बारिश और ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल लेकर डीएम ऑफिस पहुंचे किसान

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बारिश और ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल लेकर डीएम ऑफिस पहुंचे किसानकिसानों ने किया प्रदर्शन

सुखवेन्द्र सिंह परिहार, गाँव कनेक्शन

ललितपुर। बुंदेलखंड में पिछले कुछ वर्षों से किसानों को प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है, इस बार किसानों को अच्छी फसल आने की उम्मीद थी, लेकिन ओलावृष्टि ने किसानों की उम्मीद पर पानी फेर दिया।

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इस वर्ष भी सूखे की मार के साथ प्राकृतिक आपदा से बुंदेलखंड का किसान जूझ रहा हैं, ओलावृष्टि तेज हवाओं की तबाही समाचार पत्रों की सुर्खियां बन रही हैं। चना, मटर, मसूर में काफी नुकसान हैं ललितपुर जनपद से 50 किमी महरौनी तहसील सुनवाहा गाँव के सेवलाल सहरिया (58 वर्ष) अपनी किस्मत को कोसते हुए कहते हैं, "फसल पक्कर खडी थी रात की ओलावृष्टि ने सब खत्म कर दिया। मसूर खेत में बिछी पड़ी हैं, देखकर रोना आ रहा हैं। अपनी किस्मत को कोसते हुए वो बताते हैं" हर साल ऐसे ही हालात बनते हैं, कर्जा चुका नहीं पाते अब वही ओले फिर गिर गये। गिरे एक एक पाव के उसी से फसल नष्ट हो गयी, अब कैसे गुजर बसर होगी।

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इसी गाँव के भगवान सिंह राजपूत (32 वर्ष) बताते हैं "आठ एकड जमीन हैं जिसमें चार एकड में मसूर और चार एकड में गेहूं बोया था, मसूर पक चुकी थी कटाई करवा रहे थे वह भी चौपट हो गयी। कल शाम को 6 बजे से लगभग आधा घंटा इतने ओला पडे कि फसल चौपट हो गयी। गेहूं की बाले टूट कर खेत बिछ गयी ऐसी ही स्थिति पूरे गाँव सहित आसपास के गाँवों की हैं। बहुत नुकसान हो गया।

ललितपुर जनपद के महरौनी, बार, मडावरा, तालबेहट, बिरधा व जखौरा गाँवों के सैकडों गाँवों में प्राकृतिक आपदा ने तान्डव किया। जिला सूखे की मार से जूझ रहा है। मसौरा कलां के राजेश सहरिया (36 वर्ष) बताते हैं, "ओले ऐसे गिरे कि किसान को बर्बाद कर दिया, तेज हवा से काफी पेड़ गिर गये गेहूं की फसल बिछौना हो गयी। खेत से अनाज निकालना मुश्किल है। आसपास में 100 गुना नुकसान हुआ। अब खेती किसानी को जो कर्जा लिया था, वह कैसे चुकेगा, यह सोचकर पूरी रात नीद नहीं आयी।"

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काफी किसानों के खेत खाली पड़े हैं, जिन किसानों की फसल थी बह बेमौसम बरसात ओलावृष्टि ने बर्बाद कर दी। मडावरा तहसील के पापडा गाँव में सौ एकड़ का रकवा हैं, जिसमें एक खेत में बुवाई हुयी बाकी पूरी जमीन खाली पड़ी है, इसी गाँव के सूखा की दुहाई देते हुए कोमल गौड (35 वर्ष) बताते हैं, "पूरे गाँव की जमीन सूखी पड़ी हैं, हमको तो पेट भरने के लिए अनाज बजार से खरीदना पड़ेगा।"

ज्यादातर फसल पककर तैयार हो गई थी, नष्ट हो गई हैं। अचानक तेज हवाओं के साथ हुई ओलावृष्टि ने न सिर्फ किसानों की फसलों को बर्बाद कर दिया बल्कि उनके अरमानों पर भी पानी फेर दिया। इस साल कम बारिश होने के कारण किसान जैसे तैसे अपने खेतों में बुवाई कर पाया था, तो रात रात भर जाग के अन्ना पशुओं से अपनी फसलों की सुरक्षा की थी। फसल लगभग पककर तैयार हो गई थी। कहीं कहीं तो फसलों की कटाई भी होने लगी थी। लेकिन कल शाम मौसम की मार इस कदर पड़ी कि कई रातों के जागे किसानों की आंखें भी बारिश के साथ रो पड़ीं।

बर्बाद हो गई चने की फसल

जिलेभर के किसान पहुंच रहे जिलाधिकारी कार्यालय

आज सुबह से ही जिला मुख्यालय स्थित जिलाधिकारी को अपनी व्यथा सुनाने किसान पहुंच रहे हैं। मुख्यालय से 25 किमी पूर्व के गाँव भौरदा निवासी किसान पिरूवा (60 वर्ष) सिर पर हाथ रखते हुये बताते हैं कि 10 एकड़ खेतों में मटर, मसूर,चना और गेंहू की फसलें बोई थी, जिसमें मटर, मसूर, चना की फसलें चार से छह दिनों में कटने ही वाली थी। फसल काटने के लिये हंसिये भी पजवा लिये थे, लेकिन बीती शाम हुई ओलावृष्टि से पूरी फसल बर्बाद हो गई। पकी फसल के दाने मिटटी में बिखर गए। बैंक से 1.60 लाख रुपये किसान क्रेडिट कार्ड से निकाल कर खेतों में लागत लगाई थी, अब बैंक का कर्जा कहां से लौटाएंगे।

तो वहीं जिला मुख्यालय से 13 किमी पूर्व के गाँव जिजयावन के किसान काशीराम (60 वर्ष) बताते हैं कि बड़ी मुश्किल से पांच एकड़ में चना, मसूर, मटर की फसलें बोई थी। नहर के अभाव में किराए के बोरिंग से 200 रुपए प्रति घण्टे के हिसाब से खेतों की सिंचाई की थी। किसान क्रेडिट कार्ड से दो लाख निकले थे। बटाई पर भी चार एकड़ खेत 40000 में लिया था। बारिश और ओलों से फसल को 80 प्रतिशत नुकसान हुआ है।

कैसे करेंगे अब बेटी के हाथ पीले

वहीं भौरदा निवासी गटू कुशवाहा (45 वर्ष) बताते हैं कि हम दो भाई है पिता के नाम 10 एकड़ जमीन है। जिसपर हम दोनों भाई खेती करते हैं। बेटी की शादी की तैयारियां कर रहे थे, लड़का देख लिया था। रिश्ता पक्का कर आये थे, फसल कटने के बाद बेटी के हाथ पीले करने थे, लेकिन कल हुई ओला बारिश से अब शादी टालने की सोच रहे हैं।

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