बहुत जरूरी है खसरा और रूबेला का टीका, 15 साल तक के बच्चों को लगवाएं ये टीका

यूपी में चल रहा है नौ महीने से 15 साल तक के बच्चों को टीका लगाने का अभियान, कई बीमारियों से बचा जा सकता, स्वास्थ्य महकमे ने की है तैयारी

Ajay MishraAjay Mishra   12 Dec 2018 4:51 AM GMT

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बहुत जरूरी है खसरा और रूबेला का टीका, 15 साल तक के बच्चों को लगवाएं ये टीका

कन्नौज। उत्तर प्रदेश में खसरा और रूबेला का टीकारण अभियान चल रहा है। कुछ जिलों में 10 दिसम्बर से टीका लगना शुरू हो गया। फ्री में लगने वाले इस टीके से कई बीमारियों से बचा जा सकता है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी/एसीएमओ कन्नौज डॉ. आर. चंद्रा बताते हैं, "मीजल्स को खसरा कहते हैं। रूबेला को रूबेला ही कहते हैं। इन दोनों बीमारियों का टीका एक ही होता है जो नौ महीने से 15 साल के बच्चों के दाहिने हाथ में लगेगा। उनका निशान भी लिया जाएगा।''

आगे बताते हैं, ''यूपी के कन्नौज, फर्रूखाबाद, औरैया, आजमगढ़, कासगंज व फैजाबाद आदि जनपदों में टीकाकरण अभियान 10 दिसम्बर से चलेगा। कई जिलों में टीकाकरण अभियान 26 नवम्बर से शुरू हो चुका है। पहले दो सप्ताह तक सरकारी स्कूलों में और उसके बाद दो सप्ताह तक निर्धारित गांवों के स्थानों में टीकाकरण होगा। बाद में छूटे हुए बच्चों का एक सप्ताह तक टीका लगाने का अभियान चलेगा।''

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जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. चंद्रा आगे कहते हैं, ''मिशन इंद्रधनुष की वजह से कुछ जिलों में टीकाकरण अभियान दिसम्बर में शुरू हो रहा है। इसमें एएनएम, आशा बहुएं, आंगनवाड़ी कार्यकत्री आदि लगेंगी। सरकारी और परिषदीय स्कूलों में शिक्षक भी सहयोग करेंगे। कन्नौज में 6,33,714 बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ब्लॉक पर मीटिंग हो चुकी है। जो लोग टीकाकरण करेंगे उनकी ट्रेनिंग भी हो चुकी है। वैक्सीन जिले से ब्लॉक क्षेत्रों को भेजी जा चुकी है, जो दो से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखी जाती है।''

''कई विभागों के प्रमुख सचिवों ने पत्र भेजकर टीकाकरण अभियान में सहयोग करने की बात कही है। इसमें पंचायती राज विभाग, प्राइमरी एजूकेशन और हायर एजूकेशन के लोग भी लगे हैं।''
डॉ. कृष्ण स्वरूप, सीएमओ- कन्नौज

ये होती हैं बीमारियां

डॉ. आर चंद्रा बताते हैं , ''खसरा यानि मीजल्स में लाल-लाल दाने शरीर में निकल आते हैं। बुखार और आंख से पानी आने लगता है। दिमागी बुखार और निमोनिया तक हो जाती है।''

''रूबैला का इंफेक्शन होने से बच्चा अंधा हो सकता है। मोतियाबिंद और काला मोतिया भी हो जाता है। बच्चा मंद बुद्धि का और बहरा भी हो सकता है। दिल में छेद और छोटा सिर भी हो सकता है। समय से पहले प्रसव और गर्भपात का भी खतरा रहता है।'' आगे बताया।

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बीमार नहीं सिर्फ घबराहट

कई जिलों में टीकाकरण के बाद बच्चों के बीमार पड़ने या अस्पताल में भर्ती होने की खबरों के बाबत डॉ. आर चंद्रा का कहना है कि यह कुछ नहीं है। बच्चों की उम्र कम होती है। इससे पहले उन्होंने सुई लगवाई नहीं होती है, जिससे वह घबरा जाते हैं। कभी-कभी उनको चक्का भी आ जाते हैं।

  

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