कन्नौज: नसबंदी के बाद जमीन में लिटा दी गईं महिलाओं ने कहा ‘हमको नहीं पता बेड थे भी या नहीं’  

Ajay MishraAjay Mishra   14 Jan 2018 7:09 PM GMT

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कन्नौज: नसबंदी के बाद जमीन में लिटा दी गईं महिलाओं ने कहा ‘हमको नहीं पता बेड थे भी या नहीं’  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गुरसहायगंज का भवन

अजय मिश्र/मोहम्मद परेवज

गुरसहायगंज (कन्नौज)। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में टार्च की रोशनी में ऑपरेशन करने का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि कन्नौज जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गुरसहायगंज में नसबंदी का ऑपरेशन करने के बाद महिलाओं को जमीन पर लिटाने का मामला तूल पकड़ गया है। करीब दो घंटे तक मरीज वहीं लेटे रहे।

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यूपी की राजधानी लखनऊ से करीब 170 किमी दूर जिला कन्नौज के गुरसहायगंज रामगंज मोहल्ला 35 साल की नीलम सक्सेना बताती हैं कि ‘‘ऑपरेशन के बाद जमीन पर करीब एक घंटा लेटी रहीं। सर्दी भी हल्की-हल्की लगी। कंबल भी हल्के थे। हम लोगों को बेड और बिस्तर पर लिटाना चाहिए था। ऑपरेशन कराने आई एक महिला बहुत टर्रा रही थी, कि रजाई और बेड नहीं दिया।’’

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नीलम आगे कहती हैं कि ‘‘हमको बेड व कमरे भी नहीं दिखाए गए। हमको पता भी नहीं कि बेड थे भी या नहीं, होते भी हैं या नहीं। बरामदे में ही ले जाकर जमीन पर लिटाया गया। हमको अस्पताल के लिए सरिता ले गई थीं, जो पोलियो ड्राप पिलाती हैं। हम दोनों (साधना) लोगों को सरिता और उनके पति ही अस्पताल ले गए थे। हमको दो हजार रूपए मिलेंगे और साधना को 24 सौ मिलेंगे। उनके दो बच्चे हैं।’’

इसी मोहल्ले की निवासी साधना राठौर (40 वर्ष) पत्नी मनोज राठौर बताती हैं, ‘‘मेरे एक बेटा और एक बेटी है। कल नसबंदी का ऑपरेशन कराया है। वहां जमीन पर लिटाया गया था। षाम को करीब साढे़ छह बजे घर आ पाए।’’

एसडीएम छिबरामऊ को जांच करने को कहा है। वह एक सप्ताह में रिपोर्ट देंगे।
रविन्द्र कुमार, एसडीएम

नीलम के 35 वर्षीय पति रामकिशोर सक्सेना बताते हैं, ‘‘मैंने अपनी पत्नी के बच्चे न हों इसलिए कल नसबंदी का ऑपरेशन पर कराया था। मेरे तीन बेटियां और एक बेटा है। सबसे छोटे बच्चे की उम्र एक साल है।’’ वह आगे बताते हैं कि ‘‘वहां पर बेड की व्यवस्था नहीं थी। ऑपरेशन के बाद पत्नी को करीब दो घंटे तक वहीं जमीन पर लिटा दिया गया। वहां करीब नौ से 11 मरीज थे। ऑपरेशन डॉक्टरों ने किया या किसी और ने महिलाएं ही बता सकती हैं।’’

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नसबंदी कराने वाली नीलम के पति रामकिशोर ऑपरेशन की हकीकत बताते हुए

नीलम आगे बताती हैं, ‘‘डॉक्टर ड्रेस नहीं पहने थे। जैसे आप लोग कपड़े पहने हैं वैसे ही ऑपरेशन करने वालों ने भी पहने थे। दवा दी गई है कोई दिक्कत नहीं केवल दर्द हो रहा है। हमको पता भी ही नहीं लग रहा था कि डॉक्टर थे या कोई और’’

पुरुषों के वार्ड में बेड नहीं, महिलाओं के बेड पर धूल

सीएचसी गुरसहायगंज के महिला वार्ड में पड़े बेड बताते हैं यहां की सुधि लेने वाला कोई नहीं

सीएचसी गुरसहायगंज में महिला और पुरुष मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड तो बने हैं लेकिन पुरुषवार्ड में एक भी बेड नहीं है। महिलाओं के वार्ड में पांच बेड तो हैं उसमें धूल जमी है जो साबित करती है कि बेड मरीजों को मुहैया नहीं कराए जाते हैं। महिला वार्ड में एक बेड टूटा भी पड़ा है।

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जांच शुरू, कमेटी गठित

सीएमओ डॉ. कृष्ण स्वरूप ने बताया, ‘‘डॉ. उमेश चंद्र वर्मा से स्पष्टीकरण मांगा गया है। मामले की जांच को टीम गठित कर दी गई है। नोडल/एसीएमओ डॉ. केसी राय और एसीएमओ डॉ. राममोहन तिवारी को टीम में रखा गया है।’’

     

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