दो-तीन रुपए किलो बिक रहा पुराना आलू, कन्नौज में कोल्ड स्टोरेज के बाहर आलू खा रहे पशु

बाजार में नया आलू आने के बाद पुराने आलू की ना तो मांग रही है और ना ही रेट बचे हैं। कोल्ड स्टोरेज खाली करने की आखिरी तारीख बीत चुकी है लेकिन कई जगहों पर 10-15 फीसदी आलू अभी रखा है। कोल्ड स्टोरेज मालिकों के मुताबिक इसमें ज्यादातर आलू उनका है, जिन्होंने अच्छे रेट के लिए बचाकर रखा था लेकिन अब उनकी जमा भी डूब रही है।

Ajay MishraAjay Mishra   6 Dec 2021 1:06 PM GMT

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दो-तीन रुपए किलो बिक रहा पुराना आलू, कन्नौज में कोल्ड स्टोरेज के बाहर  आलू खा रहे पशु

मार्केट में नया आलू आने से पुराने की मांग कम हो गई है, ऐसे जिन किसानों और व्यापारियों ने आलू रोककर रखा था उन्हें घाटा उठाना पड़ रहा है। 

कन्नौज (उत्तर प्रदेश)। हरी सब्जियों के रेट भले इन दिनों आसमान पर हों लेकिन पुराने आलू की कद्र नहीं रही है। पुराना आलू थोक भाव में 2-3 रुपए किलो बिक रहा है तो कई जगहों पर किसान और व्यापारी दोनों कोल्ड स्टोरेज में रखे आलू को निकालने नहीं पहुंच रहे हैं, जिससे उसे फेंका जा रहा है। पिछले साल के अधिक उत्पादन और मार्केट में नया आलू आ जाने से पुराने आलू माटी मोल हो गया है। जिन बड़े किसानों या व्यापारियों ने सीजन के आखिर के लिए आलू रोककर रखा था उन्हें तगड़ा झटका लगा है।

उत्तर प्रदेश के आलू बेल्ट में शामिल कन्नौज जिले में कन्नौज-तिर्वा फोरलेन पर भुगैतापुर के पास भारी मात्रा में आलू जमीन पर फेंका गया है। बताया जा रहा है ये आलू बीज के लिए था, लेकिन पूरी होने के बाद बचा माल फेंक दिया गया है। हालांकि आने वाले दिनों ऐसे नजारे आम हो सकते हैं क्योंकि कोल्ड स्टोरेज में खाली करने की आखिरी तारीख 30 नवंबर निकल चुकी है और कोल्ड स्टोरेज में अभी आलू रखा हुआ है।

कन्नौज कस्बे से करीब पांच किमी दूर स्थित जलालपुर पनवारा गांव कोल्ड स्टोरेज में 15 फीसदी आलू बचा हुआ है। कोल्ड स्टोरेज के मालिक पवन सामवेदी गांव कनेक्शन को बताते हैं, "बड़े किसान और कुछ व्यापारियों ने रेट बढ़ने की उम्मीद में आलू नहीं उठाया। अब रेट काफी गिर गए हैं। 100 रुपए से 200 रुपए आलू का पैकेट (40 से 50 किलो) बिक रहा है। फिर आलू की क्वालिटी भी दाम निर्धारित करती है। कुछ दिनों पहले तक तो 100 रुपए में तीन पैकेट तक उन्होंने आलू बिक्री किया था।"

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कन्नौज-तिर्वा फोरलेन पर भुगैतापुर गांव के पास एक कोल्ड स्टोरेज के सामने फेंका गया आलू। फोटो- अजय मिश्रा

कन्नौज में कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल दीक्षित के मुताबिक लगभग सभी कोल्ड स्टोरेज में 10 हजार से लेकर 15 हजार कट्टे आलू के रखे होंगे।

अतुल दीक्षित फोन पर बताते हैं, "हर स्टोर में अभी आलू है और मुझे लगता है कि 15 दिन अभी और लगेंगे। ज्यादतर आलू बड़े किसानों और व्यापारियों को होगा। जब 1100-1200 रुपए कट्टे का रेट था जब इन लोगों ने बेचे नहीं अब 200-300 का रेट हो गया है।"

वो आगे कहते हैं, "अब जिन किसानों का आलू रखा रह गया है उनकी मृत्यु (मुश्किल वक्त) है क्योंकि लागत के हिसाब से दाम कुछ नहीं। कोल्ड स्टोरेज में एक बोरी आलू का भाड़ा ही 135 रुपए है। दूसरी बात जब आलू खुदा था तो मौसम गर्म था, बारिश हुई थी उस वक्त भी किसान का नुकसान हुआ था, और फिर हो गया लेकिन मौसम पर किसी का जोर नहीं।"

एक तरफ जहां कोल्ड स्टोरेज के मालिकान कह रहे हैं कि उनके यहां 10-15 फीसदी माल रखा है वहीं प्रशासन का कहना है कि मुश्किल से 2-3 फीसदी आलू बचा है, बाकी कि निकासी हो चुकी है।

कन्नौज के जिला उद्यान अधिकारी मनोज कुमार चतुर्वेदी बताते हैं, "कोल्ड स्टोरेज में अब ज्यादा आलू नहीं रहा है। 30 नवम्बर तक की रिपोर्ट में करीब दो फीसदी ही आलू बचा था। जिन कोल्ड स्वामियों व किसानों ने आलू फेंका है, उसकी जानकारी नहीं है।"

उद्यान विभाग के मुताबिक कन्नौज में 142 कोल्ड स्टोरेज हैं। इसमें 14 लाख 45 हजार 987 मीट्रिक टन आलू भंडारण की क्षमता है। 12 लाख 29 हजार 88 मीट्रिक टन आलू रखा गया था, जिसमें 22 नवम्बर तक 11 लाख 73 हजार 780 मीट्रिक टन आलू की निकासी हो चुकी थी।


कन्नौज में कोल्ड स्टोरेज के बाहर फेंगे गए बीज वाले आलू को खाते पशु। फोटो-अजय मिश्रा

देश में 54.2 मिलियन टन आलू उत्पादन का अनुमान

29 अक्टूबर 2021 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक देश में 2020-21 में बागवानी फसलों (फल-सब्जी) के रकबे और उत्पादन दोनों में बढ़ोतरी हुई थी। साल 2020-21 में करीब 27.59 मिलियन हेक्टयर में बागवानी का रकबा है, जिसमें से 331.05 मिलियन टन उपज अनुमानित है। साल 2019-20 में 26.48 मिलियन हेक्टेयर में 320.47 मिलियन टन उत्पादन हुआ था।

वहीं अगर सिर्फ आलू की बात करें तो 2020-21 में 54.2 मिलिटन टन उत्पादन अनुमानित है जो 2019-20 की तुलना में 5.6 मिलिटन टन अधिक है।

नया आलू मार्केट आने के बाद लगभग हर मंडी में पुराने आलू के रेट काफी नीचे चले गए हैं या फिर मांग ही नहीं है। पीलीभीत जिले में पूरनपुर मंडी के आलू कारोबारी राहुल गुप्ता फोन पर बताते हैं,

"जब नया आलू ही 700-800 रुपए कुंटल बिक रहा है तो पुराना कौन पूछेगा। पुराने आलू को सिर्फ चाट-मटर और समोसे होटल वाले लेकर जा रहे हैं। 150-200 रुपए कट्टा (50 किलो) जा रहा है।" राहुल गुप्ता के मुताबिक पूरनपुर मंडी में रोजाना 600-800 बोरी आलू आता है, जिसमें ज्यादातर नया आलू होता है। वहीं कन्नौज शहर में फुटकर आलू बेचने वाले बंटी के मुताबिक उन्होंने कई दिनों से पुराने आलू की खरीद बिक्री बंद कर दी है।

उत्तर प्रदेश में कन्नौज, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा,इटावा फरुखाबाद और बाराबंकी समेत कई जिलों में आलू की बंपर पैदावार होती है।

कन्नौज के उमर्दा ब्लॉक में एक सामुदायिक भवन में रखा आलू।

कन्नौज में कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल दीक्षित के मुताबिक छोटे आलू को बीज में इस्तेमाल किया जाता है जबकि बड़े साइज का आलू सब्जी और दूसरे काम के लिए इस्तेमाल होता है। दक्षिण भारत में बड़े आलू की अच्छी मांग रहती है। अगर कहीं आलू फेंका हुआ दिख रहा है तो संभव है वो बीज वाला ही आलू होगा।

वो कहते हैं, "आगरा से और फिरोजाबाद (सिरसराजगंज) से जो बड़ा आलू होता है वो साउथ में जाता है। छोटे और मीडियम आलू को व्यापारी कानपुर मंडी भेज रहा है। क्योंकि यहां सब चल जाता है। अगर जल्द आलू स्टोरेज खाली नहीं हुआ तो अगले सीजन में आलू स्टोरेज में दिक्कत आएगी।"

कन्नौज में ही एक और कोल्ड स्टोरेज के मालिक अमिताभ गुप्ता के स्टोर में 10 फीसदी से ज्यादा आलू बचा हुआ है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि बचे आलू का क्या करेंगे।

अमिताभ गुप्ता बताते हैं, "पिछले साल तो 31 अक्तूबर तक आलू रखने का समय था, लेकिन अबकी 30 नवम्बर तक की तारीख घोषित कर दी गई। किसानों को सूचना दी गई है कि वह उठा लें, लेकिन कीमत कम होने और आगे बढ़ने की उम्मीद में अभी नहीं उठाया है।"

वो आगे कहते हैं, "आलू भंडारण के दौरान इधर-उधर गिर जाता है, वही बेकार होता है। हमारे पास जगह है तो जमीन की मिट्टी खोदकर उसे दफन कर दिया जाता है, जिससे किसी को नुकसान न पहुंचे।"

अक्टूबर की बारिश के चलते बढ़ाई गई थी कोल्ड स्टोरेज खाली करने की तारीख

उद्यान निदेशक डॉ. आरके तोमर ने सभी उद्यान अधिकारी को पत्र भेजकर कहा था कि 17 से 19 अक्तूबर तक भारी बरसात की वजह से आलू बीज की बुवाई प्रभावित हुई है। जनपदों में जलभराव के कारण नवम्बर के तीसरे सप्ताह तक गढ़ाई संभावित है। बीते साल फसल का रिकार्ड भंडारण हुआ था, इसलिए निकासी नवम्बर अंत तक होगी। इसलिए शासनादेश के तहत आलू भंडारण 15 फरवरी से निकासी 30 नवम्बर तक होगी।

30 नवंबर थी कोल्ड स्टोरेज को खाली करने की आखिरी तारीख।

खुले में नहीं फेंक सकते खराब आलू

निजी शीतगृह से आलू खुले में बाहर या सड़कों किनारे फेंका जाने लगा है। लेकिन नियम मुताबिक ऐसा नहीं किया जा सकता। बाहर पड़ा आलू पशुओं का तो निवाला बनता है, लेकिन धीरे-धीरे सड़ांध भी शुरू हो जाती है। इससे तरह-तरह की बीमारियां भी फैलने का खतरा रहता है। उधर से गुजरने वालों को भी बदबू का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इस आलू को गड्ढा खोदकर जमीन में गाड़ना होता है।

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