उन्नाव गैंगरेप: सीबीआई ने तत्कालीन थानेदार और दारोगा को किया गिरफ्तार, आज किया जाएगा सीबीआई कोर्ट में पेश

अशोक सिंह भदौरिया और कामता प्रसाद सिंह को आईपीसी की धारा 120 बी, 193, 201 और 218 में और 3/25 शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।

mohit asthanamohit asthana   17 May 2018 4:27 AM GMT

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उन्नाव गैंगरेप: सीबीआई ने तत्कालीन थानेदार और दारोगा को किया गिरफ्तार, आज किया जाएगा सीबीआई कोर्ट में पेश

उन्नाव कांड में सीबीआइ ने लंबी छानबीन के बाद बुधवार को उन्नाव के माखी थाने के तत्कालीन एसओ अशोक सिंह भदौरिया व उपनिरीक्षक कामता प्रसाद सिंह को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों आरोपितों सहित माखी थाने के छह पुलिसकर्मियों को एसआइटी की जांच के बाद निलंबित कर दिया गया था। सीबीआइ जांच में पीडि़त किशोरी के पिता की हत्या के मामले में अहम तथ्य सामने आए हैं। तत्कालीन एसओ सहित अन्य पुलिसकर्मियों ने पीडि़त किशोरी के पिता को जेल भेजने के आपराधिक इरादे से ही फर्जी तरीके से तमंचे की बरामदगी दिखाई गई थी। यह भी साफ हो गया है कि माखी थानाध्यक्ष सहित अन्य पुलिसकर्मी भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के दबाव में थे।
अशोक सिंह भदौरिया और कामता प्रसाद सिंह को आईपीसी की धारा 120 बी, 193, 201 और 218 में और 3/25 शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है। इन दोनों पुलिसकर्मियों को सीबीआई ने पूछताछ के लिए बुलाया था, इसके बाद गिरफ्तार कर किया गया। सीबीआइ दोनों आरोपितों को गुरुवार को कोर्ट में पेश करेगी।
पुलिस अधिकारियों को नहीं थी जानकारी
पिछले दिनों हाईकोर्ट ने आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी को लेकर सीबीआई पर सवाल उठाया था। इसके बाद सीबीआई ने दोनों आरोपी पुलिसकर्मियों को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। वहीं उन्नाव के आला पुलिस अधिकारियों को दोनों दारोगाओं की गिरफ्तारी को लेकर बुधवार देर रात तक कोई खबर नहीं थी। दोनों दारोगाओं पर शस्त्र अधिनियम लगाए जाने से उनके आचरण पर भी सवाल उठ गया है।
21 मई को होगी अगली सुनवाई
दो मई को ये तय किया गया कि इस मामले की अगली सुनवाई 21 मई को होगी। कोर्ट के निर्देशों पर CBI टीम को लीड कर रहे राघवेंद्र वत्स ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि सभी निर्देशों का पालन किया जाएगा।

ये था पूरा मामला
एक 16 वर्षीय लड़की ने पिछले साल जून में भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसके साथियों पर बलात्कार का आरोप लगाया था। लेकिन इस मामले के सामने आने के बाद लड़की अचानक गायब हो गई जिसके बाद परिवार वालों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के नौ दिन बाद लड़की औरेंया जिले के एक गांव में मिली जिसके बाद उसे उन्नाव लाया गया।
पुलिस ने उसे कोर्ट के सामने पेश किया और उसका बयान दर्ज किया। पीड़िता ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उसे अपने बयान में बीजेपी विधायक का नाम नहीं लेने दिया गया। दस दिन बाद उसे परिवार वालों के पास भेज दिया गया लेकिन वह लगातार पुलिस पर आरोप लगाती रही। उन्नाव छोड़कर पीड़िता और उसका परिवार दिल्ली आ गया लेकिन वह अपनी शिकायतें मुख्यमंत्री से लेकर राज्य के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों को भेजती रही, ताकि वह भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर और उसके भाई अतुल सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करा सके।
लेकिन जब कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई, तो इस साल फरवरी में पीड़िता की मां ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) का दरवाजा खटखटाया ताकि इस मामले में एफआईआर दर्ज हो सके। तीन अप्रैल को पीड़िता की मां की अपील पर कोर्ट ने सुनवाई की। मामले की सुनवाई में भाग लेने ही पीड़िता के पिता परिवार समेत उन्नाव वापस लौटे। परिवार वालों के मुताबिक उस शाम बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सिंह ने अपने साथियों के साथ मिलकर लड़की के पिता को परेशान किया। इसके बाद ही अवैध हथियार के रखने के आरोप में पुलिस ने लड़की के पिता को गिरफ्तार कर लिया।
फिर पांच अप्रैल को पीड़िता के पिता को जेल भेज दिया। पीड़िता के पिता ने विधायक के भाई पर मारपीट करने और फंसाने का आरोप लगाया। लेकिन उनकी शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाया गया। इसके बाद पीड़िता ने लखनऊ में मुख्यमंत्री निवास के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की। साथ ही वह बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराए जाने की मांग करती रही, जिसके बाद यह पूरा मामला सामने आया। 9 अप्रैल को पुलिस कस्टडी में लड़की के पिता की मौत हो गई।

   

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