयोजित प्रदर्शन में शामिल हुए ज़ैदपुर इलाके के दौलतपुर के किसान राममूर्ति ने कहा, "70 कुन्तल धान लेकर मैं पिछले 15 दिन से सफदरगंज क्रय केंद्र के बाहर लाइन लगाए था लेकिन तौल नहीं हुई।" वहीं फतेहपुर तहसील के सादुल्लापुर गांव से आये किसान अमरकेश वर्मा के पास करीब 90 हजार रुपए का धान था लेकिन उनकी दिवाली सूनी चली गई वो कहते हैं, "50 कुंतल धान लेकर 10 दिन से कुरैलवा सूरतगंज धान खरीद केंद्र पर लाइन में था लेकिन त्योहार लाइन में लगे ही बीत गया और तौल नहीं हो पाई।"

कई दिनों से सरकारी खरीद केन्द्रों के बाहर खड़े हैं किसानों के धान लादे ट्रेक्टर। फोटो : गाँव कनेक्शन

धरने का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन (भानु गुट) के प्रदेश प्रभारी आशु चौधरी ने कहा, "हम किसान कभी राजनीति के लिए धरना प्रदर्शन और सड़कों पर नहीं उतरते हैं। अपने खून-पसीने की मेहनत के वाजिब दाम के लिए मजबूरन खेतों में काम छोड़कर इस तरह सड़कों पर उतरना पड़ता है। बाराबंकी के सरकारी क्रय केंद्रों पर हो रही धांधली और किसानों के धान खरीद न होने के कारण धरना देना पड़ा।"

अपनी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर धरने पर बैठे किसानों ने दोपहर बाद अल्टीमेटम दिया कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईँ तो वो ट्रालियों समेत धान ले जाकर सीएम आवास और विधानसभा के सामने डाल देंगे। किसानों से बात करने पहुंचे एसडीएम सदर अभय पाण्डेय ने बुधवार से धान से लदी ट्रालियों की तौल शुरू कराने और 8 नए केंद्र खुलवाने का आश्वासन दिया जिसके बाद धरना खत्म हुआ।

प्रदर्शन को लेकर किसानों से बातचीत करते अधिकारी। फोटो : गाँव कनेक्शन

भारतीय किसान यूनियन (भानु) अयोध्या मंडल अध्यक्ष रवि वर्मा ने आरोप लगाया कि "क्रय केंद्रों पर तैनात एसएमआई से 300 रुपये प्रति कुन्तल कमीशन लेकर बिचौलियों के धान खरीद रहे हैं जबकि किसानों को परेशान किया जा रहा है। किसानों के सामने बड़ी समस्या हाईब्रिड धान को लेकर भी है। अधिकारी कहते हैं कि क्रय केंद्रों पर हाइब्रिड धान मात्र 35 परसेंट खरीदा जाएगा, ऐसे मंट 65 परसेंट धान कहां जाएगा? जब की बुवाई के समय सरकारी दुकानों से और प्राइवेट दुकानों से हाइब्रिड बीज ही बेचा जाता है, इस तरह जो किसान भुखमरी की कगार पर था वो बर्बादी की कगार पर आ जाएगा।"

खाद्य एवं रसद विभाग उत्तर प्रदेश की वेबसाइट के अनुसार 17 नवंबर तक उत्तर प्रदेश में 11 अधिकृत सरकारी एजेंसियों द्वारा 217809 किसानों से 1242341 मीट्रिक टन धान की खरीद हुई। वेबसाइट के मुताबिक प्रदेश में 4148 खरीद केंद्र संचालित है। प्रदेश सरकार ने 55 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है।

वहीं राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 17 नवंबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2020-21 के दौरान, सरकार ने अपनी मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) योजनाओं के अनुसार 16 नवंबर तक 284.18 मीट्रिक लाख टन धान की खरीद की जा चुकी है जो पिछले वर्ष 239.69 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 18.56 फीसदी ज्यादा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुल 284.18 लाख मीट्रिक टन में से अकेले पंजाब से 198.38 लाख मीट्रिक टन की खरीद हई है जो कुल खरीद का 69.81 फीसदी है। इस दौरान 24.39 किसानों को धान बेचने से 53653.81 करोड़ रुपए मिले हैं।

कुल खरीद में राज्यों की हिस्सेदारी की बात करें तो पंजाब की करीब 70 फीसदी, हरियाणा की 19 फीसदी जबकि उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र 4 फीसदी है।

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