यूपी में बारिश से 10 % से ज्यादा धान की फसल को नुकसान, 1.24 लाख किसानों को इसी महीने फसल बीमा का मुआवजा देने के निर्देश

उत्तर प्रदेश में भारी बारिश और प्राकृतिक आपदाओं के चलते खरीफ सीजन में किसानों को भारी नुकसान हुआ है। प्राकृति की मार से न सिर्फ फसलें बर्बाद हुई हैं बल्कि जो पैदा हुआ है उसकी गुणवत्ता भी खराब हुई है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने फसल बीमा कराने वाले सभी किसानों को नवंबर के आखिरी हफ्ते तक मुआवजा देने के निर्देश दिए हैं।

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यूपी में बारिश से 10 % से ज्यादा धान की फसल को नुकसान, 1.24 लाख किसानों को इसी महीने फसल बीमा का मुआवजा देने के निर्देश

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। उत्तर प्रदेश में पिछले महीनों में हुई भारी बारिश और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं के चलते कम से कम 10 से 15 फीसदी फसल का नुकसान होने से धान का उत्पादन घट सकता है। सरकारी अधिकारी मौटे तौर पर 10 फीसदी उत्पादन कम मान रहे हैं। प्रदेश में 15 नवंबर तक के सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1.24 लाख किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत 74.35 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति को मंजूरी दी गई है।

उत्तर प्रदेश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने प्रदेश में संचालित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुर्नगठित मौसम आधारित फसल बीमा के कार्यों की प्रगति समीक्षा की। इस दौरान अधिकारियों ने उन्हें बताया कि खरीफ 2021 के दौरान बारिश और दूसरी प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान के संदर्भ में 1.24 लाख किसानों के करीब 74.35 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति की धनराशि का आंकलन किया गया है। प्रधानमंत्री फसल फसल बीमा योजना के अंतर्गत बीमा कम्पनियों को राज्यांश ( प्रीमियम में राज्य, केंद्र और किसान की हिस्सेदारी होती है) के रूप में 283.00 (दो सौ तिरासी) करोड़ रूपये की धनराशि उपलब्ध करायी जा चुकी है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत किसानों को खरीफ की फसल में प्रीमियम धनराशि का 2 प्रतिशत, जबकि रबी की फसल में 1.5 प्रतिशत देना होता है।

बैठक में कृषि मंत्री ने कहा कि क्योंकि कंपनियों को राज्यांश की धनराशि बीमा कंपनियों को दी जा चुकी है। ऐसी स्थिति में किसानों को उनकी फसल क्षतिपूर्ति का भुगतान नवंबर के आखिरी सप्ताह तक हो जाना चाहिए।

विधान भवन में अपने दफ्तर में सरकारी अधिकारियों, बीमा कंपनियों के अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि सभी जनपदों में बीमा के अंतर्गत अधिसूचित फसलों की क्रॉप कटिंग प्राथमिकता के आधार पर कराई जाए। किसानों को भी क्रॉप कटिंग के फोटो दिए जाएं और उन्हें क्रॉप कटिंग प्रयोगों के आधार पर बीमित किसानों को हुए फसल के नुकसान का मुआवजा दिया जाए। कृषि मंत्री ने कहा कि बीमा कंपनियों के द्वारा किए गए फसल नुकसान का सत्पापन जिलों में तैनात उप कृषि निदेशक के द्वारा किया जाए।

लखनऊ में समीक्षा बैठक करते कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही।

कम से कम 10 फीसदी फसल बर्बाद, क्वालिटी पर भी असर

उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग में निदेशक सांख्यिकी और फसल बीमा राजेश गुप्ता ने गांव कनेक्शन को बताया, "फिलहाल मौटे तौर पर कहा जा सकता है कि 10 फीसदी से ज्यादा धान की फसल को नुकसान पूरे प्रदेश में हुआ है, इसके अलावा जो पैदावार हुई है बारिश के चलते उसकी क्वालिटी डैमेज हुई है। कुछ जिलों की अभी फाइनल रिपोर्ट आनी बाकी है।"

उत्तर प्रदेश में औसतन 59 लाख से ज्यादा हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है। इस बार शुरुआती बारिश ठीक होने और फसल में रोग नहीं लगने के कारण धान की अच्छी पैदावार की उम्मीद थी लेकिन पहले सितंबर फिर 17-19 अक्टूबर की बेमौसम भारी बारिश ने किसानों ने धान की फसल को नुकसान पहुंचाया। भारी बारिश के साथ उत्तराखंड छोड़े गए पानी ने आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में फसलों को नुकसान पहुंचाया था। गांव कनेक्शन ने इस संबंध में लखीमपुर से लेकर रामपुर और कन्नौज, तक लगातार ग्राउंड रिपोर्ट की थी। फसल बर्बाद होने से लखीमपुर खीरी और कन्नौज में 2 किसानों ने आत्महत्या भी कर ली थी।

राज्य सरकार ने पिछले दिनों चार चरणों में प्रदेश के 46 जिलों के लिए राज्य आपदा मोचक निधि से 8 लाख से ज्यादा किसानों के लिए करीब 383 करोड़ रुपए जारी किए हैं। कई दूसरे जिलों के लिए आंकलन जारी है। ये मुआवजा फसल बीमा योजना से अतिरिक्त है।

कृषि मंत्री के साथ बैठक में अपर मुख्य सचिव कृषि, डा. देवेश चतुर्वेदी, विशेष सचिव कृषि, बृजराज सिंह यादव, निदेशक सांख्यिकी, राजेश गुप्ता एवं बीमा कम्पनियों के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

सीतापुर के खैराबाद में क्रॉप कटिंग कराते जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज।

क्रॉप कटिंग तेजी से जारी

प्रदेश में धान उत्पादन और फसल नुकसान के आंकलन के लिए क्रॉप कटिंग तेजी से जारी है। जिलों में जिलाधिकारी, कृषि उपनिदेशक, एसडीएम, तहसलीदार से लेकर सभी अधिकारियों को क्रॉप् कटिंग करवानी होती है। इसके अंतर्गत वैसे तो हर एक गांव में कुछ खेतों में खेती की उपज और देखी जाती है। इसके लिए खेत के एक निश्चित हिस्से की नापजोख के बाद फसल कटाई की जाती है। इसी के आधार पर ब्लॉक, जिला, मंडलवार और प्रदेश स्तर पर औसत निकाला जाता है।

लखनऊ से सटे सीतापुर जिले में 28 अक्टूबर की जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज के नेतृत्व में अधिकारियों ने खैराबाद विकास खण्ड अन्तर्गत न्याय पंचायत टेढ़वा चिलौला के ग्राम बिजवार खुर्द में क्रॉप कटिंग करायी गयी। जहां पर धान की औसत उपज 18.600 किग्रा0 प्रति 0.004 हेक्टेयर हुई। इस दौरान क्राप कंटिग में मौजूद रहे सदर तहसीलदार ज्ञानेंद्र त्रिवेदी ने गांव कनेक्शन से कहा कि उनकी तहसील में अब तक का औसतन उत्पादन 22 किलोग्राम से ज्यादा रहा है (रकबा 0.004 हेक्टेयर) रहा है। औसतन एक इलाके में जहां भी क्राप कटिंग होती है चार गांवों में एक साथ की जाती है ताकि कोई फसल अच्छी या खराब है तो औसत आसानी ने निकल सके।"

उन्होंने गांव कनेक्शन को बताया कि उनके यहां 6 में से तीन तहसीलें बाढ़ प्रभावित थीं, जो जहां बाढ़ था वहां नुकसान हुआ है, कुछ उन फसलों को नुकसान हुआ जो धान की फसल कटी पड़ी थी और बारिश हो गई, लेकिन बाढ़ से बाहर के क्षेत्रों में ज्यादा नुकसान नहीं है।

ये भी पढ़ें- यूपी: फसल बर्बादी ने नुकसान की भरपाई के लिए अब तक 383 करोड़ से ज्यादा रुपए जारी

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