कोरोना संक्रमण काल में पंचायत चुनाव जीतकर भी जिंदगी की जंग हार गए कई नए प्रधान

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में कई प्रत्याशियों की मतगणना के पहले ही कोविड संक्रमण से मौत हो गई, इनमें कई चुनाव भी जीत गए।

Ajay MishraAjay Mishra   8 May 2021 6:52 AM GMT

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कोरोना संक्रमण काल में पंचायत चुनाव जीतकर भी जिंदगी की जंग हार गए कई नए प्रधान

कई प्रधान प्रत्याशियों की मौत मतगणना से पहले ही हो गई, जिनमें कई चुनाव भी जीत गए हैं। सभी फोटो: अजय मिश्रा

लखनऊ/कन्नौज। प्रधान प्रत्याशी राकेश राजपूत (52 वर्ष) की मौत 24 अप्रैल को मतगणना से ठीक नौ दिन पहले हो गई, लेकिन जब दो मई को वोटों की गिनती हुई तो वो चुनाव जीत गए।

प्रधान राकेश राजपूत के निधन पर उनके बेटे अशोक राजपूत (23 वर्ष) ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का परिणाम आने के बाद फेसबुक पर लिखा, 'पापाजी आप जीत गए खुशी मनाऊं या गम।'

राकेश राजपूत उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिला मुख्यालय से करीब 14 किमी दूर बसे ब्लॉक उमर्दा क्षेत्र के गांव सखौली से चुनाव लड़ रहे थे। निवर्तमान प्रधान राकेश राजपूत का 24 अप्रैल को कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से निधन हो गया था।

राकेश राजपूत बताया कि जनता का समर्थन मिलने के बाद ही विजय हासिल हुई। अगर पिताजी होते तो काफी खुश दिखते। इससे पहले भी वह प्रधान रह चुके हैं। तिर्वा क्षेत्र में स्थित स्वामी गिरीशानंद महाविद्यालय में जब मतगणना हुई तो राकेश राजपूत के पक्ष में 494 वोट निकले थे, उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी गायत्री को 55 वोट से हराया।


अशोक राजपूत बताते हैं, "19 अप्रैल को वोट पड़े थे, उसके बाद पिताजी की कोरोना जांच रिपोर्ट आई, जिसमें वह पॉजिटिव निकले। उसके बाद 20 अप्रैल को इटावा जिले के सैफई मेडिकल कॉलेज में उन्हें भर्ती कराया गया, जहां 24 अप्रैल को निधन हो गया।"

इसी तरह कन्नौज के ही दूसरे ब्लॉक जलालाबाद क्षेत्र के उत्तिमापुर पट्टी से प्रधान पद पर चुनाव लड़े रामेंद्र सिंह (55 वर्ष) का भी निधन 27 अप्रैल को हो गया था। दो मई को जब बीडी तिवारी इंटर कॉलेज जलालाबाद में वोटों की गिनती हुई तो उसमें 21 वोटों से रामेंद्र सिंह को विजयी बताया गया। परिजन परेशान हो गए। कहने लगे कि अगर रामेंद्र जिंदा होते तो कितने खुशी रहते।

दरअसल, यूपी में सम्पन्न हो चुके त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के कई जिलों में नए प्रधान, बीडीसी आदि कई जनप्रतिनिधि कोरोना संक्रमण, हार्ट अटैक व अन्य बीमारियों की चपेट में आने से दमतोड़ चुके हैं। इससे इन इलाकों में उपचुनाव कराया जाएगा। कुछ मतगणना का परिणाम आने से पहले मर गए तो कई जीतने के बाद जिंदगी की जंग हार गए। इतना ही नहीं अलग-अलग पदों पर पंचायत चुनाव लड़े कई प्रत्याशी भी काल के गाल में चले गए।

सूबे के कन्नौज के ही ब्लॉक जलालाबाद क्षेत्र के जसपुरापुर सरैया से दो मई को प्रधान बनने के बाद जीत का प्रमाण पत्र लाए राकेश यादव (57 वर्ष) का भी निधन हो गया। इससे परिजन और शुभचिंतक परेशान हो गए। समाजसेवी व तिर्वा निवासी अंशुल गुप्ता बताते हैं कि 'कुछ सालों से राकेश यादव तिर्वा स्थित यादव कॉलोनी में रहने लगे थे। वह सपा से भी जुड़े थे।' 27 वोट से प्रधान बने राकेश यादव ने फिरोज अली को चुनाव में पटखनी दी थी। तबियत बिगड़ने पर उन्होंने पहले घर पर ही डॉक्टरों की देखरेख में इलाज शुरू किया। सांस में दिक्कत होने पर ऑक्सीजन भी खरीद कर लाए थे। हालत बिगड़ने पर परिजन कानपुर ले गए, वहां पर प्रधान ने दम तोड़ दिया।


गोरखपुर के ब्लॉक पिपरोली क्षेत्र के मिश्रौलिया गांव के प्रधान पद के प्रत्याशी राघवेंद्र उर्फ गिलगिल दुबे को चुनाव से एक दिन पहले दूसरे प्रत्याशी ने गोली मार दी थी। केजीएमयू में भर्ती के बाद उनकी मौत हो गई। मतगणना में परिणाम के दौरान राघवेंद्र को विजयी घोषित किया गया। इसी तरह ब्लॉक खोराबार के गहिरा निवासी बीडीसी प्रत्याशी रहे रंजीत चौबे उर्फ शिप्पू भी चुनाव जीत गए। उनकी मौत कोरोना संक्रमण से हो गई। जंगल कौड़िया ब्लॉक के अहिरौली से प्रधान प्रत्याशी इंद्रा यादव, बड़हलगंज ब्लॉक क्षेत्र के जैतपुर से पवन साहनी, जंगल हरपुर से भुआल यादव की भी तबियत बिगड़ने से मौत हो गई। यह सभी प्रधान पद पर चुनाव लड़े और दो मई से शुरू हुई वोटों की गिनती में विजयी भी घोषित हुए।

प्रधान प्रत्याशियों के साथ ही यूपी पंचायत चुनाव के दौरान चुनाव ड्युटी में गए 706 शिक्षकों की भी कोविड से हो गई।

इन जिलों में हुई प्रत्याशियों की मौत, कई चुनाव भी जीते

इसके अलावा गोरखपुर, प्रतापगढ़, वाराणसी, जौनपुर, बदायूं, अमरोहा, सिद्धार्थनगर, देवरिया, मिर्जापुर, चंदौली, गाजीपुर, आगरा, कानपुर व उरई में भी कई प्रत्याशी नहीं रहे। इसमें जीतने वाले भी शामिल हैं।

क्या कहते हैं जानकार

सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी कन्नौज बिनीत कटियार बताते हैं कि जिन स्थानों पर प्रधान, बीडीसी, ग्राम पंचायत सदस्य या जिला पंचायत सदस्य की मौत हो जाती है, वहां उपचुनाव कराया जाता है। निर्वाचन आयोग से जब गाइड लाइन आएगी तो पंचायत उप चुनाव होंगे। कुछ जिलों में नौ मई को मतदान है। इन जिलों में पहले चरण में हुए चुनाव के दौरान कई प्रत्याशियों आदि की मौत हो गई थी।

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