जल संकट से निपटने के लिए शुरू हुए मिशन अमृत सरोवर से ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहे हैं रोजगार के अवसर

15 अगस्त, 2023 तक जल संरक्षण के लिए 50 हजार तालाबों के निर्माण के उद्देश्य से, मिशन अमृत सरोवर न केवल देश में जल संरक्षण को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि लाखों ग्रामीण निवासियों को भी इन तालाबों के निर्माण से आजीविका का अवसर मिल रहा है। उत्तर प्रदेश में 11,638 तालाबों के निर्माण का लक्ष्य है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें इस पूरी रिपोर्ट को।

Jyotsna RichhariyaJyotsna Richhariya   11 Aug 2022 2:16 PM GMT

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जल संकट से निपटने के लिए शुरू हुए मिशन अमृत सरोवर से ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहे हैं रोजगार के अवसर

काशीपुर गाँव के एक दिहाड़ी मजदूर विजय दीक्षित को अब दूर शहरों की ओर पलायन नहीं करना पड़ेगा। वह अब उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के अपने गाँव और उसके आसपास आसानी से रोजगार पा सकते हैं।

विजय दीक्षित ने गाँव कनेक्शन को बताया,"जब से तालाब का काम शुरू हुआ है, मैं अपने परिवार के साथ रह सकता हूँ और रोजी रोटी कमा सकता हूँ। जीवन पहले बहुत कठिन था क्योंकि मेरे पास अपने प्रियजनों को छोड़ कर दिल्ली जैसे शहरों में जा कर काम खोजने के अलावा कोई विकल्प नहीं था।"

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत उत्तर प्रदेश के हजारों मजदूर काम करते हैं, दीक्षित भी उन्हीं में से एक हैं, जिन्हें इस साल 24 अप्रैल से शुरू हुई केंद्र सरकार की पहल 'मिशन अमृत सरोवर' में काम करने के लिए चुना गया है। मिशन के तहत 15 अगस्त 2023 तक पूरे भारत में 50 हजार तालाब के निर्माण का लक्ष्य है, जिसमें प्रति एकड़ के हिसाब से 10 हजार क्यूबिक मीटर पानी रखने की क्षमता होगी।

मिशन का प्राथमिक उद्देश्य है की जल संरक्षण के साथ साथ ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है, जो गांव से दूर दराज के इलाकों में दिहाड़ी मजदूरी करने के लिए पलायन करते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि देश का पहला अमृत सरोवर (तालाब) दीक्षित के गांव से लगभग 20 किलोमीटर दूर रामपुर के पटवई ब्लॉक में बनाया गया था और इसका उद्घाटन 13 मई को पूर्व केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने किया था।


उत्तर प्रदेश में 2023 के स्वतंत्रता दिवस तक कुल 11,638 सरोवर बनाए जाने हैं। गाँव कनेक्शन को मिले सरकारी दस्तावेजों के मुताबिक 28 जुलाई तक 6,001 सरोवर बन चुके हैं, जबकि 10,312 तालाबों पर काम चल रहा है। परियोजना में मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को दिहाड़ी के तौर पर 213 रुपये का भुगतान किया जाता है।

अमृत सरोवर राष्ट्रीय उत्सव मनाने के स्थान के रूप में काम करेगा

उत्तर प्रदेश में ग्रामीण विकास विभाग के एडिशनल कमिशनर योगेश कुमार ने गाँव कनेक्शन को बताया कि ये तालाब न सिर्फ पानी के संरक्षण और रोजगार पैदा करने में मदद करेंगे, बल्कि राष्ट्रीय उत्सवों के दौरान देशभक्ति की भावनाओं को जगाने के लिए सार्वजनिक स्थानों के रूप में भी काम करेंगे।

कुमार ने समझाया, "ये अमृत सरोवर लोगों को अपने सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंडों से बाहर आने और राष्ट्रीय त्योहारों को एक साथ मनाने का अवसर प्रदान करेंगे।"

अधिकारी ने यह भी कहा कि प्रत्येक अमृत सरोवर स्थल पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए एक एक खास इलाका बनाया गया है।

कुमार ने कहा, "ये साइटें लोगों में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ाने का माध्यम भी हैं।"


इसके अलावा, इन सरोवरों की स्थापना में सार्वजनिक भागीदारी को केंद्र सरकार द्वारा जारी मिशन के दिशानिर्देशों के एक सेट में महत्वपूर्ण बताया गया है।

दिशानिर्देशों में उल्लेख है, "अमृत सरोवर की नींव का पत्थर स्वतंत्रता सेनानी या उनके परिवार के सदस्य या शहीद के परिवार (स्वतंत्रता के बाद) स्थानीय पद्म पुरस्कार से सम्मानित लोगों से रखवाया जाएगा। अगर ऐसा कोई नागरिक मौजूद नहीं होगा तो उस खास जगह के या ग्राम पंचायत के सबसे विशिष्ट नागरिक से करवाया जाएगा।"

दिशानिर्देश में है, "लोग निर्माण सामग्री, बेंच और श्रमदान करके भी हिस्सा ले सकते हैं। यह क्राउड सोर्सिंग और सीएसआर के माध्यम से भी मदद मांग सकते हैं।"

तालाबों से निकली हुई मिट्टी का इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में होगा इस्तेमाल

एडिशनल कमिश्नर कुमार ने आगे बताया कि सरकार इन तालाबों से खोदी गई मिट्टी का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट जैसे राजमार्गों के निर्माण में भूमि की ऊंचाई के लिए करेगी।

अधिकारी ने गाँव कनेक्शन को बताया, "केंद्र सरकार ने रेल मंत्रालय और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) से अमृत सरोवर मिशन के तहत सभी जिलों में इन तालाबों और टैंकों की खुदाई से निकाली गई मिट्टी का उपयोग अपने इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में करने के लिए कहा है।" .

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की तरफ से 11 मई को जारी एक प्रेस बयान के अनुसार, देश भर में अमृत सरोवर के निर्माण के लिए कुल 12,241 साइटों को चिन्हित किया गया था, जिनमें से 4,856 परियोजना स्थलों पर निर्माण शुरू हो गया है।

मिशन में कुल छह एजेंसियां - केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, और अहमदाबाद स्थित भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) शामिल हैं ।

ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन (टीआरआईएफ) एक जमीनी स्तर का संगठन है जो उत्तर प्रदेश में राज्य प्रशासन के साथ मिलकर परियोजना को कुशल तरीके से लागू करने के लिए काम कर रहा है।

टीआरआईएफ के स्टेट कोऑर्डिनेटर दीपक माथुर ने गाँव कनेक्शन को बताया, "केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार कुल अमृत सरोवर स्थलों में से 20 प्रतिशत का निर्माण 15 अगस्त, 2022 से पहले तक कर लिया जाएगा।"

माथुर ने बताया, "हमारा संगठन जिला प्रशासन को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए काम कर रहा है। हम डेटा संग्रह, निगरानी और फीडबैक जनरेट करने में उनकी मदद कर रहे हैं।"

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में मिशन अमृत सरोवर की सहायक परियोजना अधिकारी मोनिका ने परियोजना को समय पर पूरा करने में आने वाली जमीनी चुनौतियों पर बात करते हुए गांव कनेक्शन को बताया कि बारिश ने परियोजना की प्रगति को धीमा कर दिया है।

उन्होंने बताया, "हमने इस साल 15 अगस्त तक बाराबंकी में 232 साइटों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। हालांकि, बारिश की वजह से कार्य धीमी हो गया है।"

यह कहानी ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से प्रकाशित की गई है।

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